दिल्ली के 50 वर्षीय बलवीर सिंह (Balveer Singh) अपने स्कूटर पर ही राजमा चावल, कड़ी चावल, छोले चावल और सोया चॉप जैसी चीज़ें बेचने का काम करते हैं। इसके लिए वह दिन के 15 से 16 घंटे मेहनत करते हैं। अपने घर से तक़रीबन एक किलोमीटर दूर दिल्ली के पंजाबी बाग़ के पास वह अपनी दुकान लगाते हैं, जिसके लिए सारा खाना वह घर से ही बनाकर ले जाते हैं। बड़ी-बड़ी गाड़ियों में भी लोग आकर उनके पास से खाना ले जाते हैं। कई लोग तो उनके नियमित ग्राहक भी बन गए हैं।
पुरे दिन की मेहनत के बाद बलवीर (Balveer Singh), सुकून के साथ घर जाते हैं, इस काम से इतनी कमाई तो हो जाती है कि घर आराम से चल सके। इसके साथ ही सबसे अच्छी बात यह है कि अब नौकरी जाने का डर नहीं रहा। कोरोना के कारण देश भर में लगे पहले लॉकडाउन में उन्होंने अपनी नौकरी खो दी थी।
उस मुश्किल दौर को याद करते हुए बलवीर कहते हैं, “मेरी बेटी बड़ी है और बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है। परिवार की जिम्मेदारी को देखते हुए मुझे कोई न कोई काम तो करना ही था। ऐसे में मुझे खाना बनाने का बिज़नेस शुरू करने का ख्याल आया। घर के किसी भी समारोह में खाना बनाने का काम मुझे ही मिलता था। इसलिए इस काम पर मुझे पूरा भरोसा था। दिमाग में कई तरह के डर भी थे, लेकिन अपने हाथों के स्वाद पर भरोसा भी था।”
उन्होंने तक़रीबन 25 हजार रुपये खर्च करके अपने स्कूटर को ही एक छोटी दुकान में बदल दिया। कुछ पैसे खाना बनाने के सामान और गैस खरीदने में लगे और जैसे ही लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिली, उन्होंने ‘बिल्लू के राजमा चावल’ नाम से अपने बिज़नेस की शुरुआत कर दी।
धीरे-धीरे उनके स्वाद का जादू कई ग्राहकों तक पहुंच गया। सबसे अच्छी बात तो यह हुए कि लोगों को उनके स्वाद के साथ उनका जज्बा भी खूब पसंद आया। बलवीर अपनी मेहनत और जज्बे के कारण सोशल मीडिया पर भी छा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर उनका वीडियो देखकर अमेरिका का एक आदमी उनकी मदद के लिए आगे आया। हालांकि, बलवीर (Balveer Singh) ने अभी तक बिज़नेस को आगे बढ़ाने के बारे में ज्यादा नहीं सोचा है।
फ़िलहाल वह बड़े ही कम दाम में लोगों को खाना दे रहे हैं, जो हर एक आदमी की पहुंच में है।
अंत में बलवीर (Balveer Singh) कहते हैं, “मज़बूरी में ही सही मेरे दिल की एक इच्छा पूरी हो गई, मुझे ख़ुशी है कि आज मेरा खुद का बिज़नेस है और लोगों को मेरा खाना पसंद आ रहा है।”
संपादनः अर्चना दुबे
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