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68 की उम्र में शुरू किया अपना बिज़नेस, बचपन में सीखा क्रोशिया आया काम

60-65 की उम्र पार करते ही लोगों को लगने लगता है कि अब उनके आराम करने का समय आ चुका है। बहुत से लोग समझने लगते हैं कि अब वह कुछ नहीं कर सकते तथा अपने छोटे से छोटे काम के लिए भी, दूसरों पर निर्भर रहने लगते हैं। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 60 की उम्र के बाद अपने हुनर को अपना बिज़नेस बनाया। हम बात कर रहे हैं, तमिल नाडु के कुन्नूर की रहने वाली 68 वर्षीया तारा जयप्रकाश की। तारा पिछले पाँच दशकों से बुनाई और क्रोशिया (Crochet) का काम कर रही हैं।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए तारा ने कहा, “मैं कुन्नूर के बडगा समुदाय (Badaga Community) से हूँ। इस इलाके में 12 महीने ठंड ही रहती है। इसलिए, लोग सालभर गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं। यहाँ के लोग घर में ही अपने हाथ से स्वेटर बनाते हैं। मैंने अपनी माँ और दादी से यह हुनर सीखा था। बचपन से ही मैंने उनके साथ, बुनाई और क्रोशिया (Crochet) से स्वेटर आदि बनाना शुरू कर दिया था। हालांकि, पहले यह काम सिर्फ घर-परिवार और दोस्तों तक सीमित था।”

तारा के पति वायु सेना में कार्यरत थे, जिस वजह से उन्हें देश के अलग-अलग शहरों में रहने का मौका मिला। पति के रिटायरमेंट के बाद, तारा ने कुन्नूर में ही रहने का फैसला किया। वह कहती हैं कि वह जहां-जहां रहीं, लोगों के लिए कई तरह की चीजें बनाती रहीं। वह अपने घर के लिए बहुत सी चीजें जैसे- बेडशीट, कुशन कवर, तोरण, बच्चों के लिए गर्म कपड़े आदि, सभी कुछ खुद बनाती रही हैं। उनके बनाए कपड़ों और अन्य चीजों को देखकर, उनके जानने वाले भी उनसे अपने लिए ये चीजें बनवाने लगे। लेकिन, उन्होंने कभी भी अपने इस हुनर को बिज़नेस की तरह नहीं लिया।

बेटी के कहने पर शुरू किया ‘पार्ट-टाइम’ बिज़नेस:

तारा जयप्रकाश

तारा भले ही इतने सालों से यह काम कर रही थीं, लेकिन उन्हें कभी भी अपने बनाए गर्म कपड़ों और अन्य उत्पादों को बेचने का ख्याल नहीं आया। वह कहती हैं, “लगभग छह साल पहले मेरी बेटी ने मुझसे कहा कि मुझे इस हुनर को बिज़नेस की तरह लेना चाहिए। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो घरेलू कार्यों और अपने बच्चों के लिए हाथ से बनी चीजें तलाशते हैं। मैंने सोचा कि एक कोशिश करने में क्या बुराई है।” लेकिन, फिर भी उन्होंने इसे बड़े स्तर पर शुरू नहीं किया।

इसके बाद, वह लगभग दो-तीन महीने तक अलग-अलग तरह की चीजें बनाकर रखने लगीं। जैसे- कुशन कवर, स्वेटर, जुराब, तोरण, टेबल कवर, शॉल, टिश्यू पेपर बॉक्स, बैग आदि। साथ ही, वह शहर में आयोजित होने वाले मेले और प्रदर्शनियों में स्टॉल भी लगाने लगीं। वह कहती हैं, “कुन्नूर के अलावा, बेंगलुरु में भी हमारा एक फ्लैट है। हम साल में एक बार वहाँ जरूर जाते हैं। मैं जब भी बेंगलुरु जाती हूँ, तो अपने हाथों से बनाए कुछ सामान भी ले जाती हूँ। बेंगलुरु में होने वाले कई आयोजनों में, मैं अपने स्टॉल लगाती हूँ। जहाँ इन चीजों की काफी अच्छी बिक्री हो जाती है और ग्राहकों से सीधा संपर्क करने का मौका मिलता है। अब तक मैं लगभग 150 प्रदर्शनियों में हिस्सा ले चुकी हूँ। इस तरह, अब मुझे बहुत सारे लोग सामान का ऑर्डर देते हैं।”

बेंगलुरु में रहने वाली अमिता श्रीनिवासन ने एक ‘प्रदर्शनी’ में तारा के स्टॉल से अपने बच्चों के लिए गर्म कपडे और घर के लिए कुशन कवर खरीदे थे। वह कहती हैं, “ऐसा हाथ का काम आजकल कहीं आसानी से नहीं मिलता है। बाजार में भी आपको इस तरह की चीजें नहीं मिलेंगी। तारा जी की बनाई हर एक चीज खूबसूरत होने के साथ-साथ सालों-साल चलने वाली है।”

उनके बनाए कुछ प्रोडक्ट्स

तारा कहती हैं कि उनके हाथ से बने सामानों की आज तक जो भी मार्केटिंग हुई है, वह उनके ग्राहकों ने ही की है। वह सोशल मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग नहीं करती हैं। उन्होंने आगे बताया कि उनके उत्पादों की कीमत 100 रुपए से शुरू होकर 10-12 हजार रुपए तक है। जैसे कोस्टर की कीमत 100 रुपए से शुरू होती है, तो वहीं उनकी बनाई बेडशीट की कीमत 12 हजार रुपए तक है। तारा कहती हैं कि वह हमेशा नए-नए डिज़ाइन बनाने की कोशिश करती हैं। इसके अलावा, किसी चीज को बनाने में कितनी मेहनत और समय लगा है, इस आधार पर उसकी कीमत तय की जाती है।

उन्होंने कहा, “कुशन कवर को बनाने में दो-तीन दिन लगते हैं, तो स्वेटर बनाने में एक हफ्ते का समय लगता है। वहीं, बेडशीट बनाने में भी काफी समय लगता है।” कमाई के बारे में बात करते हुए वह कहती हैं कि महीने में उनकी औसतन 10 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। वहीं, जब वह किसी प्रदर्शनी में हिस्सा लेती हैं, तो उन्हें 40 हजार रुपए तक की भी कमाई हो जाती है।

दूसरों के लिए टिप्स:

तारा कहती हैं कि ढलती उम्र में अक्सर लोगों को लगने लगता है कि अब वे कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। यह सच है कि उम्र के साथ, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगती हैं और काम करने की क्षमता भी पहले से कम हो जाती है। लेकिन, फिर भी एक्टिव रहने के लिए आपको कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। इसके साथ ही, वह महिलाओं को सलाह देती हैं कि वे अपने हुनर को अपना बिज़नेस बनाने पर जरूर ध्यान दें।

उन्होंने कहा, “मैं अगर यह काम बड़े स्तर पर 20-30 साल पहले शुरू करती, तो आज मेरी कमाई बहुत ज्यादा होती और मैं दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रही होती। फिलहाल, मैं यह काम सिर्फ अपने शौक के लिए कर रही हूँ। लेकिन, दूसरी महिलाओं और खासकर कि लड़कियों से मैं यही कहूँगी कि अगर आप में इस तरह का कोई हुनर है, तो इसे अपना बिज़नेस बनाने पर जरूर गौर करें। इससे न सिर्फ आपका शौक पूरा होगा बल्कि आप अपने पैरों पर भी खड़ी होंगी। साथ ही, अपने घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में योगदान दे पाएंगी।”

बुनाई और क्रोशिया (Crochet) का काम करने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए, वह कुछ टिप्स भी साझा कर रही हैं:

ऊन के लिए ढूंढ़ें सस्ता स्त्रोत:
तारा कहती हैं कि अगर आप बड़े स्तर पर यह काम करने की इच्छा रखते हैं, तो आपको ऊन ऐसी जगह से खरीदना चाहिये, जहाँ आपको ये सस्ते दामों में मिल जाए। साथ ही, आप अच्छी गुणवत्ता के ऊन खरीदें और इन्हें खरीदते समय रंगों का भी ध्यान रखें। आप इन्हें ज्यादा मात्रा में खरीदें, ताकि ये आपके लिए किफायती हों। इन पर आप जितना कम खर्च करेंगे, उतना ही आपका मुनाफा बढ़ेगा।

सोशल मीडिया का करें अच्छा उपयोग:
आज के जमाने में इंटरनेट बहुत ही उपयोगी चीज है। यहाँ से आप बहुत कुछ नया सीख भी सकते हैं और अपने बनाये उत्पादों की अच्छी मार्केटिंग भी कर सकते हैं। इसलिए सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे- पिनट्रेस्ट और फेसबुक आदि का अच्छा उपयोग करें।

बनाए नयी और अलग चीजें:
ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए, उन्हें हमेशा अलग-अलग चीजें बनाकर उपलब्ध कराएं। बाजार में चल रहे ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए चीजें बनाए। इसके साथ ही, हमेशा अपने उत्पादों में इनोवेशन करते रहें। सामान्य उत्पादों के अलावा, आप और भी कई चीजें बना सकते हैं जैसे- गर्म पानी की बोतल का कवर, हैंगिंग प्लांटर का कवर आदि।

अंत में, वह कहती हैं कि यह ‘जीरो वेस्ट’ बिज़नेस है। इसमें आप छोटे-छोटे ऊन के टुकड़ों को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए अगर आपके पास यह हुनर है, तो इसमें आगे जरूर बढ़ें। साथ ही, खुद आत्मनिर्भर होकर दूसरों को भी रोजगार दें। यकीनन, तारा जयप्रकाश की कहानी हम सबके लिए प्रेरणा है।

अगर आप तारा से संपर्क करना चाहते हैं तो उन्हें 9845112250 पर व्हाट्सऐप मैसेज या tara.jayaprakash@gmai.com पर ईमेल कर सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

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