चार साल पहले, मंगलुरु के कस्तुरबा मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ पद्मनाभ कामथ को बहुत बुरा लगा जब उन्होंने यह खबर पढ़ी कि कैसे कर्नाटक के दूरगामी इलाकों में एक युवा मरीज की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी क्योंकि डॉक्टर वक़्त रहते उसका इलाज़ नहीं कर पाए। और यहीं से उनके व्हाट्सअप ग्रुप की शुरुआत हुई -‘कार्डियोलॉजी एट डोरस्टेप’!
“साल 2014 में एक लड़के को दिल के दौरे का प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण उसकी मौत हो गयी थी और यह खबर पढ़ने के बाद में परेशान हो गया। इसके बाद मैने इन जगहों के गांवों, कस्बों, निकटतम अस्पतालों, पीएचसी और इन क्षेत्रों में होने वाली परेशानियों आदि का विवरण इकट्ठा करना शुरू किया और ग्रामीण डॉक्टरों का भी एक डेटाबेस रखना शुरू किया,” उन्होंने बताया।
निगमों, वित्तीय संस्थानों और डॉक्टरों से जुडी इस जानकारी को इकट्ठा करने में लगभग 2 साल लग गए। लेकिन जब हमने व्हाट्सअप ग्रुप बनाया तो वहां से एक बदलाव शुरू हुआ। उन्होंने बंगलुरु मिरर को कहा, “हमने ग्रामीण डॉक्टरों के माध्यम से मरीजों तक पहुंचने के लिए इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू किया।”
यह व्हाट्सअप ग्रुप कर्नाटक के विभिन्न जिलों में उडुपी, उत्तर कन्नड़, कोडुगु, दक्षिणी कन्नड़ और चिकममागलुरु सहित दो प्रमुख चिकित्सकों (डॉ कामथ और डॉ मनीष राय) और प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम कर रहे 250 से अधिक सामान्य चिकित्सकों का सामूहिक है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, इस व्हाट्सअप समूह की मदद से चिकममागलुरु जिले के समसे शहर से 44 वर्षीय मजदूर को बचा लिया गया।
सोमवार को यह मजदूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गया जहां डॉ विक्रम ने उसका चेक-अप किया। इस व्हाट्सअप ग्रुप की मदद से समय पर उसकी बीमारी के बारे में पता चल पाया। और उसे तुरंत बताया गया कि उसे इलाज के लिए 125 किमी की यात्रा करके मंगलुरू जाना पड़ेगा।
“कालसा के डॉ विक्रम ने उस मजदूर का चेक-अप किया और उसका ईसीजी किया गया और उसे बताया गया कि उसे आगे के इलाज के लिए मंगलुरु जाना पड़ेगा। लेकिन बंद होने के कारण वह अपने गांव से शाम के 5 बजे निकलकर रात के 11 बजे तक ही पहुँच सकता था। उसे कैथ लैब ले जाया गया, जहां उसकी एंजियोप्लास्टी हुई,” डॉ कामथ ने बैंगलोर स्थित प्रकाशन को बताया।
यह पूरी प्रक्रिया और मेहनत बेकार नहीं गयी और अभी वह मजदूर ठीक हो रहा है।
पीएचसी और सीएचसी में उपकरणों की कमी को दूर करने के लिए, उनके सहयोगी डॉ मनीष राय ने सेवियर नामक एक समूह भी शुरू किया है, जो राज्य के दुर्गम इलाकों में स्थित चिकित्सा केंद्रों में ईसीजी दान करता है।