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केवल खाने और कपड़ों का ही नहीं, सड़क पर रह रहे भिखारियों की सफाई का भी ख्याल रखता है यह युवक!

ayaan khan bhopal

बच्चे को रेनकोट पहनाते अयान।

भोपाल के अयान खान से मिलने के बाद आपको इस पर यकीन हो जाएगा कि मदद करने वाले कैसे भी मदद कर लेते हैं। वे इस बात का इंतज़ार नहीं करते कि मैं यह कैसे कर पाउँगा या यह मुझसे कैसे होगा। अयान पिछले कई सालों से जरूरतमंद और बेसहारा लोगों की मदद करके मानवता का धर्म निभा रहे हैं। उन्हें यदि सोशल वर्क का ऑलराउंडर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि इंसान से लेकर बेजुबान तक, अयान के दिल में सबके लिए जगह है।

अयान खान।

इस बार भोपाल में बारिश ने कई रिकॉर्ड तोड़े, साधन-संपन्न लोगों ने तो बारिश का जमकर लुत्फ़ उठाया लेकिन उनके लिए यह ‘राहत’ ‘आफत’ बन गई, जिनके पास सिर छिपाने तक के लिए जगह नहीं है। ऐसे में अयान ने उनकी ‘आफत’ को कुछ हद तक कम करने का प्रयास किया। उन्होंने गरीबों में रेनकोट बांटे। पेशे से कांट्रेक्टर अयान मौसम और ज़रुरत के हिसाब से बेसहारा लोगों की मदद करते हैं। जैसे सर्दियों में वह गर्म कपड़े बांटते हैं और गर्मियों में चप्पल ताकि अंगारों सी दहकती सड़कों पर किसी को नंगे पैर न चलना पड़े।

लोगों को ओढ़ने के लिए देकर जीवन को बेहतर बनाने की एक कोशिश।

अयान ने केवल कपड़े आदि बांटने तक ही खुद को सीमित नहीं रखा है, उनके सामाजिक सरोकार का दायरा बेहद विस्तृत है। वह उन लोगों के लिए भी हरदम तैयार रहते हैं, जिनके पास जाना तक किसी को गंवारा नहीं। उदाहरण के तौर पर सड़क किनारे मटमैले और बदबूदार कपड़ों में बैठा व्यक्ति, जिसे देखकर ऐसा लग रहा है कि वो कई महीनों से नहाया तक नहीं। क्या आप उसकी मदद करेंगे? आपका फैसला चाहे जो हो, लेकिन अयान का जवाब हमेशा ‘हाँ’ होता है। वह ऐसे दर्जनों लोगों को नया रूप दे चुके हैं।

इस बारे में अयान कहते हैं, “बीमारियां गंदगी से जन्म लेती हैं, इसलिए मेरी कोशिश रहती है कि सड़क किनारे बैठने वाले भिखारी भी साफ़-सुथरे रहें। क्योंकि बीमार होने पर हमें इलाज मिल जाएगा, लेकिन शायद उन्हें न मिले। कुछ वक़्त पहले मुझे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली थी, जिसके बाल गंदगी के चलते जुड़ गए थे और उनमें जुएँ हो गई थी। उसके पास दो मिनट खड़े होना भी मुश्किल था, वो जहाँ भी जाता, लोग भगा देते। मैंने सबसे पहले उसके बाल काटे, नहलाया और साफ़ कपड़े दिए।”

बेसहारा व्यक्ति के बाल काटते अयान।

अयान कई ऐसे घायल लोगों का भी इलाज कर चुके हैं, जिनके लिए खुद अस्पताल जाना संभव नहीं था। वैसे तो अयान खान को बचपन से ही दूसरों के लिए कुछ करना अच्छा लगता था, लेकिन ‘परिवार के हीरो’ से ‘शहर के हीरो’ बनने की शुरुआत कुछ साल पहले तब हुई जब ठिठुरती रात में वह किसी काम के सिलसिले में बाहर निकले। रास्ते में उन्होंने देखा कि फुटपाथ पर कुछ लोग बिना किसी गर्म कपड़े के बैठे हैं, वह तुरंत वापस गए और रजाई सहित गर्म कपड़े लाकर उन्हें दे दिए।

अयान कहते हैं, “मैं यह देखकर हिल गया कि जब मुझे जैकेट में इतनी सर्दी लग रही है तो उनका क्या हाल हो रहा होगा। इस वाकये के बाद से मैं लगातार सर्दियों में वूलन, गर्मियों में चप्पल और बरसात में रेनकोट आदि बांटता आ रहा हूँ।”

 

गरीब-भिखारियों को साफ़-सुथरा रखने की उनकी शुरुआत एक घटना से हुई। एक दिन गरीबों को कपड़े बांटते-बांटते उनकी नज़र एक ऐसे शख्स पर गई जो सबसे दूर अकेले बैठे थे। जब वे उनके पास गए तो समझ आया कि बाकी लोग उनसे दूर क्यों हैं। उनके पैर में घाव था, शरीर से बदबू आ रही थी। अयान ने उनसे पूछा कि आपके बाल काट दूं, तो वह झट से तैयार हो गए। अयान ने उनका सिर शेव किया, घाव पर दवा लगाई और साफ़ कपड़े दिए। बस तभी से ये सिलसिला आज तक चलता आ रहा है।

बेसहारा व्यक्ति का इलाज करते अयान।

इंसानों के साथ-साथ अयान बेजुबानों के भी हीरो हैं। वह अब तक अनगिनत जानवरों की जिंदगी बचा चुके हैं। जिसमें आवारा कुत्तों, गायों से लेकर सूअर तक शामिल हैं। अयान मुस्लिम समुदाय से आते हैं, जिसमें ‘सूअर’ जैसे पशुओं को नापाक माना जाता है। लिहाजा उनके लिए एक अलग राह पर चलना बिल्कुल भी आसान नहीं था।

इस बारे में वह कहते हैं, “जब आप समाज की सोच के विपरीत कुछ करते हैं, तो परेशानियां आती हैं फिर भले ही आपका इरादा कितना भी नेक क्यों न हो। हालांकि, मेरी कोशिश रहती है कि मैं लोगों को समझा सकूँ कि हर धर्म बेजुबानों पर दया की सीख देता है। इसलिए मैं जो कुछ कर रहा हूँ उसे किसी भी नज़रिए से गलत नहीं कहा जा सकता।”

अयान ऐसी दर्जनों गायों को भी ठीक कर चुके हैं, जो इलाज के अभाव में शायद दम तोड़ देतीं। गायों का मुद्दा पिछले कुछ समय से काफी संवेदनशील बन गया है, तो क्या कभी डर नहीं लगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘देखिये सच कहूँ तो डर लगता है, पर मैं डर के चलते किसी बेजुबान को तड़पते नहीं छोड़ सकता।’

अयान ने पूरे भोपाल में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। इंसान से लेकर बेजुबान तक यदि किसी को मदद की दरकार होती है, तो सबसे पहला कॉल अयान को ही जाता है। दिन भर में उन्हें एनिमल इमरजेंसी से जुड़े 4-5 कॉल आ ही जाते हैं। अयान एयरपोर्ट रोड इलाके में रहते हैं, जो कि मुख्य शहर से काफी दूर है। ऐसे में काम के साथ-साथ समाज सेवा के लिए वक़्त निकालना उनके लिए मुश्किल भी होता है। एयरपोर्ट रोड से कोलार रोड यानी शहर के अनार का हिस्सा, की दूरी करीब 18 किलोमीटर है ऐसे में कभी-कभी उन्हें दिन में 3-4 चक्कर तक लगाने पड़ जाते हैं। काम के साथ-साथ मुश्किल होती है, लेकिन उनके लिए दोनों ही ज़रुरी है इसलिए मैनेज हो जाता है।

बीमार की सहायता करते अयान।

जानवरों के इलाज से लेकर गरीब-बेसहारा लोगों की मदद तक का खर्चा अयान खुद ही उठाते हैं। वह अपनी कमाई का एक हिस्सा सोशल वर्क के लिए अलग से निकाल देते हैं फिर ज़रूरत के हिसाब से उन्हें खर्च करते रहते हैं। अयान खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें अपने इस अभियान में परिवार वालों का साथ मिला।

वह कहते हैं, “मेरे घरवालों ने कभी मुझे दूसरों की मदद करने से नहीं रोका, फिर चाहे वह बेजुबान जानवर हो या इंसान। हाँ, उनकी एक शिकायत हमेशा रहती है कि मैं उन्हें पर्याप्त समय नहीं दे पाता।”

अयान को अपने नेक कार्यों के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है। वाकई अयान जैसे लोग हम सबके लिए एक मिसाल है। जिन गरीब, बेसहारा लोगों को देखने के बाद भी हम उनकी मदद नहीं कर पाते हैं ऐसे में अयान का इस तरह सेवा भाव से काम करना किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

यदि आप अयान खान के इस अभियान का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उनसे 9753360151 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन – भगवती लाल तेली 


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