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पुदीना उगाने से हुई शुरुआत, खुद उगाते हैं अपना खाना और चलाते हैं गार्डन स्टोर

गोवा में रहने वाले योगिता महरा और करण मनराल पिछले 13 सालों से जैविक तरीकों से किचन गार्डनिंग कर रहे हैं। बागवानी के साथ-साथ यह दंपति एक गार्डन स्टोर भी चला रहे हैं, जिसमें बागवानी से जुड़ी चीजें मिलती हैं। इसके अलावा वे जैविक बागवानी करनेवालों के लिए समय-समय पर वर्कशॉप भी आयोजित करते रहते हैं।

करण ने द बेटर इंडिया को बताया, “हम दोनों ही मुंबई में पले-बढ़े हैं। मैं 2002 में और योगिता 2003 में गोवा आईं। यहीं पर हम दोनों की पहली मुलाक़ात हुई थी।” 

करण मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट हैं और योगिता द एनर्जी एंड रिसॉर्स इंस्टिट्यूट (The Energy and Resources Institute/TERI) के साथ बतौर रिसर्चर काम कर रही थीं। ये दोनों जब गोवा आए थे, तब तक दोनों को बागवानी या जैविक खेती के बारे में ज्यादा पता नहीं था। 

पुदीना उगाने से हुई शुरुआत 

योगिता आगे बताती हैं, “मुझे एक बार मेरी एक दोस्त ने ‘मिंट टी’ (पुदीने वाली चाय) पिलाई, जो मुझे बहुत अच्छी लगी थी। मैं भी इसे घर पर ट्राई करना चाहती थी लेकिन बार-बार बाजार से ताजा पुदीना लाना मुमकिन नहीं हो पाता था। इसलिए मैंने सोचा कि घर में ही पुदीना लगा लेती हूँ। इसलिए मैंने एक-दो गमलों में पुदीना लगाना शुरू कर दिया। हालांकि, शुरुआत में मुझे कई बार असफलता मिली। लेकिन मैं इस काम में लगी रही और देखते ही देखते, मेरे घर में पुदीने के साथ तुलसी, हल्दी जैसी चीजें भी उगने लगीं।” 

Growing Own Food

साल 2006 में योगिता ने बागवानी शुरू की थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती रही। जब उन्होंने पेड़-पौधे उगाना शुरू किया, तो करण भी उनका हाथ बंटाने लगे। और कहते हैं न, जब आप किसी एक चीज को शुरू करते हैं तो और भी कई चीजें अपने आप होने लगती हैं। धीरे-धीरे, बागवानी में उनकी रूचि बढ़ने लगी। इसके बाद, उन्होंने तय किया कि क्यों न खुद के लिए सब्जी उगाई जाए और अपने घर में उनके पास जो भी जगह उपलब्ध थी, वहीं पर उन्होंने सब्जी उगाना शुरू कर दिया। 

इसी बीच, योगिता को एक किसान समूह से जुड़ने का मौका मिला। किसानों को अपनी उपज की मार्केटिंग के लिए मदद की जरूरत थी, जिसमें योगिता और करण ने उनकी मदद की। 

करण कहते हैं, “बहुत से किसान जैविक तरीकों से फसल उगाते हैं, लेकिन इसे सही ढंग से ग्राहकों तक नहीं पहुंचा पाते हैं। इसके साथ ही, बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो जैविक खेती करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता है कि वे शुरुआत कैसे करें? इसलिए, हमने सोचा कि इस क्षेत्र में कुछ अलग किया जाए।” 

“उस समय समस्या यह भी थी कि जैविक तरीकों से साग-सब्जियां उगाने के बारे में इंटरनेट पर जो जानकारी उपलब्ध थी, वह ज्यादातर विदेशी लोगों की थी। लेकिन हमारा हमेशा से मानना रहा है कि लोकल वैरायटी और लोकल तरीकों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। इसलिए हमने अपना ‘ऑर्गनिक किचन गार्डन स्टोर’ शुरू करने का फैसला किया,” उन्होंने कहा। 

शुरू किया ‘Green Essentials’

योगिता और करण ने ‘Green Essentials’ नाम से एक गार्डन स्टोर की शुरुआत की। इसके बाद योगिता ने अपनी नौकरी छोड़ दी और करण पार्ट-टाइम प्रोजेक्ट्स लेने लगे। इस अनोखे स्टोर के बारे में करण बताते हैं, “Green Essentials के जरिए हम तीन तरह की गतिविधियों पर काम कर रहे हैं- पहला, हम लोगों को होम-गार्डनिंग, किचन गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग करने के लिए जरुरी चीजें उपलब्ध कराते हैं जैसे गमले, पॉटिंग मिक्स, वर्मीकम्पोस्ट, आदि। दूसरा, हम अलग-अलग घरों में बगीचा लगाने में मदद करते हैं। तीसरा, हम खुद अपना खाना उगाने के इच्छुक लोगों के लिए जैविक बागवानी से जुड़े विषयों पर वर्कशॉप आयोजित करते हैं और उन्हें ट्रेनिंग भी देते हैं।” 

Conducting Workshops

उन्होंने बताया कि अब तक वह लगभग 5000 लोगों को बागवानी पर वर्कशॉप दे चुके हैं। इसके अलावा, वे अब तक लगभग 55 लोगों के यहां बगीचा सेटअप करने में मदद कर चुके हैं। हालांकि, बगीचा सेटअप करने की सर्विस वे सिर्फ गोवा में ही करते हैं, जबकि उनके वर्कशॉप गोवा के अलावा, मुंबई और बेंगलुरु में भी होते हैं। 

वर्कशॉप में हिस्सा ले चुकी ज्योति धोंड कहती हैं, “Green Essential ने सर्दियों की सब्जियां उगाने के बारे में जो सिखाया, उससे काफी मदद मिली है। बागवानी हमेशा से मेरा शौक रहा है, लेकिन योगिता और करण के वर्कशॉप में हिस्सा लेकर मुझे बागवानी से संबंधित कुछ ‘साइंटिफिक’ जानकारी मिली, जिसका फायदा मेरे बगीचे में दिख रहा है।”  

वहीं, Green Essential की एक ग्राहक, शर्मीला देसाई ने उनसे अपना बगीचा लगवाया था। वह कहती हैं, “हमारा बगीचा लगाने के लिए योगिता ने अपनी टीम में जिन भी लोगों को शामिल किया था, वे सभी प्रोफेशनल थे। यहां तक कि बगीचे के लिए उन्हें क्या चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में भी उन्होंने एकदम सही अंदाजा दिया था। साथ ही, काम करते समय उन्होंने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि हमारे पड़ोसियों को कोई परेशानी न हो।”

योगिता कहती हैं कि उन्होंने अपने काम को ‘लर्निंग मॉडल’ की तरह आगे बढ़ाया है। उनका मुख्य उद्देश्य लोगों को ज्यादा से ज्यादा जैविक और शुद्ध खाने के बारे में जागरूक करते हुए बागवानी या जैविक खेती से जोड़ना है। 

उनकी ये मेहनत रंग ला रही है और उनका बिजनेस भी बढ़ रहा है। आज के समय में उनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज्यादा है। साथ ही, वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को बागवानी से जोड़ रहे हैं। खासकर लॉकडाउन में लोगों की, बागवानी करने के प्रति रूचि बढ़ी है। पिछले एक साल में इस जोड़ी ने काफी वेबिनार भी किए हैं। पहली बार बागवानी करनेवाले योगिता और करण के वेबिनार यहाँ पर देख सकते हैं। 

लोगों के लिए सलाह 

Garden Setup by them

योगिता और करण कहते हैं, “आज के समय में लोग अगर चाहें, तो अपने शौक को अपना करियर बना सकते हैं। पहले के समय में यह नामुमकिन था, लेकिन आज के डिजिटल जमाने में यह करना मुमकिन है। इसलिए अगर आप बागवानी में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो इसमें अच्छी कमाई सम्भव है। दूसरी बात, जो लोगों को ध्यान रखनी चाहिए, वह यह कि आपको सिर्फ बागवानी के हुनर को नहीं, बल्कि ‘मार्केटिंग और बिज़नेस स्किल’ पर भी काम करना होगा। अगर आप इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो आपको सीखने की चाह भी रखनी चाहिए।” 

करण कहते हैं कि बागवानी को बिजनेस के तौर पर शुरू करनेवालों को सबसे अधिक धैर्य की जरुरत पड़ती है। वह कहते हैं, “किसी भी बिज़नेस को सही तरह से विकसित होने में कम से कम तीन-चार साल का समय लगता है। लेकिन बहुत से लोग एक-दो साल में ही हार मानकर बिज़नेस को बंद कर देते हैं। इसलिए अगर आप पूरे दिल और दिमाग से आगे बढ़ना चाहते हैं, तभी इस काम को शुरू करें।” 

अंत में वे कहते हैं, “बिज़नेस में सबसे जरुरी बात होती है कि आप क्या अलग चीज लोगों को दे रहे हैं। आपकी यूएसपी क्या है और आप दूसरों से कैसे अलग हैं? हमें लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया इसलिए भी मिली, क्योंकि हम ‘एडिबल गार्डनिंग’ से जुड़े हैं। जबकि दूसरे नर्सरी या स्टोर में आपको ऑर्नामेंटल और स्क्युलेंट्स आदि ज्यादा मिलेंगे। इसलिए हमेशा दूसरों से अलग और बेहतर तरीके से आगे बढ़ने की कोशिश करें।” 

करण और योगिता से संपर्क करने के लिए आप उनका फेसबुक पेज देख सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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