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6 रूपये में पूरी तरह चार्ज होने वाली ई-बाइक, कीमत सिर्फ 35 हज़ार

EV Startups In Hyderabad

हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप (EV Startup), यूटन एनर्जिया के सीईओ और फाउंडर, श्री हर्षवर्धन कानुमल्ला कहते हैं, “आंकड़े बताते हैं कि एक भारतीय के लिए आने-जाने [एक तरफ का रास्ता]  की औसत दूरी लगभग 6 से 8 किमी है। इसके बावजूद, अधिकांश भारतीय अपने दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सड़क पर बिताते हैं। ऐसा मुख्य रुप से इसलिए है क्योंकि भारतीय यात्रियों की औसत गति सिर्फ 17 किमी प्रति घंटा है। शहरों में रहने वाले लोग सड़क पर अपने दिन का लगभग 7 से 10 प्रतिशत समय खर्च करते हैं। ईंधन की कीमत में लगातार वृद्धि हो रही है और ऐसे में जब लोग ट्रैफिक में फंस जाते हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तरह से वे अपना पैसा बर्बाद करते हैं।”

इस क्षेत्र में ज़रुरत को देखते हुए, यूटन एनर्जिया ने फरवरी 2021 में शहर के यात्रियों के लिए हल्के वजन वाला इलेक्ट्रिक बाईक लॉन्च किया है। इस ई-बाइक को फॉर्टिफाइव नाम दिया गया है। ये बाइक छोटी दूरी तय करने के लिए बनाया गया है और लो स्पीड ई-बाइक सेगमेंट में हल्के वजन और महंगे एल्यूमीनियम-फ़्रेम वाले वाहनों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करता है।

शहर में इस ई-बाइक को चलाने के लिए यात्रियों को लाइसेंस या पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि नियमों के अनुसार 25 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड वाले दोपहिया वाहन चालकों की लाइसेंस की ज़रुरत नहीं होती है। बाईक की कीमत सिर्फ 35,000 रुपये है। यह ई-बाइक उच्च कार्बन स्टील से बनी हैं और इसका वजन केवल 6.8 किलोग्राम है। वाबजूद इसके इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह 120 किलोग्राम वजन तक का भार उठा सकती है।

मंजिल तक कनेक्टिविटी

हर्षवर्धन कानुमल्ला के स्टार्टअप का उदेश्य ईवी सेगमेंट में अंतर को भरना था। वह कहते हैं, “यूटन एनर्जिया स्थापित करने से पहले, मैं बेंगलुरु में ऑटोमोटिव स्टार्टअप में काम कर रहा था। मैं जिस ऑफिस में काम कर रहा था वह मेरे घर से करीब 6 किमी दूर था। ऑफिस तक पहुँचने के लिए मेट्रो ट्रेन का इस्तेमाल करता था लेकिन हर दिन अंतिम मंजिल तक पहुँचने के लिए कोई वाहन मिलना आसान नहीं था।”

हर्षवर्धन को लगा कि स्टार्टअप का ये आइडिया किसी के लिए भी अंतिम मंजिल तक पहुंचने में कनेक्टिविटी की परेशानी को दूर कर सकता है। और इसी विचार के साथ उन्होंने जनवरी 2019 में यूटन एनर्जिया की स्थापना की।

हर्षवर्धन कहते हैं, “यह तीन लोगों की टीम के साथ शुरु हुआ जो मेकैनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मे माहिर थे।”

वह कहते हैं, ” हैदराबाद में काम करते हुए, इस साल फरवरी में हम बाईक लॉन्च और बिक्री के लिए तैयार हुए। यहाँ तक पहुँचने में हमें दो साल का समय लगा है। इन दो सालों में हमने कई तरह के प्रोटोटाइप और अन्य चीज़ें बनाई। हमारा फोकस ऐसे यात्रियों पर था जो काम के लिए 10 किमी से कम दूरी तय करते थे।”

हर्षवर्धन कहते हैं “आमतौर पर ऐसी धारणा है कि ईवी खरीदना महंगा है और इसे इस्तेमाल करना भी असुविधाजनक है क्योंकि ईवी से जुड़ी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध नहीं है। लेकिन हमने ईवी की जुड़ी दोनों चिंताओं को संबोधित किया है – इसकी कीमत 35,000 रुपये है और यह ग्राहकों को ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम प्रदान करता है जो डीलरशिप की आवश्यकता को पूरा करते हैं। हमारे कंपोनेंट्स दो साल की वारंटी के साथ आते हैं। ”

प्रमुख विशेषताऐं

ई-बाइक की यह रेंज रिमूवेबल बैटरी के साथ आती है, जिसे 75 मिनट से भी कम समय में आपके ऑफिस या घर में कहीं भी चार्ज किया जा सकता है। बैटरी को पूरी तरह से चार्ज करने की लागत लगभग 6 रुपये (बिजली की 1 यूनिट से कम) है और एक बार पूरी तरह चार्ज करने के बाद आप 65 किमी तक सफर कर सकते हैं।

कई ई-बाइक के विपरीत, यूटन एनर्जिया बेहतर दक्षता के लिए एक स्थायी मैगनेट सिंक्रोनस मोटर (पीएमएसएम) और 675 डब्ल्यूएच (वाट-घंटे) लिथियम-आयन बैटरी का उपयोग करती है।


भारत में निर्मित उनकी मिड-ड्राइव मोटर, लगभग 75 न्यूटन मीटर (एनएम) का अधिक टॉर्क देती है, जो वजन-केंद्रित भी है और नीचे भी है। जिससे लोग बेहतर तरीके से और अधिक स्थिरता के साथ सवारी कर सकते हैं। बाइक में 20 × 4 का टायर लगाया गया है जिससे ये किसी भी रास्ते पर आसानी से जा सकती है। हालांकि बेहतर प्रदर्शन के लिए स्टार्टअप निरंतर 30 पीएसआई टायर प्रेशर बनाए रखने की सिफारिश करता है। ई-बाइक पूरी तरह से थ्रॉटल-बेस्ड है, जिसका मतलब है कि यात्रियों को पेडल मारने की जरूरत नहीं है।

यूटन एनर्जिया का दावा है कि यह अपने सेगमेंट में एकमात्र ई-बाइक है जो हाइड्रोलिक डिस्क ब्रेक प्रदान करती है। इसी सेगमेंट में अन्य ई-बाइक मैकेनिकल डिस्क ब्रेक के साथ आती हैं। कंपनी इस बारे में कहती है, “हाइड्रोलिक ब्रेक के साथ प्रक्रिया में कोई ब्रेक केबल शामिल नहीं है। मैकेनिकल का मतलब है जब आप ब्रेक लीवर को खींचते हैं तो ब्रेक केबल को खींचा जा रहा है, जो बदले में ब्रेक कॉलिपर को खींचता है। यह रिम में ब्रेक पैड को खींचता है।”

हाइड्रोलिक ब्रेक बेहतर होते हैं, मेकैनिकल डिस्क से बेहतर प्रदर्शन करते हैं और मेकैनिकल डिस्क ब्रेक की तुलना में अधिक कुशल होते हैं, इसलिए यात्रियों को लीवर पर कम दबाव लागू करना पड़ता है। केबल के स्ट्रेचिंग के कारण मैकेनिकल ब्रेक को ज्यादा रखरखाव की आवश्यकता होती है। फॉर्टिफाइव के मोटर कंट्रोलर और बैटरी प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) दोनों स्टार्टअप के इन-हाउस स्मार्टफोन ऐप से जुड़े हैं, जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता किसी भी संभावित मुद्दों पर नियमित अपडेट प्राप्त करते हैं।

हर्षवर्धन कहते हैं, “हमारा जोर इस बात पर भी है कि बैटरी और मोटर्स कैसे व्यवहार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, बैटरी और मोटर के प्रत्येक कंपोनेंट को हमारे ऐप के माध्यम से मॉनिटर किया जाता है और उनके साथ संभावित मुद्दों को ऐप पर उपयोगकर्ता को दिया जाता है। हमारा ऐप वाहन के 23 विभिन्न मापदंडों पर नज़र रखता है, विशेषकर बैटरी पर। एप्लिकेशन आपको अपने वाहन की स्थिति की निगरानी करने की अनुमति देता है – चाहे वह मोटर की वास्तविक समय की स्थिति हो, बैटरी का स्वास्थ्य या इसकी गिरावट, तय की गई यात्रा की दूरी, शेष दूरी जिसे आप रिचार्जिंग के बिना यात्रा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि 15% बैटरी चार्ज बाकी है, तो फीडबैक उपयोगकर्ताओं को आवश्यक गति के अनुकूल होने में मदद करती है जो उन्हें आवश्यक दूरी को कवर करने में मदद करती है। ”

मेड इन इंडिया

यूटोन एनर्जिया, बीएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खुद निर्माण करने का दावा करता है, लेकिन यह फॉर्टिफाइव पर लगाए कंपोनेंट का केवल 30 प्रतिशत है। शेष चीज़ें भारतीय विक्रेताओं से प्राप्त किया जाता है, जो बाद में हैदराबाद की छोटी उत्पादन इकाई में असेंबल किए जाते हैं।

कंपनी भविष्य में तीसरे पक्ष के विक्रेताओं पर निर्भर नहीं होना चाहती है। स्टार्टअप अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार करने के लिए निवेश बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में, स्टार्टअप अपने ग्राहक के लिए अप्रैल 2021 के अंत तक फॉर्टिफाइव की 50 इकाइयों का पहला ऑर्डर देने की तैयारी में है। लोग कंपनी की वेबसाइट पर अपनी फॉर्टिफाइव-ई-बाइक को प्री-बुक कर सकते हैं।

हर्षवर्धन कहते हैं, “निधि-प्रयास अनुदान से प्राप्त फंडिंग ( जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी किया जाता है ) से कंपनी को वाहन के प्रोटोटाइप का निर्माण करने में मदद मिली है। हम भारत से 95 प्रतिशत कंपोनेंट स्रोत करते हैं। जबकि शेष लिथियम आयन सेल और अन्य छोटे टुकड़े चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से आयात करते हैं। हमने ई-बाइक विकसित करने में दो साल बिताए, हमने एक ऐसा उत्पाद बनाने पर काम किया, जो हर रोज आने-जाने वालों के लिए अधिक कार्यक्षमता प्रदान करता हो। हमने उसी हिसाब से पूरे ई-बाइक सिस्टम को डिजाइन किया है।”

मूल लेख- रिनचेन नोरबू वांगचुक

संपादन- जी एन झा

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