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पद्म श्री हिरबाई लॉबी: खुद पढ़ न सकीं, लेकिन सिद्दी समुदाय के 700 लोगों को किया शिक्षित

Hirbai Lobi receiving Padma Shree
खुद पढ़-लिख नहीं सकीं, लेकिन सिद्दी समुदाय के 700 लोगों को किया शिक्षित | Padma shri Award 2023 |

गुजरात के एक छोटे से गांव जम्बूर की रहनेवाली हिरबाई लॉबी खुद भले ही पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने न सिर्फ अपने सिद्दी कम्युनिटी के सैकड़ों लोगों को शिक्षित किया है, बल्कि उन्हें रोज़गार और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं भी मुहैया करा रही हैं। 1 जनवरी 1953 को गुजरात (गिर) के जंबूर गांव में जन्मीं हिरबाई ने बहुत छोटी सी उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था।

दादी ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया, लेकिन वह कभी स्कूल या कॉलेज नहीं गईं और फिर जब वह 14 साल की हुईं, तो उनकी शादी इब्राहिम भाई लॉबी से हो गई। शादी के बाद वह अपने पति के साथ ज़मीन के एक छोटे से टुकड़े पर खेती करके गुज़र बसर किया करती थीं।

हिरबाई, सिद्दी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जो जंबूर की कुल आबादी का 98 प्रतिशत हैं। असल में सिद्दी, अफ्रीकी जनजाति है, जिन्हें करीब 400 साल पहले जूनागढ़ के शासक, गुलाम बनाकर भारत लाए थे। गुजरात के सबसे ज्यादा पिछड़े समुदायों में से एक सिद्दी जनजाति के लोगों ने दशकों तक बेहद आभावों में जीवन जिया। कभी किसी ने उनके उत्थान के बारे में नहीं सोचा। लेकिन हिरबाई ने अपने समुदाय के हालातों को बदलने का फैसला किया।

सिद्दी कम्युनिटी की हिरबाई का अंदाज़ देख मुस्कुरा उठी सभा

हिरबाई आदिवासी महिला संघ की अध्यक्षा हैं। इस समूह को सिद्दी महिला संघ भी कहा जाता है। हिरबाई, सिद्दी समाज और महिला सशक्तीकरण के लिए किए गए अपने कार्यों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके उत्थान के लिए काफी काम किया है। साल 2004 में उन्होंने महिला विकास संघ की स्थापना की।

उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन अपने कामों की बदौलत वह गांव की नेता के तौर पर पहचानी जाती हैं। आज हिरबाई सौराष्ट्र के 18 गांवों में काम कर रही हैं। उन्होंने लोगों तक रोज़गार, स्वास्थ्य और पोषण पहुंचाने और जागरूकता फैलाने के लिए काफी काम किए।

हिरबाई ने 700 से ज्यादा महिलाओं और बच्चों को न सिर्फ शिक्षित किया, बल्कि रोज़गार से भी जोड़ा। उन्हें उनके इन कामों के लिए देश-विदेश से कई सम्मान मिल चुके हैं और अब उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। व्यक्तित्व में सादगी और आंखों में आंसू लिए हिरबाई जब पुरस्कार लेने आगे बढ़ीं, तो उनके शब्दों और ज़िंदादिली ने सबके दिल जीत लिए।

उन्होंने पुरस्कार लेते समय प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू के कंधों पर हाथ रखा और उनके इस अंदाज़ को देख खुद राष्ट्रपति भी अपनी मुस्कुराहट को रोक न सकीं। हिरबाई लॉबी और उनकी सादगी हम सबके लिए प्रेरणा है। हिरबाई को द बेटर इंडिया का सलाम!

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