कोमा या किसी भी गंभीर बीमारी की वजह से महीनों तक हॉस्पिटल में एडमिट मरीज़ों को खाना खिलाने, बाथरूम ले जाने या हाथ धोने जैसे छोटे-छोटे काम करने के लिए हॉस्पिटल स्टाफ या परिवार वालों को कई तक़लीफ़ें उठानी पड़ती हैं। लेकिन अगर कोई ऐसी सुविधा मिल जाए जिससे बेड पर रहते मरीज़ के सारे काम हो जाएं, वह भी बिना ज़्यादा मेहनत के तो?
ऐसा ही एक मल्टीपर्पस बेड कोमा या एमर्जेन्सी के मरीज़ों के लिए तैयार किया गया है। यह बेड कई तरह की सुविधा से लैस है, इसमें पानी का कनेक्शन है और वॉश बेसिन और कमोड जैसी सुविधाएं भी हैं। मरीज़ इसमें आराम से बैठ भी सकता है, और सो भी सकता है।
यह आविष्कार आम आदमी के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है।
देश भले ही चाँद तक पहुँच जाए या बड़े से बड़ा रॉकेट बना ले। लेकिन जब तक सुविधाएं आम आदमी तक नहीं पहुँचतीं, तब तक किसी देश का विकास और प्रगति मुमकिन नहीं है। आम आदमी के जीवन को आसान बनाने का बेहतरीन प्रयास कर रहे हैं, तेलंगाना के 59 वर्षीय प्रभाकर अल्लादि।
उन्होंने अपनी सूझ-बूझ का इस्तेमाल करके इस बेहतरीन मल्टीपर्पस बेड को तैयार किया है। प्रभाकर कोई बड़े इंजीनियर या साइंटिस्ट नहीं हैं, बल्कि वह एक 10वीं पास इलेक्ट्रीशियन हैं। लेकिन उन्होंने एक नहीं, लगभग 20 ऐसे आविष्कार किए हैं, जो आम लोगों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए मेटपल्ली (तेलंगाना) के रहने वाले प्रभाकर कहते हैं, “अभी भी मेरे दिमाग में 100 से ज़्यादा आईडियाज़ भरे हुए हैं। आम आदमी की मदद के लिए मैं और कई तरह की मशीनें बनाना चाहता हूँ।”
वह ‘प्रभात इंडस्ट्रीज़’ नाम से एक कंपनी चलाते हैं और यहीं पर मशीन बनाने का काम भी कर रहे हैं।
12 साल की उम्र से शुरू किया काम
प्रभाकर एसी से लेकर जनरेटर तक, हर तरह के इलेक्ट्रिक उपकरण बनाने में माहिर हैं। उन्होंने यह हुनर अपने पिता से सीखा था। जब वह मात्र 12 साल के थे तब से वह अपने पिता के साथ काम पर जाया करते थे। वह बताते हैं, “मुझे यह काम बचपन से काफ़ी दिलचस्प लगता था। 10वीं पास करने के बाद मैंने खुद भी इलेक्ट्रीशियन की तरह काम करना शुरू कर दिया था।”
उस दौरान वह चित्तपुर में रहते थे लेकिन फिर मेटपल्ली आकर एक इलेक्ट्रीशियन के तौर पर काम करने लगे। यहाँ वह एक सिनेमा हॉल में भी काम किया करते थे।
उनके आविष्कार की शुरुआत भी इसी सिनेमा हॉल से हुई। साल 1986 में उन्होंने, एक ऑटोमैटिक जनरेटर स्टार्टर बनाया था। यह स्टार्टर बिजली जाने पर खुद ही जनरेटर को शुरू कर देता था। प्रभाकर बताते हैं, “उस ज़माने में बिजली की समस्या एक आम बात थी। थिएटर में बिजली जाने पर शो रुक जाता था और जब तक कोई जनरेटर चालू न करे, सभी को इंतज़ार करना पड़ता था। एक इंसान को तो बस जनरेटर चालू करने के लिए काम पर रखा जाता था।”
प्रभाकर ने इस समस्या का बेहतरीन समाधान निकाला और साल 1988 में उन्होंने अपने इस आविष्कार को पेटेंट भी करवाया। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग हॉस्पिटल, स्कूल और कई और संस्थानों के लिए ऐसा ही ऑटोमैटिक जनरेटर स्टार्टर बनाया।
छोटी सी वर्कशॉप में किए कई आविष्कार
उन्होंने मेटपल्ली के एक छोटे से वर्कशॉप से काम करना शुरू किया था। इस वर्कशॉप पर ही उन्होंने एक के बाद एक फ़र्टिलाइज़र एप्लीकेटर, एग्रो मोटर टाइमर स्टार्टर, हल्दी बोइलिंग मशीन, बोरवेल पुलिंग मशीन, जंबो एयर कूलर, कमोड व्हीलचेयर सहित 20 से ज़्यादा मशीनें बनाई हैं।
अपने सबसे ज़्यादा मशहूर आविष्कार के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं कि उनका बनाया हुआ इलेक्ट्रिक पोल क्लिप देशभर में काफ़ी बिकता है। ऐमज़ॉन पर बिकने वाला यह अपनी तरह का इकलौता प्रोडक्ट है। प्रभाकर कहते हैं, “यह क्लिप कई इलेक्ट्रीशियन के काम की चीज़ है। यह उन्हें बिजली के खंबे में चढ़ने में काफ़ी मदद करती है।”
प्रभाकर ने 1999 में ‘प्रभात इंडस्ट्रीज़’ नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर करवाई और अपने ब्रांडनेम के साथ अपनी बनाई मशीनें बेचना शुरू किया। एक साधारण इलेक्ट्रीशियन से लेकर अपनी खुद की कंपनी बनाने तक का सफ़र, उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर ही तय किया है।
4000 मल्टीपर्पस बेड बेच चुके हैं प्रभाकर
प्रभाकर के आविष्कारों की लम्बी लिस्ट में सबसे नया नाम उनके बनाए बेड का ही है। हाल ही में उन्हें अपने बेड के लिए पेटेंट राइट्स भी मिल गया है। हालांकि, वह अपने इस प्रोजेक्ट पर साल 2014 से काम कर रहे थे। वह कहते हैं, “मैं अक्सर बिजली के काम के सिलसिले में हॉस्पिटल जाता रहता था। वहाँ कोमा या गंभीर बीमारी वाले मरीज़ों को देखकर मुझे लगता कि इनकी देखभाल करना काफ़ी मुश्किल काम है। मैं इस समस्या के लिए कुछ करना चाहता था।”
एक बार जब प्रभाकर के खुद के रिश्तेदार बीमार थे और बिस्तर से उठ पाने की स्थिति में नहीं थे; तब उन्होंने एक स्टील का ऑटोमैटिक बेड बनाकर उन्हें दिया था। इस बेड की मदद से उनके रिश्तेदार का काम बेहद आसान हो गया।
प्रभाकर ने बताया कि वह एक फोल्डेबल बेड था, जिसमें बैठना भी आसान था और खाना खाने में भी काफ़ी आसानी होती थी। इसके बाद उन्होंने कमर्शियल तौर पर और सुविधाओं के साथ बेड बनाने का काम शुरू किया।
कई छोटे-मोटे सुधारों के साथ आख़िरकार, उन्होंने 2022 में इसे लांच किया और बेचना शुरू किया। प्रभाकर इस बेड को देशभर में 26 हजार रुपये में बेच रहे हैं। अब तक उन्होंने 4000 बेड बेच भी दिए हैं।
उन्होंने बताया, “मुझे दुबई, पाकिस्तान और श्रीलंका सहित कई और देशों से इस बेड के ऑर्डर्स मिल रहे हैं।”
प्रभाकर को उनके आविष्कारों के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं। साल 2019 में को रूरल इनोवेटर्स स्टार्टअप कॉन्क्लेव में बेस्ट स्टार्टअप का अवार्ड मिला। वहीं तेलंगाना स्थापना दिवस 2018 पर भी उन्होंने बेस्ट स्टार्टअप का पुरस्कार जीता।
आने वाले समय में भी प्रभाकर अपने आस-पास की समस्याओं को दूर करने के लिए आविष्कार करते रहेंगे।
उनकी कहानी साबित करती है कि किसी की मदद करने के लिए बड़ी पोस्ट या ज़्यादा साधन की नहीं, बल्कि कुछ करने के जज़्बे की ज़रूरत होती है। आप उनके बनाए प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए यहां क्लिक करें।
संपादन – भावना श्रीवास्तव
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