तमिलनाडू के कोयंबटूर में देवरायमपलयम गाँव से ताल्लुक रखने वाले लगभग 120 लोगों ने सिटी एयरपोर्ट से चेन्नई के लिए हवाई यात्रा की। पर यह सिर्फ़ एक हवाई यात्रा नहीं थी, बल्कि यह इस गाँव के एक व्यक्ति का सपना था कि उसके गाँववाले हवाई जहाज में बैठे और वही अनुभव करें, जो उसने पहली बार हवाई जहाज में बैठने पर अनुभव किया था।
44 वर्षीय एम. रविकुमार का कपड़ों का कारोबार है। अब से पांच साल पहले, उन्होंने अपने काम के सिलसिले में हवाई यात्रा की थी। यह पहली बार था जब वे हवाई जहाज में बैठे थे।
इस यात्रा ने उन्हें काफ़ी प्रभावित किया। रविकुमार ने बताया, “एयरपोर्ट पर जाना, हवाई जहाज में बैठना, जहाज का उड़ान भरना, बादलों के बीच उड़ना और ऊपर से देखने पर नीचे की इमारतें एकदम खिलौनों के जैसे दिख रही थीं और फिर लैंडिंग, ये पूरा अनुभव बहुत ही अच्छा था।”
उसी दिन रविकुमार ने अपने करीबी लोगों और रिश्तेदारों को हवाई जहाज की यात्रा कराने के फ़ैसला किया। उनकी इस नेक पहल की वजह से, उनके गाँव के पूरे 120 लोगों ने शनिवार को अपनी ज़िंदगी की पहली हवाई यात्रा की। इन लोगों में उनके परिवार की छह पीढ़ियों के लोग शामिल थे, जिनकी उम्र 55 साल से 101 साल के बीच थी।
रिश्तेदारों के साथ-साथ उनके कुछ पड़ोसी भी इस यात्रा में शामिल थे। यह दिन उनके गाँव में किसी त्यौहार से कम नहीं था। गाँव से जब ये लोग अपनी यात्रा के लिए निकले, तो लगभग पूरा गाँव उन्हें विदा करने के लिए आया। इन यात्रियों ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के साथ अपना अनुभव साँझा किया।
57 वर्षीय वल्लिंमल में बताया, “तीन महीने पहले जब रवि ने हमें इस ट्रिप के बारे में बताया था, तो हम में से किसी को भी यकीन नहीं हुआ। हालांकि, उसने हमारे लिए बहुत कुछ किया है, पर यह हमने बिल्कुल भी नहीं सोचा था।”
“न तो मेरे पति हैं और न ही कोई बच्चे, जो मुझे इस तरह का कोई अनुभव करवाएं,” इस यात्रा में शामिल रविकुमार की एक पड़ोसी जमीला (50 वर्षीय) ने बताया। इस पूरी ट्रिप का खर्च लगभग 4 लाख रूपये आया। इसके लिए रविकुमार ने पांच साल पहले से ही तैयारी करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि इस पूरी योजना के दौरान उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया।
इतने सारे लोगों के लिए एक साथ टिकट बुक करने के कारण टिकट का मूल्य भी बढ़ गया। पर फिर भी रविकुमार ने कोशिश नहीं छोड़ी और उनकी मेहनत रंग लायी। इस ट्रिप के दौरान ये सभी लोग कांचीपुरम, वेल्लौर और तिरुवन्नामलाई की यात्रा पर गये थे।
बेशक, अपने लोगों के लिए रविकुमार की यह पहल काबिल-ए-तारीफ़ है।