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पिता ने साइकिल पर मसाले बेचने से की शुरुआत, 7 बेटियों ने विदेश तक पहुँचाया बिज़नेस

क्या आपने ‘Spice Girls of India’ के नाम से मशहूर जोधपुर की सात बहनों के बारे में सुना है? दरअसल जोधपुर में मसाले की एक दुकान है, जिसे ये सात बहनें चलाती हैं। मसाले की यह दुकान, अब एक ब्रांड है, जो विदेशी पर्यटकों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय है।

शहर के सरदार बाजार में बरसों पुरानी दुकान, MV Spices दुनिया के अलग-अलग देशों से आने वाले टूरिस्ट्स के बीच खूब लोकप्रिय है। कनाडा, लंदन और दूसरे यूरोपियन देशों से आने वाले यात्री इस दुकान से मसाले खरीदने जरूर आते हैं। इस दुकान को चला रही हैं भगवंती मोहनलाल और उनकी सात बेटियां। 

MV Spices की शुरुआत 80 के दशक में स्वर्गीय मोहनलाल ने की थी। सालों तक दिन-रात की मेहनत से मोहनलाल ने अपने बिज़नेस को एक अलग पहचान दी थी लेकिन एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। ऐसे में, सबको लगा कि अब यह दुकान बंद हो जाएगी क्योंकि मोहनलाल का कोई बेटा नहीं है और महिलाएं कहाँ बिज़नेस करती हैं। लेकिन भगवंती और उनकी बेटियों ने न तो इस बिज़नेस को बंद होने दिया और न ही किसी भी मायने में घटने दिया। 

आज MV Spices की शहर में अलग-अलग जगहों पर चार दुकानें हैं और दुनिया भर में मोहनलाल और भगवंती की बेटियों को Spice Girls of India कहा जाता है। 

मेहराणगढ़ किले में मसाले बेचना किया शुरू 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए भगवंती मोहनलाल और उनकी तीसरी बेटी, नीलम ने बताया कि यह मोहनलाल की सोच थी कि हमारे देश के मसालों को दूसरे देशों के लोगों के रसोईघरों तक पहुँचाया जाए। वह हमेशा भगवंती से तरह-तरह के मसालों के बारे में पूछा करते थे। उस समय सरदार बाजार में उनकी छोटी-सी दुकान थी। लेकिन उनका उद्देश्य बहुत बड़ा था। उन्होंने अलग-अलग तरह के मसालों का इस्तेमाल करके विदेशियों के स्वाद के अनुसार मसाले तैयार किए और इन्हें बेचने के लिए साइकिल पर मेहरानगढ़ किला जाते थे। 

अपने पिता को याद करते हुए नीलम कहतीं हैं, “किले में विदेशी यात्री घूमने आते थे तो पापा वहां जाकर अपने मसाले बेचते थे। उन्हें अलग-अलग भाषाएं बोलने और सीखने का भी शौक था। विदेशियों से बात कर-कर के उन्होंने अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनिश जैसी भाषाएं बोलना सीखा। वह दिन में किले में अपने मसाले बेचते थे और शाम होते-होते अपनी दूकान पर आ जाते थे। लेकिन उनकी मेहनत जाया नहीं हुई बल्कि उनके मसाले विदेशियों को पसंद आने लगे और एक बार एक अंग्रेज ने खासतौर पर उनके लिए पत्र भी लिखा कि उनके देश में बहुत से लोगों को ये मसाले अच्छे लगे हैं।” 

सब-कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। मोहनलाल अपने बिज़नेस को आगे बढ़ा रहे थे और भगवंती घर को संभालते हुए अपनी बेटियों की अच्छी परवरिश कर रही थी। लेकिन साल 2004 में दिल का दौरा पड़ने से मोहनलाल का निधन हो गया। 

एक माँ ने लड़ी बेटियों के हक की लड़ाई 

भगवंती बताती हैं कि उनके परिवार में पहले ही सात बेटियों को लेकर बहुत-सी बाते होती थीं। ऐसे में, अचानक से मोहनलाल के चले जाने ने उनकी परेशानी बढ़ गई। एक तरफ जहां पूरा परिवार इस बात पर फैसला कर रहा था कि मोहनलाल का कौन-सा भाई अब उनके बिज़नेस को संभालेगा या इसे बंद कर देना चाहिए तो वहीं भगवंती मन बना चुकी थीं कि वह अपने पति की मेहनत और बेटियों का हक किसी को नहीं लेने देंगी। एक साधारण परिवार में जन्मी भगवंती ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं लेकिन उन्होंने देखा था कि कैसे उनके पति ने एकदम जीरो से शुरुआत कर अपनी पहचान बनाई। 

“घर में बेटे को लेकर हमेशा बाते होती थीं। सबको यही लगता था कि सात बेटियों का पालन-पोषण कैसे होगा? एक भी बेटा नहीं है तो आगे का जीवन कैसे बीतेगा? लेकिन मेरे पति को अपनी बेटियों से बहुत प्यार था। उन्होंने कभी नहीं कहा कि बेटा क्यों नहीं है? वह अपनी बेटियों को हर सुख-सुविधा देना चाहते थे। इसलिए मैंने तय किया कि हमारे बिज़नेस को मेरी बेटियां संभालेंगी। परिवार में बहुत विरोध भी हुआ। रिश्तेदारों ने साथ छोड़ दिया था लेकिन मैं पीछे नहीं हटी। मैंने अपना दिल मजबूत किया और अपनी बेटियों को दुकान खोलने के लिए कहा,” उन्होंने बताया। 

आज उनकी सात बेटियां- ऊषा, पूनम, नीलम, निक्की, कविता, ऋतू और प्रिया बिज़नेस को संभाल रही हैं। भगवंती ने जब अपने हाथ में बिज़नेस की बागडोर ली, तब ऊषा 21 साल की थीं और प्रिया मात्र नौ साल की। नीलम कहती हैं कि शुरुआत बहुत ही मुश्किल थी। क्योंकि परिवार वाले तो क्या बाजार में भी लोग नहीं चाहते थे कि लडकियां दुकान पर आएं और इसे संभालें। कुछ लोगों ने साथ दिया तो बहुतों ने कोशिश की कि वे और उनकी बहनें बिज़नेस का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दें। लेकिन भगवंती न तो खुद पीछे हटी और न ही अपनी बेटियों को हटने दिया। 

ग्राहकों ने बना दिया ‘Spice Girls of India’

नीलम ने बताया, “जोधपुर में बहुत से लोगों ने हमारे पापा के आईडिया को कॉपी करके अपनी दुकानें खोल दी क्योंकि सबके मन में यही था कि बेटा नहीं है तो कब तक ये औरतें संभालेंगी। हमारी दुकान पर आने वाले टूरिस्ट्स को भी भटका देते थे। हमें अलग-अलग टूरिस्ट्स के ईमेल आने लगे कि हम आपकी दुकान से मसाले लेकर गए लेकिन ये अच्छे नहीं निकले। जबकि वे हमारी दुकान पर आये ही नहीं। तब हमें पता चला कि लोग हमारे नाम से उन्हें ठग रहे हैं। लेकिन ऐसे में हमने तय किया कि ऐसी जगह अपनी एक और ब्रांच खोले जहां पर पहुंचना टूरिस्ट्स के लिए आसान रहे।” 

आज लगभग 17 साल बाद, MV Spices की चार ब्रांच हैं और वे लगातार अपने विदेशी ग्राहकों को शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले मसाले उपलब्ध करा रहे हैं। आप Trip Advisor पर विदेशियों द्वारा लिखे गए उनके मसालों के रिव्यु पढ़ सकते हैं। मैक्सिको से उनके एक ग्राहक कहते हैं, “नीलम की अपने सभी उत्पादों और भारतीय मसालों के बारे में जानकारी कमाल की है। अब मैक्सिको में हर दिन मैं अपने खाने को उनके काली मिर्च, गर्म मसाला और दूसरे मसालों से स्वादिष्ट बनाता हूँ और खासकर, उनका चाय मसाला फेवरेट है। अगर आप कभी भी जोधपुर जाएं तो एक बार उनके स्टोर पर जरूर जाएं।” 

वहीं, यूके की क्लैर लिखती हैं, “हमारे गाइड हमें उनके यहां लेकर गए। मुझे लगा था कि यह कुछ ख़ास नहीं होगा पर मैं गलत थी। हमें वहां सबसे पहले मसाला चाय पीने को मिली जो कमाल थी। फिर स्पाइस गर्ल नंबर 3 (नीलम) ने हमने सभी मसाले दिखाए और बताया कि हम कैसे इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बहुत अच्छे से हमें समझाया और हम जब लौट रहे थे तो उन्होंने हमसे ईमेल आईडी ली और बाद में, हमें मसालों के साथ कुकिंग के और भी दिशा-निर्देश भेजे। उस दिन हमारी हमारे ड्राइवर के साथ भी कुछ समस्या हो गयी थी लेकिन उन्होंने हमारी मदद की।” 

विदेशी टूरिस्ट्स से MV Spices के बारे में सुनकर बीबीसी की टीम भगवंती और उनकी बेटियों से मिली और उनकी कहानी को एक पॉडकास्ट में प्रस्तुत किया। नीलम कहती हैं, “उस पॉडकास्ट को सुनने के बाद एक विदेशी फिल्ममेकर यहां आये और उन्होंने हमारी डॉक्यूमेंट्री शूट की। वहीं से हमें यह नाम मिला ‘स्पाइस गर्ल्स ऑफ़ इंडिया।’ 

आज भी हाथ से बनते हैं लगभग 120 उत्पाद 

नीलम का कहना है कि उनके मसालों के मशहूर होने की सबसे बड़ी वजह है शुद्धता और स्वाद। मोहनलाल ने शुरुआत से ही विदेशी ग्राहकों पर ध्यान दिया था और उनके स्वाद के हिसाब से ही अलग-अलग मसालों को मिलाकर मिश्रण तैयार किए थे। आज उनके पास लगभग 120 उत्पाद हैं, जिनमें सामान्य मसाले, मसालों के मिश्रण जैसे करी मसाला, चाय मसाला, हर्बल मसाला आदि शामिल हैं। बिज़नेस में पैसा कमाने से ज्यादा उनका ध्यान अपने मसालों की गुणवत्ता बरकरार रखने पर रहता है। 

उन्होंने कहा कि मसालों को तैयार करने का सभी काम हाथों से होता है। उन्होंने अब तक भी अपने काम में मशीनों का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है ताकि उनकी गुणवत्ता और शुद्धता बनी रहे। नीलम कहती हैं कि इससे भले ही हम सीमित मात्रा में मसाले तैयार करते हैं लेकिन ये सबसे अच्छे होते हैं। 

“10 से 12 लोग हमेशा हमारे साथ काम करते हैं। लेकिन अगर कभी सीजन में जरूरत पड़ती है तो हम और 10-12 लोगों को काम दे देते हैं,” उन्होंने बताया। उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज MV Spices के जोधपुर शहर में चार स्टोर्स हैं। लेकिन इससे भी बड़ी बात है वह सम्मान और पहचान, जो भगवंती और उनकी बेटियों को लोगों से मिल रहा है। 

भगवंती कहती हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी ख़ुशी यही है कि उन्होंने अपने पति के सपने को मरने नहीं दिया। इस बात से अब कोई फर्क नहीं पड़ता कि बेटा है या बेटी, फर्क इस बात से है कि उनके बच्चे इस ब्रांड को पूरी ईमानदारी से आगे बढ़ा रहे हैं। आज उनके परिवार में भी उनकी बेटियों की मिसाल दी जाती है। “आज भी कई बार होता है जब हमें खुद को साबित करना पड़ता है। लेकिन हमें सिर्फ यही पता है कि हम कभी हार नहीं मानेंगे और जब तक हम हैं MV Spices इसी तरह अपने मसालों और इनकी खुशबू से देश का नाम रौशन करता रहेगा,” उन्होंने अंत में कहा। 

अगर आप MV Spices के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। उनसे संपर्क करने के लिए उनका इंस्टाग्राम पेज देख सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

तस्वीर साभार

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