बाहुबली के प्रशंसकों के लिए इसकी अगली कड़ी का इंतज़ार लम्बा रहा। कई भाषाओं में बनी ये काल्पनिक फिल्म( इसे तमिल और तेलगु में बनाया गया और अन्य भाषाओं में डब किया गया) 2015 में आई थी और जल्द ही एक ब्लॉकबस्टर हिट बन गयी। फिल्म ने दो नेशनल अवार्ड्स भी जीते, जिसमें एक स्पेशल इफ़ेक्ट शामिल था।
बाहुबली की कहानी महिष्मति राज्य के केंद्र में रची गयी है। लोकप्रिय धारणा के विपरीत यह जगह काल्पनिक नहीं है।
ऐतिहासिक अभिलेखों के मुताबिक, महिष्मति एक मध्यवर्ती भारत में स्थित एक शहर था , जो अब मध्य प्रदेश नामक राज्य बन गया है। कई अभिलेखों और साथ ही कहानियों में भी इस शहर का उल्लेख मिलता है, जो यह बताते हैं कि यह एक शहर और एक एक समय में सामाजिक-राजनीतिक केंद्र था।
यह माना जाता है कि महिष्मती, एक प्राचीन भारतीय जनपद, अवंती साम्राज्य का हिस्सा थी।पुराणिक रिकॉर्ड बताते हैं कि विंध्याओं द्वारा अवंती को दो हिस्सों में विभाजित किया गया था। उत्तर में स्थित उज्जैनी राजधानी बनी और महिष्मति दक्षिणी भाग का मुख्यालय। हांलाकि ऐतिहासिक लेख और कहानियाँ विरोधाभासी कहानिया बताते हैं, इस शहर को हैहयास की पूर्वी राजधानी भी माना गया है| हैहयास, पांच गुटों का एक प्राचीन संघ था जो पश्चिम और मध्य भारत के बड़े हिस्से पर शासन करता था।
पीके भट्टाचार्य अपनी पुस्तक Historical Geography of Madhya Pradesh from Early Records में महेश्मती और उनके वंश के शासकों का उल्लेख करते हैं| वह महाभारत के अनुशासन पर्व का उदाहरण देते है, जिसमें “हजारों सशस्त्र कर्तवीय (अर्जुन), हाइया, महिष्मति से पूरी धरती पर राज्य करते थे”।
इस शहर का उल्लेख हरिवंम्सा में भी किया गया है जिसमे यह कहा गया है कि इस शहर को राजा महिष्मत द्वारा स्थापित किया गया था जो खुद यदु (रिग वेद में वर्णित पांच भारतीय आर्य जनजातियों में से एक) के सहजन के उत्तराधिकारी थे। किसी अन्य रिपोर्ट के अनुसार इस शहर के संस्थापक रजा मुकुकुंडा थे जो खुद भी यदु के वंशज थे।
उन्होंने आगे लिखा, “महिष्मति क्षेत्र को अनूप के नाम से भी जाना जाता था। रघुवंश में, यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रेवा पर महिष्मती, अनुपा देश की राजधानी थी। रघुवंश में, महिष्मति शहर के विवरण बताते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह शहर नर्मदा पर नहीं बल्कि इसके बीच में था।मुकुकुंड द्वारा शहर की स्थापना के वर्णन में, हरिवंसा का मार्ग भी चट्टानी द्वीप और मंधता गांव में माना गया, जो अब शिव का धार्मिक स्थल और ओमकारनथ का तीर्थ है।”
इन अभिलेखों के साथ-साथ अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों और पतंजलि के लेखों द्वारा, लेखक तर्क देता है कि महिष्मती ऐसी जगह पर स्थित थी कि इस शहर से उज्जैनी जाने में केवल एक रात का समय लगता था।
पाठकों और इतिहास के प्रेमी, महान भारतीय महाकाव्यों की कहानियों से महिष्मती के बारे में जान सकते है।
The Mahabharata is one of the most prominent ancient Indian texts that refers to Mahishmati. Source: Wikipedia
महाभारत के कुछ क्षेत्रीय व्याख्यानों में पांडव राजकुमारों के सत्ता में आने के पहले , इस शहर के बारे में एक रोचक कहानी का उल्लेख है।
कहा गया है कि महिष्मती पर राजा नील का शासन था। अग्नि देवता, नील की सुंदर पुत्री से प्रेम करने लगे, जिसने राजा नाराज़ हो गए। अग्नि ने राजकुमारी को लुभाने के लिए एक ब्राह्मण का रूप ग्रहण किया, तब राजा ने उसकी सजा का आदेश दे दिया| इसके बाद देव स्वयं के रूप में प्रकट हुए और राजा नील ने उनको दिया हुआ दंड वापस ले लिया।
राजा नील ने अग्नि को अपने राज्य के संरक्षक बनने के लिए कहा।कई साल बाद जब पांडव राजकुमार युधिष्ठिर ने हर किसी पर विजय प्राप्त करने के लिए एक अभियान चलाया, तो उनके छोटे भाई साहदेव ने महिष्मति पर आक्रमण करने के पहले, सफलता के लिए अग्नि से प्रार्थना की। बाद में, नील ने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान राठी (सारथी) के रूप में काम किया है।
विष्णु पुराण के अनुसार, रावण ने कार्तवीर्या अर्जुन के शासनकाल के दौरान महिष्मती पर हमला किया। हालांकि, रामायण के मुख्य प्रतिद्वंद्वी युद्ध हार गए और कार्तवीर्या ने कब्जा कर लिया।
ऐसी कई कहानिया और ऐतिहासिक और पुरात्विक साक्ष्यों के अभाव में महिष्मति के इतिहास पर पर्दा पड़ा हुआ है।
Mandhata is considered to be a possible site for the erstwhile Mahishmati. Source: Bernard Gagnon
बौद्ध ग्रंथों ने इस शहर को अवंती में जगह दी है। एक ओर दिघा निकैया में उल्लेख है कि महिष्मती अवंती की राजधानी थी, तो अन्य पाली ग्रंथों में उज्जैन को राजधानी के रूप में दर्शाया गया है। हालांकि, ग्रंथों का मानना है कि महिष्मती अवंती का हिस्सा थे, और बौद्ध सूतों और स्तूप ने,बौद्ध धर्म को मानने वालो के लिए, इसे उनकी रूचि का शहर माना है।
11 वीं और 12 वीं शताब्दी में, देश के दक्षिणी हिस्सों में राजाओं ने हाइया के वंशज होने का दावा किया और यहां तक कि अपनी उत्पत्ति का स्थान भी महिष्मति को माना। 13 वीं सदी के शिलालेख बताते हैं कि कुछ राजाओं ने उस अवधि के दौरान महिष्मती में रहने का दावा भी किया था।
इतिहासकारों ने महेश्वर, मंडला और यहां तक कि मैसूर को भी पूर्व में महिष्मती अंग माना है। लेकिन अब इसे एक अप्रचलित तर्क या समान ध्वनि वाले नामों से पैदा होने वाला भ्रम मान लिया गया है।
महर्षि की कहानी दुर्भाग्य से समय के पन्नों में खो गई है। यद्यपि बाहुबली फिल्म के निर्माता ने महिष्मति को अपनी रूचि के अनुसार एक काल्पनिक रूप दिया है, फिर भी हम यह अटकलें लगाने पर मजबूर हो जातें हैं कि क्या यह एतिहासिक शहर इस फिल्म की सेट की तरह ही भव्य था !
मूल लेख – सोहिनी डे