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Induben Khakhrawala: घर चलाने के लिए बनाने लगी थीं खाखरा, 60 साल में बन गया मशहूर ब्रांड

Induben khakhrawala

देश हो या विदेश, गुजराती लोग जहां भी जाते हैं, अपना नाश्ता साथ ही लेकर जाते हैं। यही वजह है कि आज कई गुजराती स्नैक्स, देश-विदेश तक लोकप्रिय हो गए हैं। गुजरात के हर घर में सुबह-शाम गाठिया, फाफड़ा, भाकरवड़ी, खाखरा जैसे स्नैक्स बड़े चाव से खाए जाते हैं। आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे स्नैक्स ब्रांड की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अहमदाबाद में इसके लिए कहा जाता है- खाखरा मतलब ‘इंदुबेन खाखरावाला’ (Induben Khakhrawala)। 

अगर आप अहमदाबाद में किसी से भी पूछेंगे कि सबसे अच्छे नमकीन की दुकान कौनसी है? इसके जवाब में 10 में से आठ लोग ‘इंदुबेन खाखरावाला’ (Induben Khakhrawala) का नाम ही बताएंगे। अहमदाबाद का यह जाना-माना स्नैक्स ब्रांड आज अपने स्नैक्स, विशेषकर खाखरा के लिए मशहूर है। इसकी शुरुआत, 60 साल पहले अहमदाबाद की एक सामान्य गृहिणी इंदुबेन जवेरी ने एक छोटे-से गृह उद्योग के तौर पर की थी। आज उनका यह गृह उद्योग, अहमदाबाद का सबसे लोकप्रिय ब्रांड बन चुका है, जिसे आज देश के कई शहरों के अलावा विदेशों तक खाया और पसंद किया जाता है। 

कौन थीं इंदुबेन जवेरी?  

इंदुबेन जवेरी एक सामान्य गृहिणी थीं। वह अपने पति और तीन बच्चों (एक बेटा और दो बेटियां) के साथ पुराने अहमदाबाद के एक छोटे-से घर में रहा करती थीं। उन्होंने, साल 1960 में अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कुछ काम करने का फैसला किया। शुरुआत में वह, एक खाखरा डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर से जुड़ी और वहां अपने बनाए खाखरे बेचने लगीं। 

इंदुबेन और उनके पति

खाखरा, एक कुरकुरा मसालेदार रोटी के समान नाश्ता होता है, जो अलग-अलग फ्लेवर में बनाया जाता है। यह सूखा नाश्ता है, जिसे बिलकुल कम तेल में बनाया जाता है। इंदुबेन अपने घर के कामों से समय निकालकर खाखरा बनातीं और सेंटर में जमा करतीं। कुछ समय बाद, उन्होंने खुद का काम शुरू करने का फैसला किया। 

इंदुबेन के पोते, 36 वर्षीय अंकित जवेरी बताते हैं, “उन दिनों मेरी दादी सवेरे उठकर खाखरा बनातीं थीं और उसके बाद ही घर का कोई काम करती थीं। घर की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए दादी ने खाखरा का बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया। दरअसल, उस दौर में मेरे दादाजी की तबियत ज्यादातर ख़राब रहने लगी थी।” 

इंदुबेन की मेहनत रंग दिखाने लगी। उन्हें खाखरे के बड़े-बड़े ऑर्डर भी मिलने लगे, जिसको पूरा करना उनके अकेले के बस की बात नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने जैसी कुछ और महिलाओं की मदद ली और उन्हें भी घर बैठे रोजगार दिलाया। कुछ समय बाद, उनके बेटे हिरेन भी अपनी माँ का साथ देने लगे। अंकित बताते हैं, “दादी ने मेरे पापा के लिए उधार मांगकर एक लूना खरीदी थी, ताकि वह खाखरा की होम डिलीवरी कर सकें।” 

कैसे यह गृह उद्योग बना ब्रांड  

इंदुबेन घर से खाखरे का बिज़नेस चलाती थीं। साल 1981 में इंदुबेन के निधन के बाद उनके बेटे हिरेन और बहू स्मिता ने बिजनेस को संभालना शुरू किया। यह इंदुबेन के नाम का जादू ही था कि उनके बाद भी, लोग उनके नाम से बने खाखरे बड़े चाव से खरीदते थे। हिरेन और स्मिता ने 1982 में, ‘इंदुबेन खाखरावाला’ (Induben Khakhrawala) नाम से अपना पहला आउटलेट शुरू किया। उन्होंने खाखरे के साथ दूसरे नमकीन स्नैक्स को भी शामिल किया। हालांकि, उनके आउटलेट का मुख्य आकर्षण हमेशा से खाखरा ही रहा है, जिसने अहमदाबाद के हर घर में अपनी जगह बना ली। बाद में, हिरेन के दोनों बेटे निशित और अंकित जवेरी भी अपने पिता के साथ जुड़ गए। 

अंकित कहते हैं, “कॉलेज के दिनों में बिजनेस से जुड़ने का ख्याल नहीं आया था। मैं नौकरी करना चाहता था, लेकिन बाद में महसूस हुआ कि इस बिज़नेस में काफी संभावनाएं हैं और इस तरह साल 2010 में इस बिज़नेस से जुड़ गया। तब अहमदाबाद में हमारा सिर्फ एक ही आउटलेट हुआ करता था।”  

2010 में, अहमदाबाद के सत्येन शाह जो कंस्ट्रक्शन बिज़नेस से जुड़े थे, वह ‘इंदुबेन खाखरावाला’ (Induben Khakhrawala) के साथ बिज़नेस पार्टनर के तौर पर जुड़ गए। सत्येन बताते हैं, “मैं कुछ नया करने के बारे में सोच ही रहा था, तभी ‘इंदुबेन खाखरावाला’ की ओर से एक आउटलेट बनाने का प्रोजेक्ट आया। चूँकि लोग इसे बहुत पसंद करते थे, इसलिए मुझे लगा कि इस बिज़नेस में मुझे एक पार्टनर की तरह जुड़ना चाहिए।” 

सत्येन शाह के साथ मिलकर जवेरी भाइयों ने अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने का फैसला किया। अब इंदुबेन खाखरावाला ‘IKC’ नाम की कंपनी बन चुकी थी। जिसके बाद उन्होंने, 25000 स्क्वायर फीट बड़ा एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी बनवाया और सात नए आउटलेट भी खोले गए। अब उनका अगला कदम, इसे गुजरात के बाहर भी पहुंचाना था। नई पीढ़ी के जुड़ने के बाद कुछ ही सालों में बिज़नेस में कई बदलाव आए। 

फ़िलहाल ‘इंदुबेन खाखरावाला’ (Induben Khakhrawala) के अहमदाबाद में 10 आउटलेट हैं। वहीं, एक-एक आउटलेट मुंबई, पुणे और उदयपुर में भी हैं। इसके अलावा, वे अपने स्नैक्स को डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से छह से सात अलग-अलग देशों तक भी पहुंचा रहे हैं। अब इनके पास खाखरा के 70 फ्लेवर्स मौजूद हैं। अंकित कहते हैं, “सिर्फ खाखरा ही नहीं, आज हमारे पास 650 से ज्यादा स्नैक्स आइटम हैं, जिसमें मिठाई भी शामिल है।” 

इंदुबेन जवेरी की यह प्रेरक कहानी हमें बताती है कि यदि आपके पास हुनर है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं। 

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संपादन- जी एन झा

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