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पुरानी बुलेट से किसान ने बनाया मात्र 1.6 लाख रूपये का ट्रैक्टर

महाराष्ट्र के लातूर जिले में निलंगा इलाके के निवासी, साल 2015 से कम बारिश और पानी के संकट से जूझ रहे हैं। इन्हीं किसानों में से एक हैं, मकबूल शेख, जो अपनी तीन एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। 43 वर्षीय मकबूल ने भी पानी की समस्या के कारण अपने बैलों को बेच दिया था। इसके बाद, उनके लिए खेतों में काम करना और मुश्किल हो गया था। लेकिन, मकबूल ने इस परेशानी को एक मौके की तरह लिया। उन्होंने ऐसा समाधान ढूंढा, जो आज न सिर्फ उनके, बल्कि और भी सैकड़ों किसानों के काम आ रहा है। मकबूल ने खेती के काम के लिए एक खास तरह का ट्रैक्टर (Bullet Tractor) बनाया, जिसकी कीमत बाजार में मिलने वाले ट्रैक्टर से दस गुना कम है।

उनका यह आविष्कार इतना मशहूर हुआ है कि उनके इलाके के 140 किसान अब तक उनसे यह ट्रैक्टर खरीद चुके हैं। अपने इस काम के लिए उन्हें राज्य सरकार से भी सराहना और सम्मान मिला है। 

बनाया बुलेट ट्रैक्टर:

उन्हें आविष्कार करने की प्रेरणा उनके बड़े भाई के ट्रैक्टर वर्कशॉप, ‘एग्रो वन ट्रेलर्स ऐंड मंसूरभाई ट्रैक्टर्स’ में काम करने से मिली। वह बताते हैं, “बचपन से ही मैंने अपने बड़े भाई, मंसूर के साथ मिलकर मकैनिक के तौर पर काम किया है। मैं मरम्मत और रखरखाव से जुड़े सभी काम करता था। लेकिन कुछ साल पहले, उनके देहांत के बाद मैं खेती के साथ-साथ उनकी वर्कशॉप भी संभालने लगा।”

मकबूल बताते हैं कि उन्होंने अपने ट्रैक्टर के मॉडल पर साल 2016 से काम करना शुरू किया। पहले उन्होंने वर्कशॉप में पड़े पुराने माल और इंजन को इस्तेमाल में लिया। वह कहते हैं, “उन्हें ऐसा ट्रैक्टर बनाना था जो आकार में छोटा हो, लेकिन खेती से जुड़े सभी कामों के लिए अच्छा हो। भाई की वर्कशॉप पर काम करने के कारण मुझे ट्रैक्टर बनाने की सभी तकनीकें पता थीं। इसलिए मैंने तीन पहियों वाला, 10 एचपी इंजन का ट्रैक्टर बनाने का फैसला किया। इसके लिए मैंने एक पुरानी बुलेट मोटरसाइकिल को इस्तेमाल में लिया।” 

ट्रैक्टर को अंतिम रूप देने में उन्हें दो साल का समय लगा। वह कहते हैं कि उन्होंने इस पर कम से कम 100 बार काम किया है। कई बार ट्रैक्टर के सभी कल-पुर्जे (पार्ट्स) साथ में काम नहीं करते थे। साथ ही, कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर बनाना भी, मेरे लिए एक चुनौती थी। खेत में परीक्षण करने से पहले, इसे तैयार करने में कई महीने लगे। परीक्षण के बाद और 5 ट्रैक्टर उन्होंने बनाए और किसानों को ट्रायल के लिए दिए। उनसे उन्हें जो सुझाव मिले, उनपर फिर से काम किया गया। साल 2018 में आखिरकार, यह ट्रैक्टर बनकर तैयार हुआ। 

इसके बाद, उन्होंने दूसरे किसानों को इसके बारे में बताना शुरू किया। उनका यह ट्रैक्टर अब एक हफ्ते में बन कर तैयार हो जाता है। इससे बुवाई, छंटाई/निराई, कीटनाशकों के छिड़काव, और खेत की जुताई जैसे काम आसानी से किये जा सकते हैं।

मकबूल कहते हैं, “बाजार में एक सामान्य ट्रैक्टर की कीमत लगभग नौ लाख रूपये होती है और सभी यंत्र व उपकरणों के साथ, इसकी कीमत 14 लाख रूपये तक पहुँच जाती है। छोटा ट्रैक्टर भी आपको कम से कम साढ़े तीन लाख रूपये का मिलता है। लेकिन, बुलेट ट्रैक्टर (Bullet Tractor) की कीमत 1 लाख 60 हजार रूपये है और अगर इससे छोटा मॉडल चाहिए तो उसकी कीमत 60 हजार रूपये है।”

ट्रैक्टर के हैं कई फायदे:

बहुत से किसानों ने उनके ट्रैक्टर (Bullet Tractor) को खरीदा है और इस्तेमाल कर रहे हैं।

बुलेट ट्रैक्टर (Bullet Tractor) इस्तेमाल करने वाले एक किसान, सुधीर कपलापुरे बताते हैं, “मेरे पास 20 एकड़ का खेत है और बुलेट ट्रैक्टर से मेरे सभी काम अच्छे से हो जाते हैं। मुझे अब किसी बैल या महंगे ट्रैक्टर की जरूरत नहीं होती है। बुलेट ट्रैक्टर (Bullet Tractor) से खेत के हर एक कोने में बिजाई करना संभव है, जबकि बड़े ट्रैक्टर से यह नहीं हो पाता था। इसकी मदद से खरपतवार भी आसानी से निकल जाती है। साथ ही, गन्ने की फसल में अब हम आसानी से छिड़काव कर पाते हैं क्योंकि, इस ट्रैक्टर से पतली क्यारियों के बीच जाना भी संभव हो पाता है।”

सुधीर कहते हैं कि, “यह ईंधन भी कम खर्च करता है। एक लीटर डीजल में, बुलेट ट्रैक्टर (Bullet Tractor) डेढ़ घंटे काम करता है। जबकि, सामान्य बड़े ट्रैक्टर के लिए दोगुने डीजल की जरूरत होती है। साथ ही, इसके सभी कल-पुर्जे छोटे हैं। जिनकी मरम्मत खेतों पर ही की जा सकती है। पिछले तीन सालों में मुझे कोई मजदूर लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। मेरा पूरा काम ट्रैक्टर से हो रहा है।”

मकबूल ने चार पहियों वाला और पांच एचपी इंजन का एक और छोटा ट्रैक्टर बनाया है। इसकी कीमत 60 हजार रूपये है। यह उन लोगों के लिए है जो 10 एचपी वाला ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते हैं। उनके इन आविष्कारों के लिए उन्हें महाराष्ट्र सरकार ने ‘कृषि रत्न अवॉर्ड’ से नवाजा है। साथ ही, उन्हें ‘युवा कृषि संशोधक अवॉर्ड’ भी मिला है। मकबूल ने कभी नहीं सोचा था कि उनका एक आविष्कार, इतने लोगों के काम आयेगा। 

वह कहते हैं, ‘मुझे खुशी है कि खेती को आसान और किफायती बनाकर, मैं लोगों के जीवन में बदलाव ला पाया हूँ। मैं आगे भी ऐसे ही अच्छे काम करते रहना चाहता हूँ।’

मूल लेख: हिमांशु नित्नावरे

संपादन – प्रीति महावर

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