Site icon The Better India – Hindi

10 हजार रुपए से शुरू किया स्टार्टअप, ‘पहाड़ी नमक’ को पहुँचाया विदेशों तक

himshakti

साल 2012-13 में उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा से राज्य को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। सरकार, प्रशासन, सेना और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ, कुछ आम लोगों ने भी अपनी हद से आगे बढ़कर मुसीबत में फंसे लोगों की मदद की थी। इन्हीं नेकदिल लोगों में से एक थे, हर्षित सहदेव। बतौर लाइफ कोच और काउंसलर काम करनेवाले हर्षित को, उत्तरकाशी जिले में बाढ़ से तबाह हुए गाँव, डिडसारी में राहत कार्यों के लिए जाना जाता है। 

बाढ़ के कारण, जब गाँव से शहर को जोड़ने वाली सड़क और पुल क्षतिग्रस्त हो गई थी, तो लोगों की मदद के लिए हर्षित ने एक जन-अभियान शुरू किया था। उनके जन-अभियान के कारण ही, प्रशासन ने गाँव के पुल का फिर से निर्माण कराया। कुछ महीनों तक उसी गाँव में रहकर, हर्षित ने गाँव के लोगों को फिर से बसने में मदद की। हालांकि, इसके बाद वह देहरादून लौट आए और एक कंपनी के साथ काम करने लगे। लेकिन हर्षित के काम की चर्चा, फ्रांस की एक युवती, क्लोए ऐंडो तक पहुंची। क्लोए बताती हैं कि वह साइकिल से अलग-अलग देशों की यात्रा कर रही थीं और 2018 में भारत पहुंची। भारत में उन्हें उत्तरकाशी जाने का मौका मिला और यहां पर उन्हें हर्षित के बारे में पता चला। उन्होंने उनसे संपर्क किया। 

हर्षित, क्लोए के साथ एक बार फिर डिडसारी पहुँच गए। हर्षित ने द बेटर इंडिया को बताया, “2018 में जब मैं फिर से गाँव पहुंचा, तो देखा कि अभी भी बहुत सी समस्याएं हैं। गाँव के लोगों के पास स्थायी रोजगार की कमी है। मूलभूत सुविधाएँ जुटाने के लिए भी उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। ऐसे में, क्लोए ने कहा कि हमें कुछ करना चाहिए। गाँव के हालात देखकर, मेरे मन भी यह विचार आ चुका था कि अब कुछ ऐसा करना होगा, जिससे हम पहाड़ों की आर्थिक स्थिति सुधार सकें।” 

पहाड़ी नमक बना पहाड़ों की उन्नति का जरिया 

क्लोए और हर्षित गाँव के बच्चों के साथ

मूल रूप से देहरादून के रहनेवाले, 37 वर्षीय हर्षित सहदेव ने साइकोलॉजी विषय में मास्टर्स की है। इसके बाद, उन्होंने ‘इमोशनल इंटेलिजेंस’ और ‘वैल्यू एजुकेशन’ जैसे विषयों पर सर्टिफिकेट कोर्स भी किए हैं। हर्षित कहते हैं, “पढ़ाई के बाद मैं सामाजिक संगठनों के साथ काम करने लगा। उसी दौर में थोड़ा झुकाव जैविक खेती और स्वस्थ खाद्य उत्पादों की तरफ भी हुआ। इसी बीच, उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा आई और मैंने जीवन का एक अलग ही रूप देखा। 2018 में जब क्लोए के साथ वापस गाँव जाना हुआ, तो मैंने ठान लिया कि अब मुझे फिर से पहाड़ों की उन्नति के लिए कुछ करना है।” 

लेकिन क्या? यह सवाल ज्यों का त्यों बना हुआ था। हर्षित और क्लोए काफी दिन गाँव में रहे और एक दिन खाने के साथ क्लोए ने ‘पहाड़ी नमक’ (पिस्युं लून) चखा। उन्होंने इसके बारे में पूछा और उन्हें पता चला कि कैसे पहाड़ी जड़ी-बूटियों से बना यह नमक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इस पर क्लोए ने तुरंत कहा, “मैं यह नमक फ्रांस में बेच सकती हूँ।” और हर्षित को आगे बढ़ने की दिशा मिल गयी। क्लोए ने गाँव से लगभग 10 हजार रुपए का नमक खरीदा, जिसमें पांच हजार रुपए का निवेश हर्षित ने किया था। 

जब यह पहाड़ी नमक, फ्रांस पहुंचा तो हाथों-हाथ बिक गया। और इसके बाद, बिना एक पल गंवाए हर्षित ने अपने स्टार्टअप, ‘Himshakti’ की शुरुआत की। इसके तहत, वह गाँव की महिलाओं से, पहाड़ी नमक बनवाकर ग्राहकों तक पहुंचाने लगे। उनकी इस यात्रा में क्लोए ने हमेशा उनका साथ दिया। 

पहाड़ी नमक के साथ बेच रहे हैं अन्य पहाड़ी उत्पाद भी 

साल 2019 में हर्षित के स्टार्टअप, Himshakti का IIM काशीपुर में 25 लाख रुपए तक की ग्रांट के लिए चयन हुआ और साथ ही, उन्हें उद्यमशीलता पर ट्रेनिंग भी मिली। इसके बाद, हर्षित पहाड़ी नमक के अलावा, पहाड़ों में उगनेवाले अन्य जैविक फसलों जैसे मोटे अनाज और लाल चावल आदि की प्रोसेसिंग कर, खाद्य उत्पाद भी बनाने लगे। आज वह अलग-अलग पहाड़ी नमक के साथ चौलाई, झंगोरा, लाल चावल, मंडुआ का आटा, हल्दी, ग्रीन टी, ब्लैक टी आदि ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं। 

उन्होंने बताया, “Himshakti ने देहरादून में अपनी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट स्थापित की है। आनेवाले कुछ महीनों में एक यूनिट उत्तरकाशी में भी तैयार हो जाएगी।”

फिलहाल, Himshakti के साथ पांच महिलाएं पहाड़ी नमक बनाने के लिए जुड़ी हुई हैं। प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग यूनिट में, दो और लोग उनके साथ काम करते हैं। इसके अलावा, जैविक उपज के लिए वह चार-पांच किसान स्वयं सहायता समूहों से जुड़े हुए हैं। इन समूहों में आठ से लेकर 10 किसान हैं, जो जैविक और प्राकृतिक तरीकों से खेती करते हैं। कटाई के बाद, ये किसान Himshakti को सीधा अपनी उपज बेचते हैं। इससे उन्हें बाजार की समस्या नहीं आती है और उन्हें समय से अपनी उपज के पैसे मिल जाते हैं। 

Himshakti से जुड़े एक किसान, शुभम पवार कहते हैं, “किसानों के लिए मार्केटिंग बहुत बड़ी समस्या है। लेकिन Himshakti से जुड़ने के बाद काफी मदद मिली है, क्योंकि Himshaktiन सिर्फ बीज, खाद के लिए हमारी मदद करता है, बल्कि हमारी उपज भी खरीदता है। इस तरह से किसानों को दोनों तरफ से फायदा हो रहा है।”  

किसानों के साथ हर्षित

हर्षित कहते हैं कि पहाड़ों में ट्रांसपोर्ट आसान नहीं है, इसलिए शुरुआत में किसानों को उपज पहुंचाने में परेशानी होती थी। लेकिन Himshakti की टीम ने इस काम में उनकी मदद की। कुछ किसान सामान्य रोडवेज बसों में भी अपनी उपज बोरियों में भरकर रख देते हैं, जिसे देहरादून में Himshakti की टीम ले लेती है। वहीं कुछ किसान, ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज का सहारा ले रहे हैं। इसके अलावा, कई बार बाजार की मांग के हिसाब से भी वह किसानों को खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं। जैसे इस बार, उन्होंने लगभग पांच किसानों को अदरक के बीज उपलब्ध कराए और उन्हें अदरक का उत्पादन करने को कहा। 

विदेशों तक पहुँच रहे हैं उत्पाद

जिस कंपनी की शुरुआत ही फ्रांस में पहाड़ी नमक बेचने से हुई हो, वह सिर्फ भारत की सीमाओं तक कैसे सिमित रह सकती है। हर्षित कहते हैं, “अब हमारे उत्पाद दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों तक पहुँच रहे हैं। बेंगलुरु और मुंबई से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इसके अलावा, फ्रांस, कनाडा, यूके और यूएस जैसे देशों तक भी हम सामान पहुंचा रहे हैं। अब हम कुछ होटल और होमस्टे के साथ भी काम कर रहे हैं।” 

मसूरी के होमस्टे चलानेवाली, सुनीता कुडले कहती हैं कि वे अपने मेहमानों को सलाद के साथ हिमशक्ति का पहाड़ी नमक परोसते हैं। जैसे ही लोग इस नमक को चखते हैं, तो तुरंत पूछते हैं कि ये क्या मसाला है? हम कहाँ से खरीद सकते हैं? 

देहरादून की एक गृहिणी, अनुराधा चोपड़ा कहती हैं कि हिमशक्ति का पहाड़ी नमक स्वाद और औषधीय गुणों से भरपूर है। इसलिए अब उनके घर में सामान्य नमक से ज्यादा इस पहाड़ी नमक का इस्तेमाल होता है। 

राज्य के मुख्यमंत्री के साथ हर्षित

‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा दे रही इस कंपनी की मार्किट वैल्यू फिलहाल, 9 करोड़ रुपए की है और उनका टर्नओवर लाखों में है। सबसे अच्छी बात यह है कि उन्हें न सिर्फ ग्राहकों से, बल्कि बाजार में उपलब्ध निवेशकों से भी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। 

‘गुलाबी नमक’ (पिंक साल्ट) को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार की कंपनी ‘हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड‘ ने Himshakti को अपना ‘मार्केटिंग पार्टनर’ बनाया है। इसके बारे में हर्षित कहते हैं, “हम सब जानते हैं कि सेंधा नमक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। लेकिन भारत में ज्यादातर सेंधा नमक पाकिस्तान से आता है। जिसे व्रत आहार में इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह शुद्ध होता है। इसके अलावा, देश में ‘पिंक हिमालयन साल्ट’ मशहूर है। लेकिन इस नमक में मिलावट काफी होती है। इसलिए हमारी कोशिश है कि हम लोगों को सही और शुद्ध ‘पिंक साल्ट’ पहुंचाएं।” 

हाल ही में, उन्होंने अपना यह उत्पाद लॉन्च किया है और उन्हें उम्मीद है कि यह भी लोगों को पसंद आएगा। हर्षित कहते हैं कि वह लोगों से सिर्फ यही अपील करते हैं कि लोग कम से कम एक बार उनके खाद्य उत्पाद ट्राई करें। वह लोगों से आत्मनिर्भर बनने की अपील भी करते हैं। उन्होंने कहा, “लॉकडाउन और कोरोना ने परिस्थितियां काफी मुश्किल कर दी हैं। लेकिन चलते रहने का नाम ही जीवन है, क्योंकि एक-दो बार असफल होने पर हार मान लेना कोई विकल्प नहीं है। इसलिए अगर आपके पास आईडिया है, तो अपना खुद का बिज़नेस शुरू कीजिए।” 

Himshakti के उत्पाद खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: टेलर से बेकार कतरन लेकर शुरू किया बिज़नेस, आज है खुद का फैशन हाउस

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Exit mobile version