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महिलाओं को दुनिया घुमाने वाला स्टार्टअप, सिर्फ रु. 5000 में शुरू किया था कॉलेज गर्ल ने

Let Her Travel Company Only for Women
महिलाओं को दुनिया घुमाने वाला स्टार्टअप, सिर्फ रु. 5000 में शुरू किया था कॉलेज गर्ल ने

साक्षी बालदे मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली हैं। उन्होंने स्थानीय मेडीकैप्स यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनयरिंग की है। साक्षी की उम्र महज 24 साल है, लेकिन उन्होंने अपनी बड़ी सोच से एक ऐसी पहल (Travel company) शुरू की है, जिससे समाज में महिलाओं को एक नई प्रेरणा मिल सकती है

आज देश में महिलाओं को ट्रैवलिंग के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है। इसके लिए उन्हें परिवार और समाज में कई सवालों का सामना करना पड़ता है। लेकिन, साक्षी ने इन धारणाओं को तोड़ते हुए महिलाओं को दुनिया की सैर कराने कराने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने ‘लेट हर ट्रैवल’ (Let HerTravel) नाम से एक स्टार्टअप (travel company) शुरू किया है।

इसके तहत, वह लड़िकयों के लिए न सिर्फ सुरक्षित ट्रैवलिंग को अंजाम देती हैं, बल्कि यह काफी सस्ता भी है। साक्षी अब तक गोवा, मनाली, उदयपुर जैसे कई जगहों के लिए 45 से अधिक ट्रिप अरेंज कर चुकी हैं। खास बात यह है कि उन्होंने इस बिजनेस (travel company) को सिर्फ 5000 रुपए से शुरू किया था और आज उनका टर्न ओवर करीब 25 लाख रुपए है।

कैसे शुरू हुआ सफर

इस कड़ी में साक्षी ने द बेटर इंडिया को बताया, “मुझे बचपन से ही घूमने-फिरने का काफी शौक है। कॉलेज के दूसरे साल के दौरान, हमने कुछ लड़कियों के साथ मिलकर कहीं घूमने का प्लान बनाया। लेकिन, किसी का परिवार नहीं मान रहा था, तो किसी ने पैसे की दिक्कत बताई। अंत में यह ट्रिप पूरा नहीं हो सका। जिसके बाद मैं अकेले घूमने के लिए निकल गई। यह मेरी पहली सोलो ट्रिप थी।”

साक्षी बालदे

इसके बाद, साक्षी को आइडिया आया कि क्यों न लड़कियों की ट्रैवलिंग के लिए एक स्टार्टअप (travel company) शुरू किया जाए। इसे लेकर उन्होंने रिसर्च किया, तो उन्हें पता चला कि लड़कियों को ट्रैवलिंग के लिए मूल रूप से इन्हीं तीन समस्याओं का समाना करना पड़ता है।

वह बताती हैं, “यदि लड़कियां घर से कहीं अकेले बाहर निकले तो आस-पास के लोग अजीब नजर से देखने लगते हैं। इसलिए सबसे पहली समस्या होती है, ट्रैवलिंग के लिए परिवार को राजी करना। फिर, सेफ्टी और पैसे की दिक्कत आती है।”

वह आगे बताती हैं, “इसलिए मैंने एक ऐसे आइडिया सोचा, जो सुरक्षित भी और सस्ता भी। मैंने अपनी 5 हजार की पर्सनल सेविंग के साथ नवंबर 2018 में पहला ट्रिप ऑर्गेनाइज किया। हम इंदौर से मांडू गए थे। इस ग्रुप में 15 लड़कियां थीं। इसमें कुछ कॉलेज फ्रेंड्स थे, तो कुछ कस्टमर।”

साक्षी के इस ट्रिप को तो काफी अच्छा रिस्पांस मिला। वह बताती हैं, “मेरी पहली ट्रिप के दौरान, दो बहनें मेरे पास आई और गले लगा लिया। इससे मैं हैरान थी। फिर, उन्होंने बताया कि वे पहली बार किसी ट्रिप के लिए निकली हैं। उनके पिता कभी राजी नहीं होते थे। इससे मुझे एक हौंसला मिला।”

साक्षी ने 2018 में की थी लेट हर ट्रैवल की शुरुआत

लेकिन जनवरी 2019 में उन्होंने जब अपना दूसरा ट्रिप ऑर्गेनाइज किया, तो यह पूरी तरह से फेल हो गया। इससे साक्षी को एहसास हुआ कि यदि इस बिजनेस को आगे बढ़ाना है, तो हॉबी की तरह काम करने के बजाय, इसे स्केल अप करना होगा।

इसके बाद, साक्षी ने कई पार्ट जॉब करना शुरू कर दिया और उससे जो पैसे मिले, अपने स्टार्टअप में लगा दिया। 

परिवार की क्या थी प्रतिक्रिया

साक्षी बताती हैं, “मैं एक मराठी परिवार से हूँ। मेरे यहाँ बिजनेस शायद ही कोई करता है। जब मैंने घर में बताया कि मैं एक ट्रैवलिंग स्टार्टअप को शुरू करना चाहती हूँ, तो उन्हें लगा कि मैं अभी बिजनेस करने के लिए काफी छोटी हूँँ। इसलिए सबने मुझे अपनी पढ़ाई पूरी कर, जॉब करने के लिए कहा। लेकिन, मैंने उन्हें आसानी से राजी कर लिया।”

कठिन थी राह

सबकुछ ठीक चल रहा था और साक्षी रविवार को ट्रिप ऑर्गेनाइज करती थीं। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया कि उन्हें लगा कि शायद उन्होंने कोई गलती कर दी है।

कोरोना महामारी में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा साक्षी को

वह कहती हैं, “मेरी पढ़ाई जनवरी 2020 में पूरी हुई। जून में डिग्री मिलने वाली थी। मैंने अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए कैम्पस प्लेसमेंट में हिस्सा नहीं लिया। इसी बीच, मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। किसी को अंदाज नहीं था कि ऐसा कब रहेगा। मेरा बिजनेस बिल्कुल बंद हो गया था। इससे मुझे लगने लगा कि मैंने गलती कर दी है, मुझे जॉब ही करना चाहिए था।”

वह आगे बताती हैं, “लॉकडाउन कई महीनों तक लगा रहा है। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करना है। फिर, मैं कुछ फ्रीलांस काम करने लगी। फिर जब धीरे-धीरे मार्केट खुला, तो मैंने अपने बिजनेस को फिर से रास्ते पर लाया। तब से मैंने 35 से अधिक ट्रिप को ऑर्गेनाइज कर लिया है। आज मेरा टर्न ओवर लगभग 25 लाख रुपए है।”

क्या है बिजनेस मॉडल

साझी बताती हैं, “कई बार लड़कियों के ट्रैवलिंग के लिए पैसे और फ्रीडम की कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन कोई ग्रुप नहीं होने के कारण, वे ट्रैवल नहीं कर पाती हैं। इसलिए हम ग्रुप ट्रैवलिंग करते हैं। इससे उन्हें नए दोस्त मिलते हैं और सोच भी खुलता है।”

उनकी एक कस्टमर निधि अग्रवाल कहती हैं, “मैं कुछ हफ्ते पहले महेश्वर और सहस्त्रधारा ट्रिप पर गई थी। मैंने Let Her Travel को इसलिए चुना, क्योंकि सिर्फ वूमन ट्रेवलर्स का उनका आइडिया मुझे पसंद आया। वे पूरी ट्रैवलिंग प्लान काफी अच्छे से बनाते और पूरा करते हैं। एक सोलो ट्रैवलर के रूप में वे आपको कभी बोर नहीं होने देते हैं। लेट हर ट्रैवल की पूरी टीम को शुभकामनाएं।”

बता दें कि ‘लेट हर ट्रैवल’ मध्य भारत में अपनी तरह का पहला स्टार्टअप है। इस वजह से लोगों का साक्षी पर एक भरोसा कायम हो गया है।

वह आगे बताती हैं, “हमने अपने प्रॉफिट मार्जिन को कम रखा है। इस वजह से हम कस्टमर को सस्ता सर्विस दे पाते हैं। वहीं, सभी की सुरक्षा के लिए हमने सर्टिफाइड प्रोफेशनल्स को रखे हैं। यदि किसी के परिवार में परमिशन की दिक्कत आ रही है, तो हमारे साथी उनके माता-पिता से बात करते हैं और उनकी समस्याओं को हल करने की कोशिश करते हैं।”

साक्षी फैमिली ट्रिप और कॉरपोरेट ट्रिप का भी आयोजन करती हैं। वह अपने ग्राहकों को गाड़ी से लेकर होटल तक की सुविधा देती हैं। वह अपने प्रमोशन के लिए वाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का सहारा लेती हैं।

महिलाओं को देना चाहती हैं बढ़ावा 

साझी ने फिलहाल भोपाल और इंदौर में अपना ऑफिस खोला है। इसके लिए उन्होंने 15 महिलाओं को काम पर रखा है। वह सर्टिफाइड मेल स्टाफ मेंबर की मदद सिर्फ जंगलों में ट्रैकिंग के दौरान लेती हैं, ताकि कोई रिस्क न हो।

साझी बताती हैं, “मैं जल्द ही बेंगलुरु और नोएड में अपना ऑफिस खोलने की योजना बना रही हूँ। मेरा मकसद इस क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं को बढ़ावा देने का है, ताकि समाज में एक बदलाव आ सके।”

वह बताती हैं कि यात्राओं के दौरान उनकी मुलाकात कई पश्चिमी देशों की महिलाओं से होती है। वे काफी खुली सोच रखती हैं। यात्राओं से उनके व्यक्तित्व का विकास होता है और वे देश-दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकती हैं। भारत में भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस सोच को बढ़ावा देने की जरूरत है।

आप लेट हर ट्रैवल से यहां संपर्क कर सकते हैं।

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