मध्यप्रदेश में नरसिंहपुर जिला के मेख गाँव के रहने वाले रोशनलाल विश्वकर्मा ने सिर्फ स्कूल तक की पढ़ाई की। इसके बाद वह अपने घर की खेती-बाड़ी संभालने लगे। उनके यहाँ गन्ना की खेती होती है फिर इसे चीनी मिल या फिर गुड़ बनाने वाले वाले कोल्हू आदि को भेजा जाता है। लेकिन समस्या यह थी कि उनके इलाके में गन्ने को बड़े लोगों की खेती माना जाता था क्योंकि इस खेती में श्रमिक की सबसे अधिक ज़रूरत पड़ती है।
श्रमिक का खर्च और फिर खेती का खर्च वहन करना सभी किसानों के बस का नहीं होता। खासकर छोटे किसान गन्ने की खेती का रुख नहीं करते थे। लेकिन रोशनलाल इस खेती में हाथ आजमाना चाहते थे और इसलिए वह तरह-तरह के प्रयोग करते रहते थे।
रोशनलाल ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैंने गन्ने की बड(बीज) को ऐसे ही बोया जैसे कि हम आलू बोते हैं। दो साल तक मैंने अपनी ज़मीन पर एक्सपेरिमेंट किया। इससे मुझे ज्यादा पैदावार मिली।”
अगर आपने कभी गौर किया हो तो आपको पता होगा कि एक गन्ने में कई फांक/पंगो होते हैं और हर फांक/पंगो के बीच में एक नोडल हिस्सा होता है। इस नोड पर ही बड होती हैं जिन्हें हम गन्ने का बीज कहते हैं। एक गन्ने में 15-20 बड आराम से होती हैं।
इन्हें अगर हाथ से निकाला जाए तो इसमें समय और पैसा दोनों ज्यादा खर्च होते हैं। इस काम में श्रमिक भी लगाने पड़ते हैं। साथ ही, काफी ज्यादा मात्रा में गन्ना खराब भी होता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर रोशनलाल ने ऐसी कोई मशीन बनाने की सोची जिससे कि गन्ने की बड को बहुत ही आसानी से निकाला जा सके।
इसके लिए उन्होंने कुछ वर्कशॉप मैकेनिक से बात की और लगभग 2 साल की लगातार मेहनत के बाद उन्होंने ‘गन्ना बड चिपर मशीन’ बनाकर तैयार की। इस मशीन को आसानी से हाथ से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें एक अर्धचन्द्राकर ब्लेड लगाया गया है जो गन्ने में से बड़ी ही सफाई से सिर्फ बड को निकालती है। बाकी पूरा गन्ना एकदम सही रहता है जिसे किसान सुगर मिल पर बेच सकते हैं।
मशीन की खासियत:
1. इससे कोई खास मेहनत नहीं लगती है। आपको सिर्फ एक हाथ से हैंडल दबाना है।
2. एक घंटे में आप औसतन 100 गन्ने की बड निकाल सकते हैं।
3. इससे गन्ना बिल्कुल भी वेस्ट नहीं होता और आप कितने भी मोटे या पतले गन्ने से बड चिप निकाल सकते हैं।
4. इस मशीन को न किसी ईंधन या फिर बिजली की ज़रूरत नहीं होती है।
5. इसका भार बहुत ज्यादा नहीं है तो ट्रांसपोर्टेशन बहुत ही आसान है।
रोशनलाल ने इसकी कीमत मात्र 2000 रुपये रखी है और कोई भी किसान इस मशीन को ऑर्डर करके मंगवा सकता है। इस अविष्कार के लिए उन्हें साल 2009 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
मशीन कैसे काम करती है, इस वीडियो में देखें:
रोशनलाल के इस आविष्कार ने न सिर्फ उनकी बल्कि बहुत से किसानों की ज़िंदगी आसान की है। वह अब तक हज़ार से ज्यादा मशीन बेच चुके हैं और उनकी मशीन की पूरे भारत में काफी ज्यादा मांग है।
इस मशीन की सफलता के बाद उन्होंने बिजली से चलने वाली मशीन भी बनाई। जो एक घंटे में लगभग 1000 से ज्यादा बड निकाल सकती है। लेकिन इस मशीन की कीमत थोड़ी ज्यादा होने की वजह से हर कोई किसान इसे नहीं खरीद सकता।
रोशनलाल ने फिर अपनी हाथ से काम देने वाली मशीन पर ही फोकस किया। उन्होंने इस मशीन को किसानों के हिसाब से बनाया और इसके लिए उन्होंने नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की मदद से पेटेंट भी फाइल किया है।
रोशनलाल की यह मशीन किसानों के खर्च के साथ-साथ मेहनत को भी काफी कम कर देती है। किसी ने बिल्कुल सही ही कहा है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है।
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