मार्च 2020 में हैदराबाद स्थित स्टार्टअप सेलेस्ट्रियल ई-मोबिलिटी (Cellestial E-Mobility) ने इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर का प्रोटोटाइप लॉन्च किया था। यह शायद पहली बार है, जब देश में इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर लॉन्च हुआ है। इस ट्रैक्टर का इस्तेमाल कृषि कार्यों और लोजिस्टिक्स के लिए किया जा सकता है।
साल 2019 में 4 लोगों ने मिलकर यह स्टार्टअप शुरू किया था- सैयद मुबशीर अली, सिद्धार्थ दुरैराजन, मिधुन कुमार और विनोद मौदगिल। इन सभी फाउंडर्स को अलग-अलग इंडस्ट्री में 15 से 30 सालों तक काम करने का अनुभव है। किसी का स्पेशलाइजेशन मैन्युफैक्चरिंग है तो किसी का प्रोडक्ट डिजाइनिंग।
सैयद बताते हैं कि हमारे देश में इलेक्ट्रिक बाइक, कार और रिक्शा आदि का उत्पादन काफी पहले से हो रहा है। वहीं से उन्हें भी इस क्षेत्र में ऐसा कुछ करने की प्रेरणा मिली जिससे कि किसानों की मदद हो। “कृषि क्षेत्र भारत की बैकबॉन है और हम ऐसा कुछ बनाना चाहते थे जिससे कि खेत के लिए उपकरण खरीदते समय किसानों की लागत कम हो,” उन्होंने आगे कहा।
हम सब जानते हैं कि देश में डीजल की कीमत बढ़ रही है और ऐसे में, किसान का खर्च भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। डीज़ल के ट्रैक्टर में बहुत पार्ट्स होते हैं, जिनकी लगातार देख-रेख करनी होती है। ऐसे में, सैयद कहते हैं कि ई-ट्रैक्टर किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
ई-ट्रैक्टर की विशेषताएं:
1. इस ई-ट्रैक्टर में बैटरी स्वैपिंग, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग, पॉवर इनवर्सन (ट्रैक्टर द्वारा यूपीएस को चार्ज करने) और फास्ट चार्जिंग जैसे फीचर्स हैं।
2. 6 एचपी का यह ई-ट्रैक्टर एक बार चार्ज करने पर 75 किमी तक चल सकता है। यह 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है।
3. इसे पूरा चार्ज होने में 6 से 8 घंटे लगते हैं।
4. इसका वजन 600 से 800 किलो है और यह लगभग 1.2 टन तक भारी वजन/उपकरणों को खींच सकता है। सैयद और सिद्धार्थ का कहना है कि उनका यह 6 एचपी का ट्रैक्टर 21 एचपी के डीजल ट्रैक्टर के बराबर है।
वह आगे कहते हैं कि सामान्य तौर पर डीज़ल ट्रैक्टर को एक घंटे चलाने का खर्च 150 रुपये आता है जबकि ई-ट्रैक्टर का यह खर्च मात्र 20-25 रुपये प्रति घंटा पड़ेगा। इसकी कीमत भी डीज़ल ट्रैक्टर से एक लाख रुपये कम है। इस ई-ट्रैक्टर की कीमत 5 लाख रुपये हैं जबकि एक सामान्य डीज़ल वाला ट्रैक्टर आपको 6 लाख रुपये या इससे ज्यादा का मिलता है।
5. अगर आप खेतों में जूताई-बुवाई का काम कर रहे हैं तो ट्रैक्टर की बैटरी 2 से 3 घंटे चलेगी और अगर आप इसे ट्रांसपोर्टेशन में सामान लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह 4 घंटे आराम से चलेगी। “बहुत से किसान अपने यहाँ पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन नहीं लगा सकते और न ही उन्हें इंडस्ट्रियल पॉवर यूनिट्स मिलती हैं। इसलिए हमने ऐसी बैटरी बनाई है जिसे घर के सॉकेट से चार्ज किया जा सकता है,” उन्होंने बताया।
हालांकि, उन्होंने अभी अपने प्रोटोटाइप की टेस्टिंग की है, जिसमें वह सफल रहे हैं। अब उनका पूरा फोकस इसके कमर्शियल प्रोडक्शन पर है। पिछले कुछ महीनों से देशभर में लॉकडाउन था और इस वजह से उनका काम रुका हुआ था। कंपनी की बिज़नेस हेड, शिखा गोएल बताती हैं कि 6 महीने बाद किसान यह ट्रैक्टर खरीद पाएंगे।
फ़िलहाल, उनकी टीम ट्रैक्टर की मैन्युफैक्चरिंग पर काम कर रही है। किसानों के अलावा, वह लोग दूसरे बिज़नेस ग्रुप्स के साथ भी काम कर रहे हैं। ऐसी इंडस्ट्रीज जहाँ लोजिस्टिक्स के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल होता है, वो भी इस ई-ट्रैक्टर में दिलचस्पी ले रहे हैं।
उम्मीद है यह ई-ट्रैक्टर, कंपनी के दावों के मुताबिक भारत के कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित हो और किसानों के आर्थिक बोझ को कम करके, उनके काम को किफायती बनाए!
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