दिल्ली के आज़ादपुर इलाके में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के 51 वर्षीय कांस्टेबल जगबीर सिंह राणा ने 21 अप्रैल 2019 की शाम एक दंपति और तीन बच्चों की जान बचाने के लिए अपनी जान की आहुति दे दी।
लगभग 9:00 बजे, कॉन्स्टेबल राणा नई दिल्ली में आदर्श नगर और आज़ादपुर रेलवे स्टेशनों के बीच पटरियों पर गश्त लगा रहे थे, जब उन्होंने एक जोड़े को पास ही के एक ट्रैक पर बहस करते हुए देखा। दूसरी तरफ़ से आती हुई होशियारपुर एक्सप्रेस से ये दोनों बिलकुल बेख़बर थे।
ऐसे में कांस्टेबल राणा तेज़ी से उनकी ओर बढ़े और उन्हें ट्रेन से दूर धकेलने में सफ़ल रहे। साथ ही उन्होंने खुद को भी संभाल लिया। पर इसी बीच राणा को तीन बच्चे ट्रैक की दूसरी ओर नज़र आये। ये बच्चे पास ही में रहते हैं और यहाँ कचरा फेंकने आये थे और उस जोड़े का झगड़ा देखने के लिए वही रुक गए थे। अचानक राणा को आभास हुआ कि एक दूसरी ट्रेन उसी पटरी पर आ रही है, जहाँ बच्चे खड़े थे।
राणा उन्हें बचाने के लिए ज़ोर से चिल्लाये, जिससे बच्चे तो हट गए पर दुर्भाग्य से छलांग लगाने के बावजूद, राणा ट्रेन की चपेट में आ गए।
राणा अपने पीछे अपनी पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए हैं। उनका परिवार अब भी सदमे में है, पर फिर भी अंतिम संस्कार के लिए शव को गाँव ले जाने से पहले उन्होंने राणा की आँखें दान की।
राणा जुलाई 1989 में RPF में शामिल हुए थे और अपनी 29 वर्षों की सेवा के दौरान उन्हें दो बार (2008,2009) उत्कृष्ट सेवा पुरस्कार मिला था। आरपीएफ के डायरेक्टर जनरल अरुण कुमार ने कहा है कि राणा का नाम बहादुरी पुरस्कार (मरणोपरांत) के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।
द बेटर इंडिया इस बहादुर अधिकारी को सलाम करता है।