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भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर, किया था कश्मीर से अरुणाचल तक 69 पुलों का निर्माण

India's First

आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताएंगे, जिन्होंने कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक 69 पुल बनाएं हैं। यह कहानी है भारत की पहली (India’s First) महिला सिविल इंजीनियर, शकुंतला ए. भगत की। पुलों के कई नए डिजाइन बनाने में शकुंतला की अहम भूमिका रही है। उन्होंने मुंबई में, पुल निर्माण फर्म ‘क्वाड्रिकॉन’ की भी स्थापना की थी। इस फर्म ने यूके, यूएसए और जर्मनी सहित दुनिया भर में 200 पुलों को डिजाइन किया है।

शकुंतला ए भगत, साल 1953 में मुंबई में वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिकी संस्थान से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करन वाली पहली महिला थीं।

शकुंतला ए भगत ने पुल निर्माण के अनुसंधान और विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। शकुंतला का विवाह अनिरुद्ध एस भगत के साथ हुआ था। अनिरुद्ध एक मैकेनिकल इंजीनियर थे। इस दंपति ने मिलकर इस क्षेत्र में पहली बार ‘टोटल सिस्टम’ पद्धति विकसित की। इस पद्धति में पुल बनाने के दौरान असेंबली प्रक्रिया में, मानक के अनुसार बने मोड्यूलर भाग, जो विभिन्न प्रकार के पुल बनाने में, ट्रैफिक चौड़ाई और भार ढोने की क्षमता पर निर्भर करते हैं, उनका उपयोग किया जाता है।

क्वाड्रिकॉन स्टील पुल, लोकप्रिय रूप से हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं, जहां अन्य पुल बनाने की तकनीकों को लागू करना असंभव है। अब सवाल यह है कि आखिर, इन सबकी शुरुआत हुई कैसे?

कंक्रीट बिजनेस

1960 में, शकुंतला ने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से ‘सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग’ में अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में सिविल इंजीनियरिंग में, सहायक प्रोफेसर और ‘हैवी स्ट्रक्चर लैबोरेट्री’ की प्रमुख रहीं।  

1970 में, शकुंतला और उनके पति ने अपने फर्म ‘क्वाड्रिकॉन’ की स्थापना की। यह एक पुल निर्माण फर्म है और इस फर्म की विशेषता इनके पेटेंटे कराए हुए, पहले से बनाए गए आधुनिक डिज़ाइन हैं।

कुछ रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने समाज की कई महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर गौर किया। सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश का मूल्यांकन किया और वे पूरा विकास करने में सक्षम रहे।

शकुंतला ने दुनिया भर के सैकड़ों पुलों के डिजाइन और निर्माण पर काम किया है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम के प्रॉजेक्ट भी शामिल हैं। उन्होंने लंदन के ‘सीमेंट ऐंड कंक्रीट एसोसिएशन’ के लिए शोध किया और ‘इंडियन रोड कांग्रेस’ की सदस्य भी रहीं।

क्वाड्रिकॉन द्वारा किए गए प्रोजेक्ट

‘टोटल सिस्टम पद्धति’ कंपनी का पेटेंट किया हुआ आविष्कार है। इसी आविष्कार के साथ कंपनी ने 1972 में हिमाचल प्रदेश के स्पीति में अपना पहला पुल बनाया। चार महीनों के भीतर, वे दो छोटे पुलों का निर्माण करने में सक्षम रहे। जल्द ही, अन्य जिलों और राज्यों में भी इस नई तकनीक के बारे में जानकारी मिलने लगी । 1978 तक, कंपनी ने कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक 69 पुल बनाए थे।

कुछ रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी प्रॉजेक्ट को व्यक्तिगत जोखिम पर उठाए गए धन के साथ पूरा किया गया था। सरकारी विभागों सहित कई निवेशक भी इसमें निवेश के लिए इच्छुक नहीं थे क्योंकि, कंपनी ऐसे जटिल शोध और विकास पर काम करने की सोच रही थी, जिसे विकसित देशों ने भी संचालित करने का प्रयास नहीं किया था।

अब तक, शकुंतला और उनके पति ने 200 से अधिक क्वाड्रिकॉन स्टील पुल डिजाइन किए हैं।

क्वाड्रिकॉन द्वारा नवाचार

हालांकि स्टील एक आदर्श निर्माण सामग्री है, लेकिन इसके साथ वेल्डिंग करने, जोड़ने, पेंच करने में काफी मुश्किल होती है। इसलिए, पुल के निर्माण के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता था।

इसकी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए 1968 में, क्वाड्रिकॉन ने ‘यूनीशर कनेक्टर’ विकसित किया। यह स्टील संरचनाओं को जोड़ने के लिए एक आदर्श उपकरण है। इसी कार्य के लिए, 1972 में इस दंपति को ‘इंवेंशन प्रोमोशन बोर्ड’ द्वारा सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

1993 में, शकुंतला को  ‘वुमन ऑफ द ईयर’ के खिताब से भी नवाज़ा गया था। 2012 में 79 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

मूल लेख: रौशनी मुथुकुमार

संपादन – प्रीति महावर

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