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बेंगलुरु: रिटायरमेंट के बाद शुरू की बागवानी, अब छत पर हैं 200 से अधिक पेड़-पौधे

Terrace Gardening in Bengaluru

कर्नाटक के बेंगलुरू की रहने वाली राजा राजेश्वरी जब बैंक में नौकरी करतीं थीं तो उनके पास समय का अभाव रहता था लेकिन रिटायरमेंट के बाद 63 वर्षीया राजेश्वरी ने अपने गार्डनिंग के शौक को पूर करने का मन बनाया और शुरू कर दी टैरेस गार्डनिंग।

बैंक मैनेजर पद से रिटायर राजेश्वरी ने द बेटर इंडिया को बताया, गार्डनिंग की शुरूआत मैंने 2-3 गमलों से की, उसमें फूल के पौधे लगाए, लेकिन सभी पौधे कुछ दिनों में सूख गए। पौधे सूखने से मुझे काफी निराशा हुई। लेकिन, मुझे अहसास हुआ कि अभी मुझे शायद बागवानी का ज्यादा अनुभव नहीं है। इसीलिए मैंने एक स्थानीय गार्डनर से बागवानी के संबंध में जानकारियाँ प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने मुझे बताया की लाल मिट्टी बागवानी के लिए उचित नहीं है और मुझे बागवानी के जैविक तरीकों को अपनाना चाहिए।

बागवानी करतीं राजेश्वरी

इसके बाद, राजेश्वरी ने किचन वेस्ट, दही, नीम ऑयल आदि से अपने पौधों के लिए मिट्टी को तैयार किया और इससे उन्हें काफी बेहतर परिणाम देखने को मिले। धीरे-धीरे, राजेश्वरी का बागवानी के प्रति जुनून बढ़ता गया और इसी का नतीजा है कि आज उनके 800 वर्ग फीट के छत पर 20 प्रकार के फल-फूल और सब्जियों के 200 से अधिक के पौधे हैं।

आज राजेश्वरी अपने छत पर फलों में आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, केला, आदि हैं, तो टमाटर, बीन्स, करेला, लौकी, गाजर जैसी कई सब्जियों की खेती करती हैं। इसके अलावा, उनके पास जासमीन, अड़हुल, मेहंदी, आदि के भी पौधे हैं।

राजेश्वरी के छत पर उगे नींबू

उन्होंने कुछ पौधों को एक स्थानीय नर्सरी से लाया है, जबकि सब्जियों के पौधों को वह बीजों को संरक्षित कर तैयार करती हैं।

खास बात यह है कि राजेश्वरी अपने पौधों की देखभाल बिल्कुल जैविक तरीके से करती हैं और इसके लिए वह यूट्यूब से भी जानकारी प्राप्त करती हैं।

वह बताती हैं, छत पर इतने बड़े पैमाने पर बागवानी करने के वजह से, मेरी सब्जियों और फलों के लिए निर्भरता न के बराबर हो गई है।

राजेश्वी के बगीचे में उगी सब्जियाँ

वहीं, लॉकडाउन के दौरान भी राजेश्वरी के परिवार को अपने टैरेस गार्डन से काफी मदद मिली।

राजेश्वरी कहती हैं, सब्जियों के लिए हम पहले बाजार पर निर्भर थे, लेकिन उन सब्जियों के उत्पादन में बड़े पैमाने पर केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान होता है। लेकिन, पिछल 3 वर्षों से हम घर में सुरक्षित तरीके से उगाए सब्जियों को इस्तेमाल कर रहे हैं और मैं इस बदलाव को साफ तौर पर महसूस कर सकती हूँ।

आदत जुनून में बदला

राजेश्वरी बताती हैं, मैंने बागवानी को एक आदत के तौर पर शुरू किया था, लेकिन अब यह मेरा जुनून बन गया है। जब भी मैं अपने पौधों पर फल-फूल लगी देखती हूँ, तो इससे मुझे काफी उत्साह मिलती है।

बागवानी से होती है दिन की शुरूआत

राजेश्वरी बताती हैं, मेरे दिन की शुरूआत बागवानी से ही होती है। मैं हर सुबह एक घंटा और शाम में एक घंटा बागवानी में समय देती हूँ और सुनिश्चित करती हूँ कि मेरे सभी पौधे सुरक्षित हैं। इसमें मुझे मेरे पति की भी काफी मदद मिलती है।

पड़ोसियों को भी देते हैं अपना उत्पाद

राजश्वेरी अपने उत्पादों को अपने आस-पास के लोगों को भी बाँटती हैं, जिससे उन्हें काफी खुशी मिलती है। एक और खास बात यह है कि राजेश्वरी के बागवानी कार्यों से प्रेरित होकर, उनके 4-5 पड़ोसियों ने भी टैरेस गार्डनिंग शुरू कर दी और इसमें राजेश्वरी ने उनकी पूरी मदद की।

अपने परिवार के साथ राजेश्वरी

राजेश्वरी के बागवानी से संबंधित कुछ जरूरी टिप्स

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संपादन – जी. एन झा

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