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मिट्टी से बनाया कूलर! न बिजली का मोटा बिल, न पर्यावरण को नुकसान

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सालों से हम भारतीय घर को ठंडा करने के लिए खस की चादर और मिट्टी की लिपाई (alternative of air conditioner) आदि का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। लेकिन पक्के घरों में इन पारम्परिक विधियों का उपयोग कम होता गया और अब तो गांवों में भी AC का इस्तेमाल होने लगा है। 

लेकिन AC से जितनी ठंडक घर के अंदर होती है, बाहर का तापमान उतना ही बढ़ता जाता है। गर्मी के दिनों में तो इन कृत्रिम संसाधनों से बिजली की खपत भी तेजी से बढ़ जाती है। इन समस्याओं को ही ध्यान में रखकर दिल्ली के आर्किटेक्चर फर्म Ant Studio के मोनिश सिरिपिरायु ने एक बेहतरीन कूलिंग सिस्टम (Alternative Of Air Conditioner) तैयार किया है, जो किसी भी बिल्डिंग की एयर कंडीशनर पर हमारी निर्भरता को कम करने में मदद करता है। 

उन्होंने टेराकोटा और पानी का उपयोग करके ‘कूलएंट’ (Alternative Of Air Conditioner) का आविष्कार किया है। ठंडक के लिए इस तरह की प्रणाली का इस्तेमाल भारत, ईरान, मिस्र और सऊदी अरब सहित दुनिया भर में कई जगह किया जाता रहा है, जिसे उन्होंने एक नया रूप दिया है। 

साल 2015 में, उन्होंने सबसे पहले एक कूलएंट डिज़ाइन किया था, जिसके बाद उन्होंने दो साल तक इसे बनाकर छोड़ दिया था। लेकिन 2017 में उनके इस डिज़ाइन को कई जगहों से सराहना मिली। इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) ने भी मोनिश के बनाए इस कूलेंट सिस्टम (Alternative Of Air Conditioner) को पर्यावरण के लिए बेहतर बताया है। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए मोनिश कहते हैं, “यह कूलर और मिट्टी के घड़े का एक मिश्रण है, जिससे हम किसी भी बिल्डिंग के अंदर 30 प्रतिशत तक एयर कंडीशनर का लोड कम कर सकते है। हालांकि यह पूरी तरह से AC की जगह नहीं ले सकता, लेकिन लिविंग एरिया और कैफ़े जैसी जगहों पर भी अगर हम इसे इस्तेमाल करें, तो बिजली की खपत को 30 से 40 प्रतिशत तक खत्म किया जा सकता है।”

राजस्थानी और गुजराती जाली वाले घरों और क्रॉस वेंटिलेशन को ध्यान में रखकर इसे  बनाया गया है। 

मोनिश ने स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए), दिल्ली से ग्रेजुएशन और कैटेलोनिया, स्पेन से रोबोटिक्स एप्लिकेशन की पढ़ाई की है। वह ‘एंट स्टूडियो’  नाम से एक फर्म भी चलाते हैं, जहां उनके पास कलाकार, इंजीनियर, वैज्ञानिक और डिजाइनर्स की एक टीम है। कूलेंट को डिज़ाइन करने में उनकी पूरी टीम ने उनका साथ दिया था। 

वह कहते हैं, “यह तकनीक ज्यादा मुश्किल नहीं है, हमने इसे बस एक नया डिज़ाइनर और व्यवस्थित रूप दिया है, ताकि इसका इस्तेमाल आसान हो जाए। परंपरागत रूप से, मिट्टी के बर्तनों का उपयोग पानी को ठंडा करने के लिए किया जाता रहा है। हम वाष्पीकरण कूलिंग के समान सिद्धांत का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन उल्टे क्रम में, जिसमें हम इन बर्तनों के ऊपर पानी डालते हैं और इसे बहने देते हैं। हवा इन खोखले ट्यूब के आकार के मिट्टी के बर्तनों से गुजरती है और ठंडी हो जाती है। यानी यह गर्म हवा को ठंडी हवा बनाने का काम करता है।”

कैसे आया Alternative Of Air Conditioner बनाने का ख्याल?

कूलएंट बनाने को लेकर बात करते हुए मोनीश कहते हैं कि वह साल 2015 में नोएडा में Deki Electronics के लिए काम कर रहे थे। 

उन्हें शुरू में एक डीजल जनरेटर (डीजी) सेट के सामने एक आर्ट पीस बनाने के लिए कहा गया था। जब वह साइट पर गए, तो उन्होंने देखा कि डीजी सेट के रेडिएटर के संपर्क में आने वाले लोगों को काफी गर्म हवा का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बाद उन्होंने यहां ऐसा कुछ बनाने के बारे में सोचा, जो इन गर्म हवाओं को ठंडी हवा में बदल सके और इसी तरह यह नया और बेहतरीन प्रोडक्ट तैयार हुआ।  

उन्होंने इसे 800 छोटे सिलिंडर के आकार  के घड़ों के साथ बनाया था,  जिसके बाद उस जगह का तापमान 30 प्रतिशत कम हो गया।  

बिजली बचाने के साथ-साथ इसका (Alternative Of Air Conditioner) एक और फायदा यह है कि यह स्थानीय रूप से उपलब्ध, पर्यावरण के अनुकूल और रीसायकल चीजों से तैयार हो जाता है। इसके लिए उपयोग किया हुआ पानी भी हम इस्तेमाल कर सकते है। टैंक में पानी बार-बार बदलने की जरूरत भी नहीं पड़ती।    

नोएडा के बाद, उन्होंने हैदराबाद, बेंगलुरु, लखनऊ और आगरा में भी कूलएंट (Alternative Of Air Conditioner) के अलग-अलग डिज़ाइन को तैयार किया है। उनके खुद के ऑफिस में भी एक ऐसा छोटा कूलएंट बना था, लेकिन कोरोना के कारण सभी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और हाल में यह सिस्टम काम नहीं कर रहा है।  

मोनिश कहते हैं कि हम घरों, दफ्तरों और कैफ़े जैसी कई जगहों के लिए इसके छोटे-बड़े डिज़ाइन तैयार कर सकते हैं, जिसकी कीमत ज्यादा नहीं होगी और सबसे अच्छी बात यह कि ये हमारे पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं। 

आप ‘कूलएंट’ के बारे में ज्यादा जानने के लिए मोनिश  से यहां पर सम्पर्क कर सकते हैं।  

संपादनः अर्चना दुबे

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