Site icon The Better India – Hindi

अब एक मशीन से रोपें कई तरह के बीज, छात्र के आविष्कार को मिला बालशक्ति पुरस्कार

Rakeshkrishna K. Seedographer

किसानी एक ऐसा पेशा है, जिसमें कई तरह की समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ता है। वह चाहे बाढ़ की समस्या हो या फिर सूखा। इसके अलावा भी कई तरह की परेशानियों का सामना हर साल किसान करते हैं। जैसे पलायन के कारण खेती में मदद के लिए हुनरमंद कामगार आसानी से नहीं मिल पाते हैं। साथ ही, कृषि के लिए बाजारों में उपलब्ध बड़ी-बड़ी मशीनें सभी किसान नहीं खरीद सकते हैं। अगर कोई खरीद भी ले तो जरुरी नहीं कि मशीन किसानों की जरूरत के हिसाब से ही काम करे। लेकिन इन समस्याओं से घबराकर खेती छोड़ना हल नहीं है बल्कि सबको मिलकर इन परेशानियों का समाधान ढूंढ़ना चाहिए। जैसा कि यह 16 साल का छात्र कर रहा है। 

कर्नाटक के दक्षिण कन्नडा के पुत्तुर में रहने वाले राकेश कृष्ण के. मंगलुरु के एक्सपर्ट पीयू कॉलेज में 12वीं कक्षा के छात्र हैं। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने किसानों के लिए एक खास तरह की मशीन बनाई है, जिससे किसान बहुत ही आसानी से कई तरह की फसलों के बीजों की रोपाई कर सकते हैं। बीजों की रोपाई के अलावा भी यह मशीन और कई काम करती है। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए राकेश ने बताया कि उन्होंने अपनी मशीन को ‘सीडोग्राफर’ नाम दिया है। अपने इस नवाचार के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं। जिनमें साल 2021 का प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बालशक्ति पुरस्कार भी शामिल है। राकेश ने बताया, “मेरे पिता एक किसान हैं और माँ कॉलेज में प्राध्यापिका हैं। बचपन से ही खेती से जुड़े होने के कारण मुझे किसानों की परेशानियों की समझ होने लगी थी। लेकिन तब यह नहीं पता था कि इन परेशानियों को हल कैसे कर सकते हैं? हमारे घर में एक पुराना ‘ड्रम सीडर’ है। लेकिन यह कभी भी बहुत प्रभावी ढंग से खेती में काम नहीं आया क्योंकि इसे किसानों की जरूरत के हिसाब से नहीं बनाया गया है। इसलिए मुझे लगा कि खेती के लिए कोई ऐसी मशीन होनी चाहिए जिस किसान सिर्फ एक नहीं बल्कि कई कामों के लिए इस्तेमाल में ले सकें।” 

RakeshKrishna K.

11 साल की उम्र से ही शुरू कर दिया था मशीन पर काम 

राकेश ने आगे बताया कि मशीन बनाने की प्रेरणा उन्हें अपनी बड़ी बहन रश्मिपार्वती से मिली। उनकी बहन बायोलॉजी के क्षेत्र में जर्मनी से पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मेरी बहन हमेशा अपने साइंस प्रोजेक्ट्स में लगी रहती थीं। उन्होंने अपने कई प्रोजेक्ट्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय गोल्ड मैडल भी जीते। वह मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं। हालांकि, उनका विषय बायोलॉजी है और मुझे मैकेनिकल क्षेत्र में रूचि है। लेकिन उनके साथ से मुझे शुरू में बहुत मदद मिली। माता-पिता के साथ के अलावा, स्कूल-कॉलेज से भी अध्यापकों का साथ मिला।”

साल 2015 में राकेश ने अपने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। उन्होंने देखा कि फसल की रोपाई के समय उनके पिता को और दूसरे किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी होती है। ज्यादातर किसान या उनके खेतों में काम करने वाले लोग हाथ से बीजों को खेतों में फेंकते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में खेत में समान रूप से रोपाई नहीं हो पाती है। साथ ही, बीजों के अंकुरित होने की दर भी कम रहती है। इस कारण किसानों को उत्पादन भी कम मिलता है। “मैंने सोचा कि किसानों को एक ऐसी मशीन की जरूरत है जो व्यवस्थित ढंग से रोपाई करे। साथ ही, यह कीमत में किफायती होनी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसे ले पाएं। इसी सोच के साथ मैंने अपने प्रोजेक्ट की शुरुआत की,” उन्होंने कहा। 

‘सीडोग्रॉफर’ मशीन को मुख्य रूप से रोपाई के लिए तैयार किया गया था। लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों में राकेश ने इसमें कई तरह के बदलाव किए हैं और अब यह मल्टीपर्पज मशीन की तरह इस्तेमाल हो सकती है। 

Currently, Rakesh is working on ‘Tripadi’ Model to sow seeds in three lanes at a time

उन्होंने कहा, “सीडोग्राफर से आप धान, रागी, ज्वार, और चना जैसी फसलों के बीजों की आसानी से रोपाई कर सकते हैं। साथ ही, बीज लगाने के बाद मशीन से ही उसे पानी और खाद भी दिया जा सकता है। साथ ही, इसमें एक प्लेट भी लगी है, जो बीज जमीन में बोने के बाद, इसके ऊपर मिट्टी डालती है, जिससे कोई पक्षी या कीड़ा बीजों को खाये नहीं। धान की फसल के लिए किसान पहले खेत में पानी भरकर रोपाई करते हैं और पौध के तैयार होने के बाद इसे दूसरी जगह लगाया जाता है। लेकिन मेरी मशीन से सूखे खेत में ही रोपाई हो सकती है।” 

उनका दावा है कि किसान को हाथ से एक हेक्टेयर की बुवाई करने में दो-तीन दिन का समय लगता है। लेकिन इस मशीन से वे मात्र 15-16 घंटे में बुवाई कर सकते हैं। साथ ही, खेत में बिना पानी भरे भी बुवाई हो सकती है। इसलिए किसान लगभग 40% पानी की बचत कर सकते हैं। सीडोग्राफर से खेत में बीजों को समान दूरी और गहराई में लगाया जा सकता है। ताकि सभी बीजों को पनपने के लिए पर्याप्त जगह और पोषण मिले। इससे कटाई के बाद फसल का उत्पादन भी ज्यादा मिलता है। फिलहाल, उनकी मशीन से सिर्फ एक ही कतार में बुवाई होती है। लेकिन उनकी कोशिश है कि वह इसमें और बदलाव करें ताकि एक साथ तीन कतारों में बुवाई हो सके।

राकेश के पिता, रविशंकर बताते हैं कि उन्होंने अपने खेतों में सीडोग्राफर का इस्तेमाल किया है और उनके उत्पादन में लगभग 20% तक की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, “राकेश की मशीन को हमने अपने खेतों में ही नहीं बल्कि दूसरे किसानों के खेतों में भी प्रयोग किया है। मेरे बहुत से किसान दोस्तों के खेतों में जाकर इसे इस्तेमाल किया ताकि पता चल सके कि क्या यह सभी तरह की मिट्टी, जमीन के लिए सही है या नहीं? राकेश ने जो पहला प्रोटोटाइप बनाया था, उसके बाद भी उसने बहुत से बदलाव करके इसे और एडवांस बनाया है।” 

Rakesh with a local farmer

जीते कई राष्ट्रीय पुरस्कार 

राकेश कहते हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार के विज्ञान और तकनीक विभाग द्वारा आयोजित नैशनल ‘इंस्पायर अवॉर्ड’ भी जीता है। इसके अलावा, उन्हें 2017 में नैशनल इनोवेशन फेस्टिवल के दौरान राष्ट्रपति भवन में भी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपने इस अविष्कार को दिखाने का मौका मिला था। इस साल उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार के लिए चुना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे वर्चुअल मुलाक़ात की और इस मशीन के बारे में जानकर उनकी सराहना की। 

राकेश को उनके आविष्कार के लिए अप्रैल 2020 में SAKURA- International Science Exchange प्रोग्राम के लिए भी चुना गया था। लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह कार्यक्रम स्थगित हो गया।

सीडोग्राफर के अलावा भी राकेश कई और प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “मैंने सीडोग्राफर के कई मॉडल तैयार किए हैं। जिनकी कीमत इनकी तकनीक के आधार पर पांच हजार रुपए से लेकर 12 हजार रुपए तक हो सकती है। बहुत से लोगों ने मुझसे इस मशीन के डिज़ाइन के लिए संपर्क किया है। लेकिन मैं इसे और एडवांस बनाना चाहता हूं ताकि रोपाई, जुताई जैसे कामों के साथ-साथ किसान इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी जांच सकें। मेरा उद्देश्य किसानों की जरूरत के हिसाब से इस मशीन को तैयार करना है। इसलिए मैं अलग-अलग इलाकों के किसानों से मिलकर मशीन को प्रयोग कर रहा हूं ताकि मुझे पता चल सके कि इसमें और क्या कमी है।” 

Presenting Seedographer to the former president

हालांकि, उनकी यह मशीन अब तक सफल रही है। उनके इलाके के एक किसान, गोपाला कहते हैं, “यह कमाल की मशीन है और बहुत ही आसानी से इसे काम में लिया जा सकता है। राकेश के प्रोटोटाइप को मैंने खुद इस्तेमाल किया है और मुझे काफी मदद मिली है। मैंने खुद उससे यह मशीन खरीदना चाहता हूँ और दूसरों को भी सलाह देता हूँ।  

दिल्ली में उनकी मुलाकात हरियाणा और राजस्थान के भी बहुत से किसानों से हुई और सबने उनकी मशीन की सराहना की। अब राकेश का उद्देश्य इसे जल्द से जल्द किसानों के लिए लॉन्च करना है। 

यह वीडियो देखें:

अगर आप इस मशीन के बारे में अधिक जानना चाहते हैं या उनसे संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें ravi4keshara@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: Video: मैकेनिक ने बनाई ‘साइकिल आटा-चक्की’, अनाज पीसने के साथ होगा स्वास्थ लाभ भी

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version