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असम: छोटे किसानों की मदद के लिए 10वीं पास ने बना दिया सस्ता और छोटा ट्रैक्टर

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास कहने के लिए तो एजुकेशनल डिग्री नहीं होती लेकिन वह कुछ ऐसा काम कर जाते हैं जो बड़ी-बड़ी डिग्री वाले नहीं कर पाते हैं। आज हम आपको असम के एक ऐसे ही व्यक्ति की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो आम लोगों के लिए नए-नए आविष्कार करते हैं।

यह कहानी गुवाहाटी में रहने वाले कनक गोगोई की है, जिन्हें सीरियल इनोवेटर के तौर पर जाना जाता है। पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से वह लोगों के लिए इनोवेशन कर रहे हैं। उनकी कोशिश रहती है कि वह लोगों की समस्यायों को हल करने के लिए काम करें। हाल ही में, उन्होंने एक कम लागत वाला ट्रैक्टर (Low-cost Tractor) बनाया है। गोगोई को उनके कई आविष्कारों के लिए सम्मानित भी किया गया है।

बचपन से ही कनक को कुछ अलग करने का शौक रहा। मूल रूप से लखीमपुर के तेकेलबोरा गाँव से संबंध रखने वाले कनक के पिता सरकारी कर्मचारी थे। कनक ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरे पिताजी की इच्छा थी कि मैं पढ़-लिखकर नौकरी करूँ लेकिन मुझे स्कूली पढ़ाई में मन नहीं लगता था। मैंने जैसे-तैसे स्कूली पढ़ाई पूरी की लेकिन कॉलेज की पढ़ाई मुझसे नहीं हो सकी। उस वक्त मैं जोरहाट में था और वहीं मैंने मन बना लिया कि अब यहीं रहकर अपना कोई बिज़नेस करना है, पढ़ना नहीं है।”

कनक ने आगे बताया, “मैंने दूध का काम शुरू किया। लगभग तीन साल तक जोरहाट के गांवों से दूध इकट्ठा करके शहर में बेचता था। इसके साथ-साथ मैं दूसरे काम भी करता था। मैंने जोरहाट में कई मैकेनिकल वर्कशॉप में भी काम सीखा और किया। यहीं से एक अलग कहानी शुरू हुई। मैं कुछ अलग और हटकर करना चाहता था, कुछ ऐसा जो पहले न हुआ हो।”

Kanak Gogoi, Assam

दूध के काम के बाद कनक ने साइनबोर्ड बिज़नेस में हाथ आजमाया। क्योंकि वह वक़्त था जब उनके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था लेकिन उनका मन स्थिर नहीं था। पर इस काम में भी उन्हें घाटा ही हुआ। कनक एक बार फिर वहीं खड़े थे जहाँ से उन्होंने अपनी शुरूआत की थी। उनके परिवार का भी फिर उनपर दबाव बढ़ने लगा। इसके बाद उन्होंने इधर-उधर भटकने की बजाय एक जगह स्थिर होने की सोची। कनक ने सरकारी महकमों के लिए जनरल सप्लाइज के कांट्रेक्टर का काम ले लिया।

वह गुवाहाटी शिफ्ट हो गए और आज भी वह जल विभाग के लिए बतौर कांट्रेक्टर काम करते हैं जिससे उनके घर का खर्च चलता है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक छोटे से गेराज में अपनी वर्कशॉप भी शुरू की। इस वर्कशॉप में वह अपने आइडियाज पर काम करने लगे।

Power Hang Glider he made in 1997

“मेरे दिमाग में बहुत सारे आइडियाज होते थे। खासकर कि ट्रांसपोर्टेशन और एनर्जी से संबंधित। मैं हमेशा सोचता था कि ये गाड़ी वैसे बन सकती थी, ये साइकिल ऐसे हो सकती थी। तब मेरे एक दोस्त ने कहा कि तू फिर खुद क्यों नहीं बनाता जब इतना कुछ पता है तो। उसने प्रेरणा दी तो मैंने अपनी वर्कशॉप शुरू की,” उन्होंने बताया।

उन्होंने जब अपनी वर्कशॉप में अपने आइडियाज पर काम करना शुरू किया तो एक के बाद एक करते ही गए। पिछले दो दशकों में उन्होंने 10 से भी ज्यादा इनोवेशन किए हैं। उनके इनोवेशन की शुरूआत साल 1997 में पॉवर हंग ग्लाइडर से हुई और अभी हाल ही में उन्होंने एक छोटे और अलग मॉडल का ट्रैक्टर बनाया है। उन्होंने ग्रेविटी ऑपरेटेड साइकिल, शैलो वाटर बोट, फ्लाइंग मशीन से लेकर कंप्रेस्ड एयर टेक्नोलॉजी कार, ग्रीन इलेक्ट्रिक कार, एनर्जी जनरेटेड डिवाइस और मल्टी पर्पस ट्रैक्टर आदि बनाए हैं।

यहाँ हम आपको कनक के कुछ आविष्कार के बारे में बता रहे हैं।

मल्टी-पर्पस और लो कॉस्ट ट्रैक्टर/Multi-Purpose and Low-Cost Tractor (2020):

Multi-purpose Tractor

कनक कहते हैं कि उन्होंने यह ट्रैक्टर लॉकडाउन के दौरान तैयार किया है। यह ट्रैक्टर आकार में काफी छोटा है और छोटे किसानों के लिए एकदम सही है। 50 हज़ार रूपये से भी कम कीमत वाले इस ट्रैक्टर में पीछे हल और कोई भी छोटी ट्राली लगाई जा सकती है। उनका कहना है, “लॉकडाउन और महामारी की वजह से बहुत से लोगों की नौकरी गयी है। हज़ारों-लाखों लोग अपने घरों को वापस लौटे हैं। ऐसे में, सबसे अच्छा यही है कि लोग अब अपने खेतों की तरफ लौटें।”

अगर कोई खेती करना चाहता है लेकिन लाखों का ट्रैक्टर खरीदने के साधन नहीं है तो वह कनक के ट्रैक्टर का डिज़ाइन लेकर बनवा सकता है या फिर उन्हें आर्डर दे सकता है।

अगर कोई खुद भी यह ट्रैक्टर बनवाना चाहता है तो कनक को डिज़ाइन देने में कोई परेशानी नहीं है। उनका मानना है कि अगर वह अपने डिज़ाइन खुद ही लेकर बैठे रहेंगे तो उनका उद्देश्य पूरा नहीं होगा। वह लोगों के लिए चीज़ें बनाते हैं और इसलिए कोई भी उनके डिज़ाइन पर बेस्ड अपनी मशीनरी बना सकता है।

उनके मल्टी-पर्पस ट्रैक्टर खेत में जुताई-बुवाई से लेकर ढुलाई तक के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

कार के अलग-अलग मॉडल:

Green Electric Car

मल्टी पर्पस ट्रैक्टर बनाने से पहले कनक ने कार के कई अलग-अलग मॉडल्स पर काम किया। उन्होंने लगभग 7 साल पहले ही इलेक्ट्रिक कार का मॉडल तैयार कर लिया था। वह बताते हैं कि उन्होंने इस कार में 12 वोल्ट की 4 बैटरी इस्तेमाल की थीं। इन बैटरीज जो 100 एम्प करंट पर चार्ज किया जा सकता है।

एक बार चार्ज होने के बाद यह कार लगभग 80 किमी तक चल सकती है।

इलेक्ट्रिक कार से पहले उन्होंने एक सोलर हाइब्रिड कार भी बनाई थी। इस कार को सौर ऊर्जा और ईंधन, दोनों से चलाया जा सकता है। इस कार में उन्होंने 100 cc का इंजन और 4 सोलर पैनल का इस्तेमाल किया था। इस कार के इंजन को उन्होंने इस तरह से डिज़ाइन किया कि यह बैटरी पर चले।

Working On an Innovation

इंजन की बैटरी को दिन में सोलर पैनल से ऊर्जा मिलती है और रात को ईंधन से। उन्होंने ‘कंप्रेस्ड एयर तकनीक’ से चलने वाली एक कार का डिज़ाइन भी बनाया है।

इस कार के लिए उन्होंने मारुती 800 और मोटरसाइकिल के इंजनों का इस्तेमाल किया है।

अन्य अविष्कार:

कनक आगे बताते हैं कि उन्होंने एक इनोवेशन अपनी बेटी के लिए किया था। उनकी बेटी को स्कूल जाते समय ट्रैफिक में फंसना पड़ता था। इसलिए उसने कनक से कहा कि वह ऐसा कुछ बनाये जिससे कि वह आसानी से ट्रैफिक से निकल सके। उन्होंने एक तीन पहिए वाला वाहन बनाया जो कि साइज में काफी छोटा था और यह आसानी से बड़े वाहनों के बीच में से निकल सकता था।

Other Innovations

यह दो लोगों के बैठने के लिए है और एक घंटे में लगभग 60 किमी तक चल सकती है और 30 किमी प्रति लीटर का माइलेज देती है। कनक का यह इनोवेशन ट्रैफिक की समस्या का अच्छा हल हो सकता है।

इसके पहले उन्होंने ग्रेविटी से चलने वाली एक साइकिल का मॉडल भी तैयार किया था। उन्होंने सोचा कि साइकिल चलाते वक़्त सीट के नीचे लगी स्प्रिंग में जो एनर्जी होती है क्यों न उसका इस्तेमाल सही जगह किया जाये। उन्होंने इस एनर्जी को इस तरह से उपयोग में लाया कि चलाने वाले को कम पेडल करने की ज़रूरत पड़े। उनके इस इनोवेशन के लिए उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

कनक को रोटरी इंटरनेशनल, दुर्गापुर से भी अवॉर्ड मिला है। साल 2007 में उन्हें अमेरिका के शिकागो में होने वाले एक इवेंट में भी जाने का मौका मिला। इसके बाद उन्हें असम की सरकार द्वारा भी सीरियल इन्नोवेटर होने का सम्मान मिला।

वैसे कनक जो चाहते हैं वह अभी भी मुमकिन नहीं हुआ है। उनका उद्देश्य है कि उनके डिज़ाइन और आविष्कार आम लोगों के काम आए। जहाँ आज लोग छोटी से छोटी तकनीक का पेटेंट कराते हैं वहीं उनकी इच्छा है कि उनके डिज़ाइन देश के हर एक कोने तक पहुँचे।

he has won awards

“अगर कोई अपने और अपने समुदाय के लिए मेरे डिज़ाइन को इस्तेमाल करके कुछ बनाना चाहता है तो मुझे ख़ुशी ही होगी। मैं हर सम्भव मदद करने को तैयार हूँ। मैं खुद इन इनोवेशन को कमर्शियल लेवल पर नहीं बना सकता लेकिन अगर कोई मेरे डिज़ाइन लेकर यह करना चाहे तो बिलकुल कर सकता है,” उन्होंने कहा।

लेकिन कनक को अब तक न तो कोई पब्लिक सपोर्ट मिला है और न ही प्राइवेट। वह अपनी आजीविका से एक हिस्सा अपने इनोवेशन के लिए खर्च करते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को कुछ दे सकें। अगर कनक के आविष्कारों पर गौर किया जाये तो बहुत-सी ट्रांसपोर्टेशन संबंधित समस्याएं खत्म हो सकतीं हैं। लेकिन इस तरह के ज़मीनी स्तर के लोगों की अनदेखी बहुत बड़ी परेशानी है हमारे यहां। लेकिन कनक को विश्वास है कि एक न एक दिन उनके बनाये डिज़ाइन ग्लोबल स्तर पर सराहे जाएंगे।

अगर आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है और आप कनक गोगोई से संपर्क करना चाहते हैं तो उनसे 8384053870 पर मैसेज कर सकते हैं!

संपादन – जी. एन झा

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