मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले के दस साल बाद, ‘आज द बेटर इंडिया’ उन सभी साहसी लोगों को सलाम करता है, जो उस दिन बहादुरी से लड़े और जिनकी लड़ाई आज भी जारी है। #IndiaRemembers #MumbaiAttacks
तारीख: 26/11/2008
इस एक दिन ने न सिर्फ मुंबई की बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था। एक दिन, जिसने हमसे बहुत कुछ छीना पर यही एक दिन हमें बहुत कुछ सिखा भी गया, जिसे भारत की आने वाली हर एक पीढ़ी याद रखेगी।
चीफ टिकेट इंस्पेक्टर एस. के शर्मा उन बहुत से लोगों में से एक हैं जिन्होंने 26/11 हमले में अपनी जान गंवाई। वे उस दिन रात को अपने बेटे आदित्य के साथ उसका जन्मदिन मनाने के लिए लौट रहे थे। लेकिन हमले में उन्हें गोली लगी और उनकी जान चली गयी।
उनका बेटा आदित्य उस समय 7वीं में पढ़ रहा था। आदित्य ने ‘द बेटर इंडिया’ को बताया कि उस दिन वह अपने पापा का इंतजार करते-करते सो गया था। सुबह के 4 बजे उसकी आँख खुली। जब वह जागा, तब उसने देखा कि उसकी माँ और बाकी कुछ रिश्तेदार रो रहे थे।
आदित्य को उस समय कुछ समझ नहीं आया। पर जब उसे अपने पिता की मौत का पता चला और इस पूरे हमले के बारे में उसने जाना तो वह स्तब्ध रह गया।
आदित्य ने कहा कि वह अपने पापा को वापिस नहीं ला सकता था। पर हाँ, ऐसा कुछ ज़रूर कर सकता था, जिससे हमेशा के लिए उनका नाम अमर हो जाये और लोग उन्हें याद रखें। इस घटना के एक महीने में ही आदित्य और उनकी माँ ने मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गाँव में शहीद सुशील कुमार फाउंडेशन की नींव रखी।
इस फाउंडेशन के ज़रिये वे आदिवासी लड़कियों की शिक्षा के दिशा में काम कर रहे हैं। आदित्य का कहना है कि हम पापा की याद में वही काम कर रहें हैं, जिसे करके उन्हें सिर्फ ख़ुशी ही मिलती। यह फाउंडेशन आदिवासी लड़कियों को मुफ़्त शिक्षा प्रदान करती है और साथ ही उन्हें आत्म-रक्षा के गुर भी सिखाये जाते हैं।
शुरुआत में संस्था के लिए फंड की सहांयता उन्हें उनके निजी सगे-सम्बन्धियों से मिली। यह मुहीम उन्होंने 3 आदिवासी लड़कियों के साथ शुरू की थी, पर आज यह संस्था 350 बच्चियों के जीवन को संवार रही है।
आदित्य की माँ ने संस्था की पाँच लड़कियों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा लिया हुआ है। ये पाँचों लड़कियां हर एक कमी के बावजूद पढ़ाई और अन्य गतिविधियों को बहुत अच्छी तरीके से कर रही हैं।
आदित्य कहते हैं कि बेशक हमारे परिवार ने काफी चुनौती भरा और मुश्किल समय देखा है पर हमारा हौंसला कम नहीं हुआ है। सबसे अच्छी बात यह है कि उनका परिवार एक साथ इस चुनौती का सामना कर रहा है।
द बेटर इंडिया आदित्य और उनके परिवार की इस बेहतरीन सोच को सलाम करता है, जो किसी अपने को खोकर भी दूसरों की जिंदगियां रौशन कर रहे हैं!
संपादन – मानबी कटोच