हम सभी बचपन से सुनते आए हैं कि पानी अनमोल है। लेकिन यह भी सच है कि पानी की बर्बादी भी सबसे अधिक हमलोग ही करते हैं। जल संकट की समस्या अब हर जगह दिखने लगी है। ऐसे में आज हम आपको जिस शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, उनका लक्ष्य हर एक व्यक्ति तक शुद्ध जल पहुँचाना है। उन्होंने एक ऐसा वाटर फिल्टर बनाया है, जो बिना बिजली के काम करता है।
यह कहानी मध्यप्रदेश के जितेंद्र चौधरी की है। सात साल पहले रतलाम के जितेंद्र को पता चला कि भारत के ग्रामीण इलाकों में पानी का संकट सबसे अधिक है। इससे पहले उन्होंने शायद सिर्फ सुना था कि पानी खत्म हो रहा है और हमें इसे बचाने के प्रयास करने चाहिए। लेकिन अपने राज्य में ही एक दूर-दराज के गाँव की यात्रा ने उन्हें वास्तविक स्थिति से रूबरू कराया। “उस पल मुझे समझ में आया कि हम पानी को रियुज या फिर रीसायकल कर सकते हैं लेकिन बना नहीं सकते,” उन्होंने कहा।
और वहीं से शुरू हुआ जितेंद्र के इनोवेशन का सफ़र। शायद उन्होंने भी खुद कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें इनोवेटर के तौर पर जाना जाएगा। लेकिन आज उन्हें देशभर में उनके सस्ते और किफायती वाटर फ़िल्टर, ‘शुद्धम’ के लिए जाना जा रहा है। द बेटर इंडिया, आज आपको बता रहा है जितेंद्र चौधरी और उनके इनोवेशन की कहानी।
एक किसान परिवार में जन्मे जितेंद्र चौधरी दसवीं कक्षा में फेल हो गए थे। इसके बाद, वह पढ़ाई के लिए राजस्थान पहुँचे और वहाँ से स्कूल की पढ़ाई पूरी की। वह कहते हैं कि 10वीं कक्षा में उनका फेल होना उनके लिए अच्छा ही साबित हुआ क्योंकि अगर वह पास हो जाते तो उन्हें वहीं गाँव से आर्ट्स में पढ़ाई करनी पड़ती। लेकिन जब वह राजस्थान गए तो उन्हें पता चला कि आर्ट्स के अलावा भी विषय होते हैं, जिनमें वह पढ़ सकते हैं।
साइंस से 12वीं करने के बाद उन्होंने IIT में दाखिले के लिए काफी प्रयास किया, पर असफल रहे। इसके बाद उन्होंने MIT उज्जैन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। साल 2013 में वह मध्य-प्रदेश के कुछ अंदरूनी इलाकों में ट्रिप पर गए। वहाँ उन्होंने एक गाँव में बहुत ही अद्भुत नज़ारा देखा। “मुझे वह दिन याद है। मैंने वहाँ लोगों को खाट पर बैठकर नहाते देखा। खाट के नीचे उस पानी को इकट्ठा करने के लिए टब आदि रखे हुए थे। नहाने के बाद जमा पानी का इस्तेमाल कपड़ा धोने में किया जा रहा था। इस दृश्य ने मुझे झकझोर दिया और मुझे लगा कि हमें कोई तो उपाय ढूँढ़ना ही होगा,” उन्होंने आगे कहा।
जितेंद्र के लिए शायद यह पहला मौका था जब उन्होंने पानी की कमी को इतने करीब से महसूस किया था। उसी दिन से उन्होंने इस समस्या पर काम करने की ठानी। उन्होंने जब रिसर्च शुरू की तो पता चला कि पानी का सिर्फ 20 प्रतिशत पीने और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। बाकी 80% पानी अन्य घरेलू काम जैसे नहाने, साफ़ -सफाई, कपड़े धोने और बर्तन आदि साफ़ करने में जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ‘शुद्धम’ का निर्माण किया।
‘शुद्धम’ ऐसा वाटर फ़िल्टर है जो हर दिन 500 लीटर गंदे पानी को साफ़ करता है और इस पानी को खाना बनाने और पीने के अलावा अन्य सभी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सबसे दिलचस्प बात है कि यह फ़िल्टर बिना किसी बिजली के काम करता है। इसकी लागत सिर्फ 7000 रुपये है और साल भर में रख-रखाव के लिए आपको बस 500 से 700 रूपये खर्च करने होंगे।
कैसे काम करता है:
‘शुद्धम’ फ़िल्टर ग्रेविटी के कांसेप्ट पर काम करता है। यह नहाने आदि के पानी को फ़िल्टर करता है और इस पानी को कई फिल्ट्रेशन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। स्टेप बाय स्टेप पानी एक के बाद दूसरे चैम्बर में जाता है और फिर आखिकार फ़िल्टर के आखिरी चैम्बर में इकट्ठा हो जाता है जहाँ से इसे काम के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है। जब फिल्टर 90,000 लीटर पानी रिसाइकिल कर देता है तो हर छह महीने में ग्रैन्यूल्स को बदल दिया जाता है।
वह बताते हैं, “पानी मिनटों में साफ़ हो जाता है। सबसे पहले यह ग्रेन्युलर चैम्बर में छनता है और फिर कार्बन अल्ट्रा फिल्ट्रेशन प्रोसेस से गुजरता है। इस मशीन में एंटी-चोक मैकेनिज्म भी है और इससे सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी ब्लॉकेज न हो और जो भी गंदगी है वह साफ़ पानी में न मिले।”
जितेंद्र अब तक ‘शुद्धम’ के लिए तीन पेटेंट फाइल कर चुके हैं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह कई रिसर्च पेपर भी प्रेजेंट कर चुके हैं। जितेंद्र को उनके इनोवेशन के लिए मध्य प्रदेश काउंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा यंगेस्ट साइंटिस्ट अवार्ड से नवाज़ा गया है। वह MIT उज्जैन के साथ रिसर्च असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे हैं और ग्रामीण समुदायों की मदद के लिए मशीन बना रहे हैं।
जितेंद्र ने अपने कॉलेज के हॉस्टल में चार ‘शुद्धम’ मशीन लगाकर पायलट प्रोजेक्ट किया जो कि सफल रहा है। अब वह इसकी कीमत और कम करने पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि जैसे पेटेंट पास होगा वह कमर्शियल तौर पर बनाना शुरू कर देंगे। जितेंद्र के लिए डॉ. अब्दुल कलाम उनके आदर्श हैं। वह कहते हैं कि वह डॉ. कलाम के जैसे तो शायद कोई बड़ा काम न कर पाएं लेकिन उन्हें अपन देश की सेवा का जो भी अवसर मिलेगा वह पीछे नहीं हटेंगे।
यदि आप जितेंद्र से उनके अनोखे वाटर फिल्टर के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो उनसे jchaudhry9694@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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