कहते हैं, जहां चाह है वहां राह है! इस बात का सफल उदाहरण देखना है तो 21 साल के अमन रिज़वी से मिलिए। अमन जब अपना बल्ला हवा में घुमाते हैं और धड़ाधड़ स्ट्रोक मारते हैं तो भले उसकी आवाज उनके कानों तक नहीं पहुंचती, लेकिन दर्शकों की बजने वाली तालियों को वे जरूर महसूस कर लेते हैं। लखनऊ के रहने वाले अमन रिज़वी जन्म से ही सुनने और बोलने में असक्षम हैं लेकिन उनकी ये कमी कभी उनके हौसलों को कमजोर नहीं कर पाई।
90 फीसदी मूक बधिर होने के बावजूद अमन क्रिकेट चैंपियन हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी, लखनऊ का यह हरफनमौला खिलाड़ी जब स्टेडियम में उतरता है तो हर किसी की उम्मीदें इसी पर लगी होती हैं और अमन का शानदार प्रदर्शन देखकर हर कोई उनका मुरीद हो जाता है।
अमन से उन सभी दिव्यांग जनों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो ये सोचकर हिम्मत हार जाते हैं कि ईश्वर ने उन्हें फलां क्षमता नहीं दी।
एक आम बच्चे की तरह अमन को भी बचपन से ही क्रिकेट का शौक था। वह अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला करते थे। जब अमन के पिता सैय्यद इमाम ने अमन की क्रिकेट में रूचि देखी तो उनका क्रिकेट अकादमी में एडमिशन करवा दिया। तब से लेकर अमन बीते दस साल से क्रिकेट खेल रहे हैं और लखनऊ के यूनिटी क्रिकेट अकादमी से प्रशिक्षण ले रहे हैं। अमन रेग्युलर प्रैक्टिस करते हैं और बाएं हाथ से स्पिन गेंदबाज़ी भी करते हैं।
अमन क्रिकेट ही नहीं बल्कि पढ़ाई में भी अच्छे हैं। वे कोई भी चीज झट से सीख लेते हैं। अमन के पिता का कहना है कि उनके दो बेटे हैं, लेकिन अमन पर उन्हें ज्यादा गर्व है क्योंकि अमन ज्यादा समझदार है। वे अमन को लेकर निश्चिंत रहते हैं।
अमन ने अपनी जीत का पताका सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फहराया है। साल 2016 में दुबई में आयोजित डेफ इंटरनेशनल क्रिकेट चैंपियनशिप में उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ शानदार बैटिंग की और इंडियन टीम को जीत दिलाई थी। इस मैच में वे मैन ऑफ द मैच भी थे। इसके बाद वर्ष 2017 में एशिया डेफ कप में बांग्लादेश और नेपाल के खिलाफ अच्छी पारी खेलने पर उन्हें फिर मैन ऑफ द मैच चुना गया। इस मैच में उन्होंने 74 रन बनाए और 7 विकेट लिए थे। इस शानदार प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पूरी टीम को सम्मानित भी किया था।
साल 2018 में अमन आईपीएल पंजाब में ‘मैन ऑफ द मैच’ के अलावा ‘मैन ऑफ द सीरिज़‘ भी थे और उन्हें ईनाम में कार दी गई थी।
जब अमन का जन्म हुआ और उनके माता-पिता को यह पता चला कि उनका बेटा बोल और सुन नहीं सकता है वे बहुत परेशान हो गए। किसी भी माँ-बाप के लिए ये दुख की ही बात होगी। उन्होंने कई डॉक्टरों से इसके बारे में बात की कि शायद कोई इलाज हो, लेकिन हर जगह निराशा ही मिली। डॉक्टर्स का कहना था कि अभी तक ऐसी कोई मशीन नहीं बन पाई है जिससे इस कमी को दूर किया जा सके, ऑपरेशन एक विकल्प हो सकता है लेकिन उसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में वे इतना बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहते थे। तब उन्होंने सोचा कि हम अपने बेटे की परवरिश इतनी अच्छी करेंगे कि उसे इस कमी का अहसास ही नहीं होगा।
”जब लोग उससे आकर हाथ मिलाते हैं और सेल्फी लेते हैं तो हम वह दिन एक बार फिर याद करते हैं, जब डॉक्टर ने हमसे कहा था कि हमारा बेटा बोल और सुन नहीं सकता। आज अमन भले कुछ बोलता, सुनता न हो लेकिन उसे हजारों लोग सुनते हैं, ” अमन रिज़वी के पिता ने कहा।
साल 2019 में लखनऊ में आयोजित विश्व दिव्यांग दिवस पर तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक ने आठ अलग-अलग श्रेणियों में 16 दिव्यांग जनों को उनके सराहनीय कार्यों को देखते हुए सम्मानित किया था, जिसमें अमन रिज़वी भी शामिल थे। अमन नेशनल और इंटरनेशनल मिलाकर अब तक 20 पदक जीत चुके हैं। अमन अब तक अंडर 16 और अंडर 19 में चयनित हो चुके हैं और अब वे आईपीएल भी खेलना चाहते हैं।
अमन के पिता सैय्यद इमाम अली कहते हैं, ”परेशानी इस बात की है कि अमन नॉर्मल ट्रेनिंग लेते हैं और नॉर्मल खिलाड़ियों के साथ ही खेलते हैं। लेकिन जब चयन की प्रक्रिया होती है तो कोच ये सोचकर उसे टीम में लेने से कतराते हैं कि वो सुन और बोल नहीं पाएगा तो परेशानी होगी। वे लखनऊ डिवीजन तक तो खिलाते हैं लेकिन उसके आगे जब स्टेट लेवल की बात आती है तो पीछे हट जाते हैं। जबकि ये गलत सोच है क्योंकि क्रिकेट खेलने के लिए बोलना और सुनना बहुत जरूरी तो नहीं है। अमन जैसे बच्चों के पास भी बहुत प्रतिभाएं होती हैं लेकिन जब तक इन्हें मौका नहीं मिलेगा, ये आगे कैसे बढ़ेंगे।
अमन ही नहीं बल्कि उनके जैसे कई ऐसे बच्चे हैं जो सही अवसर की तलाश में रहते हैं। देश में BCCI के पास ऐसे बच्चों के लिए अभी तक कोई सुविधा नहीं है, जिससे वे क्रिकेट के क्षेत्र में आगे बढ़ सके। इंटरनेशनल डेफ क्रिकेट एकेडमी ऐसे बच्चों को मौका देती है लेकिन उसके लिए भी खिलाड़ियों को खर्च खुद ही उठाना पड़ता है।
अमन एक्टिंग के भी शौकीन हैं। इसके अलावा वे कार और बाइक भी अच्छे से चला लेते हैं। अमन के माता-पिता को अपने इस होनहार बेटे पर बहुत नाज़ है।
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संपादन – भगवती लाल तेली