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Skippi Ice Pops: बचपन में चूसी हुई पेप्सी याद है? बस उन्हीं यादों को वापस ले आयी यह जोड़ी

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क्या आपको याद है वह आइस पॉप्सिकल्स, जिन्हें स्कूल के दिनों में बड़े शौक से खाया करते थे? रवि काबरा और अनुजा काबरा की जुबान पर भी पॉप्सिकल्स का स्वाद और दिल में उससे जुड़ी कुछ खास यादें थीं और यही वजह है कि उन्होंने बचपन की उन यादों को एक ब्रांड के साथ मार्केट में उतारने का फैसला किया। उन्होंने अपने स्टार्टअप को नाम दिया- Skippi Ice Pops.

वे अपने इस स्टार्टअप के साथ बाजार में आगे बढ़ रहे थे। उनका प्रोडक्ट अभी धीरे-धीरे लोगों तक पहुंचा ही था कि कोरोना महामारी की वजह से देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया। रवि और अनुजा को भी मजबूरी में बाकी लोगों की तरह घर बैठना पड़ा। बस एक महीने चली उनकी फैक्टरी साल भर बंद रही और उन्हें 11 लाख का नुकसान उठाना पड़ा।

Most Successful Businesses Shark Tank Skippi Ice Pops

इसी बीच रवि और अनुजा ने टेलीविजन शो ‘शार्क टैंक इंडिया’ में हिस्सा लेने का मन बनाया और यहीं से उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। 

पिछले महीने उनकी कंपनी स्किप्पी आइस पॉप्स ने शार्क टैंक इंडिया पर इतिहास रच डाला। उन्हें वहां से एक करोड़ रुपये का फंड मिला है। ब्रांड के संस्थापक, रवि और अनुजा काबरा, ऑल शार्क डील हासिल करने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। 

Anuja and Ravi with Shark Tank panelists

शार्क टैंक इंडिया, अमेरिकन शो शार्क टैंक की एक भारतीय फ्रेंचाइज़ी है, जो उद्यमियों के लिए अपने बिजनेस मॉडल को निवेशकों (शार्क) के पैनल के सामने पेश करने का एक मंच है। इसे देखकर निवेशक पैनल तय करता है कि कंपनी में निवेश करना है या नहीं।

Skippi Ice Pops ने जबरदस्त नुकसान के बाद की नई शुरुआत

सालभर पहले स्किप्पी आइस पॉप्स को हुए नुकसान के बारे में अनुजा ने बताया, “किराया, कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्चों के चलते हमें लाखों का नुकसान हुआ था। उत्पादन एक साल के लिए पूरी तरह से बंद था। लेकिन हमें विश्वास था कि लॉकडाउन खुलने के बाद बाजार में अवसर खुलेंगे।” 

उनका धैर्य और आत्मविश्वास रंग लाया। वे साल 2021 की शुरुआत में पॉप्सिकल्स लॉन्च करने के लिए तैयार थे। रवि के अनुसार, उनका पहला बैच तीन हफ्ते के अंदर बिक गया। दंपति ने मार्केट पर अपनी पकड़ बनाने के लिए पारंपरिक बाजारों के साथ-साथ अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का सहारा लिया।

वह कहते हैं, “हमने जितनी बिक्री की, उससे हमें ये तो पता चल गया कि लोग घर बैठकर हमारे पॉप्सिकल्स (Ice Pops) का आनंद ले रहे हैं। यानी उन्हें हमारा प्रोडक्ट पसंद आ रहा है। फिलहाल हम हर महीने 60,000 पॉप्सिकल्स बेचते हैं। हमारे मशीनरी की क्षमता 3 लाख पॉप्सिकल्स के उत्पादन की है।”

रवि और अनुजा दोनों को भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया में एफएमसीजी क्षेत्र में एक दशक से अधिक का अनुभव है। रवि ने जहां बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है, वहीं अनुजा ने ह्यूमन रिसोर्सेज में एमबीए किया है।

अपनी कंपनी शुरू करने का था सपना

कई कंपनियों में काम करने के बाद, उन्होंने अपना बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया और 2020 में भारत लौट आए। अनुजा कहतीं हैं, “जब हमने करियर में आगे बढ़ने का फैसला लिया, तो हमारे दिमाग में पहले से ही आइस पॉप्सिकल्स (Ice Pops) थे। एक बार मेरी बहन ऑस्ट्रेलिया से भारत आ रही थी। उसने अपने साथ ले जाने के लिए काफी सारे आइस पॉप्सिकल्स पैक रखे थे।

उन्होंने कहा, “तब मुझे भारतीय बाजार में इसकी कमी और ब्रांड के न होने का एहसास हुआ। काफी रिसर्च के बाद हम जान गए थे कि पैरेंट्स को अपने बच्चों को पॉप्सिकल्स का स्वाद चखाने के लिए एक भरोसेमंद ब्रांड की जरुरत है। हमारे भी दो बच्चे हैं और हम उनकी जरूरतों और चिंताओं को समझ सकते थे। फिर हमने मार्च 2020 में बिना किसी आर्टिफिशियल स्वाद वाली स्किप्पी को लॉन्च करने का फैसला किया।”

अनुजा कहतीं हैं कि शुरुआत में वे आम, संतरा, रसभरी कोला और नींबू समेत छह स्वादों के साथ इसे मार्किट में लेकर आए थे। अपने प्रोडक्ट में वे सिर्फ प्राकृतिक रंग, प्रिजर्वेटिव और स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए फलों और सब्जियों से फ्लेवर निकाले जाते हैं।

Skippi Ice Pops दुकानदारों के लिए है फायदे का सौदा

रवि इसे दुकानदारों के लिए फायदे का सौदा बताते हुए कहते हैं, “आइस पॉप्स (Ice Pops) रूम टेम्परेचर पर बेचे जाते हैं। इसका फायदा यह है कि दुकानदार को इसके लिए फ्रिज या कोल्ड स्टोरेज में निवेश करने की जरूरत नहीं होगी। इससे लागत में कमी आएगी।”

उनका कहना है कि इन्हें खरीदने के बाद, आपको बस इतना करना है कि इन्हें लगभग आठ घंटे के लिए फ्रीजर में रख दें और फिर इसका स्वाद लें। यह तकनीक हमें भारत के ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों में अपनी पहुंच बनाने में मदद करेगी। जिन क्षेत्रों में बिजली आने-जाने की समस्या हमेशा बनी रहती है, वहां भी आइस पॉप्सिकल्स को आसानी से बेचा जा सकता है।

Ravi Kabra & Anuja Kabra

शार्क टैंक के निवेशकों को क्यों भाया प्रोडक्ट?

शार्क टैंक के निवेशकों को प्रभावित करना आसान नहीं था। 66 हजार उम्मीदवारों के साथ रवि और अनुजा को पांच राउंड से गुजरना पड़ा था। उसके बाद, उन्हें निवेशकों का दिल जीतने में कामयाबी हासिल हुई। पहला दौर टेलीफोन पर साक्षात्कार का था। फिर डॉक्यूमेंटेशन और वीडियो पिच और एक ऑडिशन।

रवि और अनुजा के इस स्टार्टअप में एमक्योर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने भी निवेश किया है। इसकी संस्थापक नमिता थापर ने बताया, “मुझे रवि और अनुजा की आगे बढ़ने की चाह, कुछ करने का जुनून और उनकी  ईमानदारी ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। अगर प्रोडेक्ट की बात करें, तो इसे स्टोर करने के लिए किसी भी तरह के कोल्ड चेन की जरूरत नहीं थी। इसे कमरे के तापमान पर रखा जा सकता है। बस, यही खासियत हमें स्किप्पी आइस पॉप्स की ओर खींच लाई।”

उनके सौदे में एक हिस्सेदार लेंसकार्ट के मालिक पीयूष बंसल भी हैं, जो रवि और अनुजा के मॉडल से इतने प्रभावित हुए कि वे शो के बाद छठे निवेशक के रूप में शामिल हो गए।

बदल गया है जीवन

शार्क टैंक के बाद, अनुजा और रवि के जीवन में काफी बदलाव आए हैं। रवि कहते हैं, “हमें सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए रातों-रात 21,000 ऑर्डर प्रॉसेस करने पड़े। हमें निवेशकों और डिस्ट्रिब्यूटर्स से हजारों रिक्वेस्ट आ रही हैं। एक समय पर मैंने 800 लोगों के साथ एक वीडियो कॉल की। क्योंकि मेरे पास उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने का समय नहीं था।”

फिलहाल ब्रांड की पहुंच पांच राज्यों तक है और इस साल उनका राजस्व 4 करोड़ रुपये का रहा है। कंपनी का लक्ष्य 2023 तक 30 करोड़ का राजस्व हासिल करना है और आने वाले पांच सालों में वे इस आंकड़े को 100 करोड़ तक ले जाना चाहते हैं।

Skippi Ice Pops के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करें।

मूल लेखः गोपी करेलिया

संपादनः जी एन झा

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