‘मन में कुछ करने की लगन हो तो ईश्वर आपकी मदद जरूर करता है’!
पहली पंक्ति में कही गई ये बात सिर्फ एक कहावत नहीं बल्कि आकांक्षा गुप्ता का अनुभव है। इंदौर में रहने वाली 27 साल की इस युवती के जीवन में एक ऐसा महत्वपूर्ण पल आया, जिसने इन्हें समाज के प्रति जागरूक बना दिया।
27 साल की आकांक्षा पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वह AV वर्ल्ड वेब नामक स्टार्टअप कंपनी की CEO हैं। ये कंपनी सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से जुड़ी है और इस कंपनी की नींव रखते समय आकंक्षा का मकसद था अपने भाई का सपना पूरा करना। उनके भाई की इच्छा थी कि वह किसी दिन किसी कंपनी की मालकिन बने। लेकिन, आकांक्षा को क्या पता था कि उसी कंपनी और अपने कर्मचारियों की मदद से वह ऐसा कुछ कर पाएंगी जिनसे कई ज़रूरतमंदों की ज़िंदगी में खुशियां आ सकें।
वो शाम जिसने बदल दी ज़िंदगी
20 फरवरी, 2018 को आकांक्षा के भाई विनीत की शादी की रिसेपशन पार्टी थी। जाहिर है शादी, जन्मदिन या अन्य कई बड़े इवेंट्स में मेहमानों की संख्या से थोड़ी अधिक मात्रा में खाना बनवाया जाता है, जो अधिकतर बच भी जाता है। इस बचे हुए खाने को हम कुछ अपने लिए रखते हैं, कुछ नातें-रिश्तेदारों में बाँट देते हैं और फिर भी कुछ बच जाता है तो गरीबों को बाँट देते हैं।
रिसेपशन के बाद आंकाक्षा के घर यही स्थिति उत्पन्न हुई। बचे हुए खाने को अकांक्षा के घरवालों ने एक NGO को दान कर दिया। आकांक्षा बताती हैं कि, “इस एक घटना के बाद मुझे ख्याल आया कि इंदौर में हर दिन ऐसे कार्यक्रम होते रहते हैं, जाहिर है इन कार्यक्रमों में भी खाना बचता होगा तो, क्यों न एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए जिससे बचा हुआ सारा खाना ज़रूरतमंदों तक पहुँच सके और वो भी घर बैठे।” आंकाक्षा की इसी सोच का नतीजा निकला ‘दानपात्र ’
क्या है दानपात्र?
‘दानपात्र’ – दान का अर्थ तो हम समझते ही हैं और ‘पात्र’ मतलब बर्तन। दानपात्र एक ऐप्लीकेशन है या कहें एक माध्यम है जिससे लोगों की मदद की जाती है। इंदौर में कई सारी गैर-लाभकारी संगठन हैं। इन संस्थाओं की मदद करने का तरीका अलग-अलग है, कुछ संस्थाएं कपड़े बाँटती है, कुछ किताबें, कुछ खाना आदि। आकांक्षा का मकसद था, इन सभी संस्थाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर लेकर आना, ताकि लोग अपनी आवश्यकत्तानुसार NGO से संपर्क कर सकें।
चुनौती से जीत का सफर
आकंक्षा ने जब इस सिलसिले में शहर के कई एनजीओ के सामने प्रस्ताव रखा तो किसी ने उस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। एप्लीकेशन तैयार था, आकांक्षा तैयार थीं, पीछे हटना भी स्वीकार नहीं था। इसलिए उन्होंने एक नए आइडिया के साथ एक टीम तैयार की। आकांक्षा ने अपनी कंपनी के सभी 40 कर्मचारियों को इस एप्लीकेशन के बारे में बताया और साथ में उनसे ऐप्लीकेशन के संचालन में सहयोग माँगा। आकांक्षा ने अब खुद ही दान देने वाले और दान लेने वालों के बीच का माध्यम बनकर काम करने की ठान ली। आकांक्षा की टीम भी राज़ीखुशी उनका सहयोग करने को तैयार हो गई, और इस तरह बन कर उभरा दानपात्र ऐप।
कैसे काम करता है यह ऐप?
एप्लीकेशन गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। अगर आपके घर में अनुपयोगी सामान जो आपके लिए कबाड़ की श्रेणी में आता है जैसे कपड़े, पुरानी किताबें, खिलौने, बैग, पुरानी टीवी, पंखा आदि मौजूद हैं, तो उसकी की फोटो खींच लें। इसके बाद सारे फोटो को घर के पते के साथ एप्लीकेशन में अपलोड करें। इसके बाद दानपत्र की टीम 7 से 21 दिनों के भीतर आपके घर आकर सामान ले लेगी और एक तय दिन में ज़रूरतमंदों में बाँट देगी।
आकांक्षा बताती हैं, “पहले दान में मिलने वाली चीज़ों की स्थिति बहुत ख़राब हुआ करती थी। हमें उन्हें रिसायकल करना पड़ता था ताकि वह इस्तेमाल के योग्य बन जाए। इस पूरी प्रक्रिया में, मैं अपनी कंपनी की सेविंग्स खर्च करती थी, लेकिन अब धीरे- धीरे लोग समझने लगे हैं और इसलिए अब हमें ठीक-ठाक अवस्था में सामान मिलते हैं।”
दानपात्र ऐप में भी समय के साथ बदलाव हुआ, पहले एप्लीकेशन से सिर्फ खाना ही बाँटा जाता था। लेकिन बाद में इंदौर की एआईजी सोनाली दुबे के सुझाव के बाद अन्य जरूरी सामान भी बाँटा जाने लगा। एआईजी सोनाली का कहना था कि लोगों को खाने के अलावा अन्य जरूरी वस्तुएं जैसे कपड़े, किताबें आदि की जरूरत पड़ती है। जिसके बाद एप्लीकेशन में ये विकल्प जोड़ दिया गया। आज स्थिति ये है कि, दानपात्र में भोजन से ज्यादा अन्य चीज़ें भारी मात्रा में मिलने लगीं हैं।
दानपात्र ऐप्लीकेशन को बने हुए डेढ़ साल हो चुके हैं। इन बीते दिनों में इस ऐप्लीकेशन से इंदौर के 30 से 40 हज़ार लोग जुड़ चुके हैं और अब तक 3 लाख जरूरतमंदों की मदद हो चुकी है। दानपात्र अभी सिर्फ इंदौर तक ही सीमित है, कारण आकांक्षा की टीम में लोग कम हैं। अन्य शहरों में काम करने के लिए उन्हें और लोगों की आवश्यकता है।
ऑफिस में आकर लोग करते हैं डोनेट
आकांक्षा कहती हैं कि, ‘भले ही आज हमारा काम इंदौर तक ही सीमित है लेकिन अब दूसरे शहरों से भी हमारे पास दान आने लगे हैं। लोग हमारे ऑफिस में दान दे जाते हैं। इसी कड़ी में टीवी के मशहूर सीरियल जैसे ‘दिया और बाती हम’ में मीनाक्षी का किरदार निभाने वालीं अदाकारा कनिका माहेश्वरी ने दिल्ली से हमें अपना सामान डोनेट किया। इसके अलावा ‘भाभी जी घर पर हैं’ में मनमोहन तिवारी का किरदार निभाने वाले रोहिताश गौड़ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से दानपात्र के काम की सरहाना करते हुए उसे शेयर किया।”
आकांक्षा बताती हैं कि लोग उन्हें दान में रुपए भी ऑफर करते हैं लेकिन वह रुपए नहीं लेतीं। उनका मानना है कि जब तक वह सक्षम हैं तब तक वह किसी से रुपए दान में नहीं लेगीं। रुपये देने वालों से आंकाक्षा, कुछ सामान खरीदकर दान देने के लिए कहतीं हैं।
मेले में फ्री में मिलता है सामान
आकांक्षा की टीम इंदौर के आसपास के शहरों में मेले का भी आयोजन करती है। मेले में लोगों द्वारा दान की गई वस्तुओं को रखा जाता है। ये सामान नए और पुराने दोनों ही तरह के होते हैं। जरूरतमंद लोग यहाँ आते हैं और अपनी ज़रूरत का सामान निःशुल्क ले जाते हैं। दानपात्र की टीम देवास, मंदसौर, महू समेत इंदौर के आस-पास के शहरों में मेले का आयोजन कर चुकी है।
कहते हैं न कि, दान देने वाले के जीवन में कुछ नहीं बदलता लेकिन दान मिलने वाले का जीवन बदल जाता है। आकांक्षा बताती हैं कि इन मेलों में दानदाता बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। दान लेने वाले उस जरूरतमंद इंसान के चेहरे पर उभरने वाली खुशी का अनुभव ये मददगार भी लेना चाहते हैं।
परिवार वालों को देती हैं इस सफर का श्रेय
अपनी इस पहल के लिए आकांक्षा अपने पिता को श्रेय देते हुए कहतीं हैं, “मेरे पापा ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है। वह हमेशा लोगों की मदद करते आए हैं और बचपन से उनकी इसी अच्छी आदत को देखते हुए मैं बड़ी हुई हूँ। दानपात्र उसी का फल है। साथ ही, यह काम घरवालों के सपोर्ट के बिना मुश्किल है। जब दानपात्र शुरू किया था, तब रिश्तेदारों को आपत्ति हुई थी। कहते थे खुद की कंपनी खड़ी कर ली है, उसमें फोक्स करो। इन सब चीज़ों में मत उलझों, अभी अपना करियर बनाओ। लेकिन माता- पिता और भाई का पूरा सपोर्ट था, जिसके बाद मैं यह काम नि:संकोच कर रही हूँ। मेरे लिए माता- पिता की तरफ से मिली आज़ादी ही मेरे लिए सबसे बड़ा सपोर्ट है क्योंकि सब को आज़ादी नहीं मिलती।”
आज आकांक्षा के पास खुद की कंपनी के अलावा दानपात्र जैसी बड़ी जिम्मेदारी भी है। लेकिन, उन्हें अपने दोनों ही कामों से खुशी और संतुष्टि मिलती है। अंत में वह कहतीं हैं,
“आज दुनिया में हर इंसान 3 मूलभूत सुविधाओं, रोटी-कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष करता है। यदि इंसान ये तीनों कमाने में सक्षम हो जाता है तो, उसका समाज के प्रति कर्तव्य बढ़ जाता है। यदि हम सक्षम हैं तो, हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम भी समाज के उस तबके की ज़रूर मदद करें जिसके पास ये तीनों सुविधाएं नहीं हैं।”
अगर आप भी दानपात्र की टीम से जुड़ना चाहते हैं तो फेसबुक या मोबाइल नंबर 7828383066, 6263362660 पर संपर्क करें!
संपादन – अर्चना गुप्ता