अग्निकुल कॉसमॉस के बनाए दुनिया के पहले सिंगल-पीस 3 डी-प्रिंटेड रॉकेट इंजन का सफल परिक्षण किया गया। यह परीक्षण तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन की ‘वर्टिकल टेस्ट फेसिलिटी’ में हुआ।
चार नवंबर 2022 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में इस सफल परिक्षण के साथ ही विकास और संभावनाओं की एक नई उड़ान को भी मज़ूरी दी गई।
तिरूवनंतपुरम में ‘वर्टिकल टेस्ट फेसिलिटी’ के रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन में अग्निलेट इंजन का 15 सेकंड का परीक्षण किया गया था। इसरो ने एक बयान में कहा कि इसरो और अग्निकुल कॉसमॉस के बीच एक सहमति पत्र के तहत यह परीक्षण किया गया।
अग्निकुल कॉसमॉस स्टार्टअप का यह रॉकेट इंजन पूरी तरह से भारत में ही बनकर तैयार हुआ है। थ्री-डी प्रिंटिंग तकनीक में भी यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
श्रीनाथ रविचंद्रन और मोइन एसपीएम, साल 2017 से अपने स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस के ज़रिए, छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल बनाने पर काम कर रहे हैं।
अग्निकुल कॉसमॉस के इस 3D प्रिंटेड इंजन के क्या होंगे इसके फायदे?
इंजन परीक्षण की सफलता से स्टार्टअप के लॉन्च व्हीकल ‘अग्निबाण’ के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, जो 100 से 300 किलोग्राम तक पेलोड को धरती से ऑर्बिट (करीबन 700 किमी) तक ले जाने में सक्षम है।
अग्निकुल कॉसमॉस के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, “हमारी इन-हाउस तकनीक को मंजूरी मिलने के अलावा, इस सफलता से यह समझने में भी आसानी मिलेगी कि बड़े स्तर पर रॉकेट इंजन को कैसे डिजाइन और विकसित किया जाए! इसे संभव बनाने के लिए हम IN-SPACe और इसरो के शुक्रगुज़ार हैं।”
अग्निकुल कॉसमॉस को हाल ही में सरकार की ओर से सिंगल पीस रॉकेट इंजन डिज़ाइन करने के लिए सम्मानित भी किया गया है। इसके साथ ही स्टार्टअप की ओर से एक और बड़ी घोषणा की गई है। वह जल्द ही IIT मद्रास रिसर्च पार्क में अपनी रॉकेट फैक्ट्री फॉरेस्ट का उद्घाटन करेंगे, जो भारत की पहली रॉकेट बनाने की फैक्ट्री होगी, जिसमें 3D प्रिंट पर काम किया जाएगा।
संपादनः अर्चना दुबे
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