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मच्छरों को मारने के लिए किया आविष्कार, खुली जगह पर भी है कामयाब

दुनियाभर में मच्छरों की 3500 से ज्यादा प्रजातियां हैं। मलेरिया डेंगू, चिकनगुनिया और पीला बुखार जैसी बिमारियों के लिए मच्छर ही जिम्मेदार हैं। मच्छरों के काटने से होने वाली बिमारियों से, दुनिया भर में हर साल सात लाख लोगों की मौत होती है। घर में मच्छरों को भगाने के लिए, तो लोग कई तरह के तरीके अपनाते हैं। लेकिन सार्वजनिक क्षेत्रों का क्या? खासकर ऐसी जगहें, जहां खुले सीवरेज या सेप्टिक टैंक होते हैं। उन जगहों पर मच्छर सबसे ज्यादा पनपते हैं और बीमारियां फैलाते हैं। 

लेकिन, क्या हो अगर मच्छरों के पनपने की इन जगहों पर ही, उन्हें खत्म कर दिया जाए? जाहिर है कि ऐसा होने से बीमारियां नहीं फैलेंगी। सबसे अच्छी बात यह है कि किसी हानिकारक केमिकल के इस्तेमाल के बिना, ऐसा करना मुमकिन है। इस काम को करने के लिए, केरल के रहने वाले 50 वर्षीय मैथ्यूस के. मैथ्यू ने एक खास आविष्कार किया है। जिसका नाम उन्होंने ‘हॉकर’ (Hawker) रखा है। हॉकर एक ऐसा यंत्र है, जो सार्वजनिक क्षेत्रों में मच्छरों को पकड़कर खत्म करता है। 

केरल के कोट्टायम में कांजिरपल्ली तालुका के पास कप्पदु (kappadu) के रहने वाले, मैथ्यूस ने ग्रैजुएशन तक पढ़ाई की है। वह जिस इलाके से हैं, वहां पर रबर की खेती काफी ज्यादा होती है। यहाँ मच्छरों की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है। एक किसान परिवार से होने की वजह से उन्होंने बचपन से ही मच्छरों से होने वाली परेशानियों को झेला है। उन्हें अक्सर लगता था कि क्या ऐसा कोई तरीका नहीं, जिससे खुली जगहों पर भी मच्छरों को खत्म किया जा सके। वह कहते हैं कि मच्छरों से राहत पाने के लिए एक गैस का छिड़काव कराया जाता है, जो हानिकारक होता है। मैथ्यूस मच्छरों को खत्म करने का कोई ऐसा तरीका अपनाना चाहते थे, जो रसायन मुक्त हो और इससे किसी को कोई नुकसान न हो। 

Mathews K. Mathew

कैसे हुई शुरुआत: 

वह कहते हैं, “एक दिन मैं कमरे में बैठकर पढ़ रहा था कि एक मच्छर मेरे हाथ पर आकर बैठ गया। मैंने उसे दूसरे हाथ से झटक दिया और वह मेज पर ही गिर गया। कुछ देर बाद, मैंने देखा कि वह मच्छर मरा नहीं था बल्कि बेहोश हुआ था। होश में आते ही, वह बाहर जाने का रास्ता तलाशने लगा। मैंने देखा कि वह छत की तरफ जा रहा था, क्योंकि छत में मिट्टी की टाइलों के बीच एक पारदर्शी कांच लगा हुआ था, जिससे सूरज की रोशनी आ रही थी। लेकिन, मच्छर को लगा कि यह खुली जगह है और वह बाहर जाने का रास्ता तलाशने लगा।” 

इस घटना से मैथ्यूस को पता चला कि मच्छर रोशनी की तरफ आकर्षित होते हैं। साथ ही, वे पारदर्शी चीजों को पहचान नहीं पाते हैं। इसके बाद, उन्होंने एक गाय के तबेले में बने ‘बायोगैस प्लांट’ के पास बहुत ज्यादा मच्छरों को देखा। वह कहते हैं कि वह प्लांट, दो पत्थरों से ढका हुआ था। दोनों पत्थरों के बीच छोटी सी जगह खाली थी, जिससे मच्छर अंदर जा रहे थे। मैथ्यूस को समझ में आया कि मच्छर बहुत ज्यादा गर्मी सहन नहीं कर पाते हैं। इसलिए, वे ऐसी जगह तलाशते हैं, जहां ठंडक और नमी हो। इन्हीं जगहों पर वे प्रजनन भी करते हैं। 

इन दो घटनाओं के बाद, मैथ्यूस ने मच्छरों को पकड़ने के लिए कोई यंत्र या उपकरण बनाने के बारे में सोचा। जिसके लिए उन्होंने एक प्रयोग किया। वह कहते हैं, “मैंने बायोगैस टैंक के ऊपर रखे पत्थरों के बीच, खाली जगह के ऊपर एक पारदर्शी ग्लास रख दिया। उसमें मच्छरों के अंदर जाने के लिए, बस एक छोटी सी जगह खाली छोड़ी। कुछ समय बाद ही ग्लास में मच्छर इकट्ठा होने लगे। इसके बाद, मैंने मच्छरों के अंदर जाने वाले रास्ते को और छोटा किया और सिर्फ एक छेद उनके लिए छोड़ा। लेकिन, फिर भी मच्छर उस छेद को ढूंढकर अंदर जा रहे थे। तब मुझे समझ आया कि मच्छर इस टैंक से निकलने वाली, बायोगैस की गंध के कारण ही टैंक की तरफ आकर्षित हो रहे थे। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, मैंने अपने यंत्र पर काम किया।” 

साल 2000 में, मैथ्यूस ने अपने यंत्र का प्रोटोटाइप तैयार किया। इसमें सफलता मिलने के बाद, उन्होंने आगे प्रयोग करना जारी रखा। हालांकि, यह राह उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं थी। फंडिंग, डिजाइनिंग और इस यंत्र की मैन्युफैक्चरिंग के लिए, हर कदम पर मैथ्यूस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बहुत से लोग उनका मजाक भी उड़ाते थे। लेकिन, वह अपने काम में जुटे रहे और कई सालों की मेहनत के बाद, उन्होंने यह ‘हॉकर’ यंत्र बनाया। 

क्या है ‘हॉकर:’

Hawker

उन्होंने अपना यह यंत्र कई प्रयोग करने के बाद तैयार किया। जिसे सेप्टिक टैंक, बायो गैस टैंक, सीवरेज टैंक आदि के पास उपयोग में लिया जा सकता है। इसका निचला हिस्सा पॉलीमर और ऊपरी हिस्सा पारदर्शी प्लास्टिक से बना हुआ है। इसमें एक ट्यूब लगी हुई है। जिसे किसी भी टैंक से जोड़ा जा सकता है, ताकि इस ट्यूब के जरिए टैंक से बायोगैस, हॉकर के निचले हिस्से में पहुंचे। इस हिस्से से यह गैस बाहर फैलती है और मच्छरों को आकर्षित करती है। गैस की गंध पाकर, मच्छर सबसे पहले यंत्र के निचले हिस्से में घुसते हैं। फिर ऊपर की तरफ जाते हैं, क्योंकि यहां पारदर्शी प्लास्टिक से उन्हें रोशनी मिलती है। 

जब मच्छर ऊपर की तरफ आते हैं, तो वे एक चैम्बर में फंस जाते हैं। यह चेंबर सूरज की रोशनी से गर्म हो जाता है, जिसमें फंसे हुए मच्छर ज्यादा गर्मी सहन न करने की वजह से मर जाते हैं। मैथ्यूस कहते हैं, “एक बार इस यंत्र को लगाने या इनस्टॉल करने के बाद, इसे चलाने में कोई खर्च नहीं आता। क्योंकि इसमें आप अपनी तरफ से, किसी भी तरह की गैस या केमिकल का प्रयोग नहीं करते हैं। बल्कि, जिस टैंक के ऊपर इसे लगाया जाता है, यह उसमें बनने वाली बायोगैस का इस्तेमाल करके मच्छरों को आकर्षित करता है। साथ ही, सूरज की रोशनी की मदद से उन्हें खत्म कर देता है। इस यंत्र का सिर्फ एक ही काम है – मच्छरों को उनके पनपने की जगह पर ही खत्म कर देना, ताकि वे बीमारियां न फैलाएं। यह यंत्र वैज्ञानिक तरीके से काम करता है और इको फ्रेंडली है।” 

इसकी विशेषताएं: 

Installed in a Church as well

अपने इस यंत्र को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए, मैथ्यूस ने 2006 में अपनी कंपनी ‘काईन टेक्नोलॉजीज़ एंड रिसर्च’ (KINE Technologies & Research) की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि वह अब तक ‘हॉकर’ की एक हजार से ज्यादा यूनिट बेच चुके हैं। उन्होंने उज्जैन के सेवाधाम आश्रम, बेंगलुरु के यूकेन इंडिया और कोट्टायम के एक चर्च में भी अपने यंत्र को इंस्टॉल किया है।

उनसे हॉकर खरीदने वाले उनके एक ग्राहक, नीलेश ने बताया, “मेरे घर के आसपास मच्छरों की काफी ज्यादा समस्या थी। मुझे कहीं से मैथ्यू के इस यंत्र के बारे में पता चला और मैंने इसे ट्राई करने की सोची। लगभग छह महीने पहले मैंने उनसे यह यंत्र मंगवाया था और यह काफी अच्छे से काम करता है। मच्छरों की कुछ प्रजातियों पर यह काफी प्रभावी है।”

मैथ्यूस कहते हैं कि साल 2009 में, उन्हें ‘नैशनल इनोवेशन फाउंडेशन’ के बारे में पता चला और उन्होंने अवॉर्ड के लिए अप्लाई किया। NIF की टीम ने उनके यंत्र की जाँच-पड़ताल करके तसल्ली की। मैथ्यूस को ‘हॉकर’ के लिए, साल 2009 में राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मैथ्यूस को अपने इस आविष्कार के लिए पेटेंट भी मिला है।

He has won award as well

वह कहते हैं, “मुझे इस आउटडोर यूनिट के लिए ग्राहकों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। साथ ही, बहुत से लोगों ने इंडोर यूनिट की भी मांग की है।” उन्होंने ‘हॉकर’ का एक और मॉडल तैयार किया है, जो घर, दफ्तर और दूसरी इंडोर जगहों पर काम कर सके। उनका यह दूसरा यंत्र भी तैयार है, जिसके पेटेंट के लिए उन्होंने अप्लाई कर दिया है। वह कहते हैं कि जैसे ही उन्हें पेटेंट मिलेगा, वह इसे व्यवसायिक स्तर पर बनाने लगेंगे। इसके अलावा, उन्होंने मक्खियों के लिए भी एक यंत्र तैयार किया है। 

अंत में वह कहते हैं कि उनका उद्देश्य ऐसे यंत्रों को बनाना है, जो बड़े स्तर पर लोगों के काम आ सके। हर साल देश में बहुत से लोग, मच्छरों से फैलनेवाली बिमारियों का शिकार होते हैं। इसलिए, उन्होंने यह किफायती और इको फ्रेंडली यंत्र तैयार किया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद हो सके। उनके इस यंत्र को गाँव और शहर में अस्पतालों, नगर निगमों, फैक्टरियों, होटलों और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर लगाया जा सकता है। सही कहते हैं कि कुछ अलग करने के लिए, एक अलग सोच और लगातार मेहनत करने के जज़्बे की जरूरत होती है। फिर आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। 

मैथ्यूस की कहानी हम सबके लिए एक प्रेरणा है। अगर आप उनके इस यंत्र के बारे में अधिक जानना चाहते हैं या इसे खरीदना चाहते हैं, तो उनकी वेबसाइट पर क्लिक करें। 

संपादन- जी एन झा

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