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पति की गई नौकरी तो बागवानी को बनाया रोज़गार, छोटे से बगीचे से कमाए एक लाख रूपये

Kerala Woman Grows

आपदा में अवसर कैसे ढूंढे जाते हैं, यह केरल की मंजू हरि से सीखना चाहिए। केरल के पठानमथिट्टा में रहने वाली मंजू हरि के पति, लकड़ी मिल में काम करते थे। लेकिन, देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उनकी नौकरी चली गई। इससे उनका परिवार चलाना मुश्किल हो गया। 

लेकिन, उनके घर में एक छोटे से बगीचे से, उन्हें एक नई उम्मीद मिली। मंजू अपने इस बगीचे में मॉस गुलाब (Moss Rose) की बागवानी करती हैं। इस फूल को पोर्टुलाका भी कहा जाता है।

फूलों को बेचकर, 38 वर्षीय मंजू की इतनी कमाई हो जाती है कि, वह अपने परिवार की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकती हैं।

इस कड़ी में, मंजू ने द बेटर इंडिया को बताया, “एक तरह से, मैं लॉकडाउन के प्रति एहसानमंद ही हूँ। क्योंकि, इससे मुझे घर पर रहते हुए, पैसे कमाने की सीख मिली।”

आज मंजू की नर्सरी में, सिंड्रेला, जंबो और टेबल रोज जैसी मॉस गुलाब की सौ से अधिक प्रजातियाँ हैं।

मंजू हरि

लॉकडाउन से पहले, मंजू ने अपने तिरुवनंतपुरम के एक दोस्त के पास से मॉस गुलाब के कुछ बीज लिए थे। बीजों के लगाने के 10 दिनों के अंदर, पौधा तैयार हो गया।

धीरे-धीरे, उन्होंने Artificial Pollination के तहत कई किस्म के फूलों को उगाना शुरू कर दिया।

वह बताती हैं, “मॉस गुलाब के कई तरीके हैं। इसे बीज और कटिंग, दोनों तरीके से तैयार किया जा सकता है। मैं अपने पौधों को कटिंग से तैयार करती हूँ। क्योंकि, यह आसान है।”

10 बजे का फूल

मंजू सामान्यतः पौधे के ऊपरी भाग से करीब 10 सेमी की दूरी पर कटिंग करती हैं। फिर, वह इस कटिंग को एक जार में पानी भर कर लगा देती हैं। 

एक दिन के अंदर, इसमें जड़ें उग आती हैं। इसके बाद इसे ट्रे में लगाया जा सकता है। इसके फूल नारंगी, पीले, क्रीम व्हाइट और लाल जैसे कई रंगों में होते हैं।

मॉस गुलाब के मनमोहक खूबसूरती ने मंजू के पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी आकर्षित किया है, और उन्होंने इसे खरीदना शुरू कर दिया है।

वह कहती हैं, “मैं शुरू से एक पौधे को 5 रुपए में बेच रही हूँ। मुझे कभी अपनी कीमतों को बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। मुझे इससे भी अन्य पौधों की तरह, कमाई जो हो रही है। वह मेरी उम्मीद से कहीं अधिक है। वह कहती हैं, “मैं हर महीने औसतन 10 हजार रुपए कमाती हूँ। इस तरह, एक साल में मैंने 1 लाख रुपए से अधिक के पौधे बेचे।” 

मंजू बताती हैं कि, आज उन्हें दिल्ली, मुम्बई और बेंगलुरु जैसे महानगरों समेत पूरे देश से आर्डर आ रहे हैं।

इस फूल की एक खासियत यह है कि, यह सुबह 10 बजे खिलता है। इसी वजह से स्थानीय मलयाली भाषा में, इस फूल को पथुमानी पूवु के नाम से जाना जाता है। जिसका अर्थ है – 10 बजे का फूल।

मॉस गुलाब का पौधा केवल 8 इंच तक बढ़ता है, और 2 फीट तक फैलता है। इस कारण इसे ज्यादा जगह की जरुरत नहीं होती है। इसे छोटे गमले, कटोरे या खुले क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है।

किन बातों का रखें ध्यान

मंजू बताती हैं कि इस पौधे को लगाने के लिए, मिट्टी तैयार करने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए बगीचे की मिट्टी, गाय के गोबर और नारियल की भूसी का इस्तेमाल किया जा सकता है। वह अपने पौधों की सिंचाई दिन में दो बार करती हैं।

वह कहती हैं, “मॉस गुलाब को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। इसलिए कई बार, मैं दिन में एक बार ही पानी देती हूँ।”

अन्य पौधों की तरह, मॉस गुलाब को भी कई रोगों से खतरा रहता है। यदि पौधों में एक बार फंगस दिख जाए, तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए। नहीं तो, यह दूसरे पौधों में भी फैल जाएगा। इसके रोकथाम के लिए नीम ऑयल या नीम के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

वह कहती हैं, “अपने ग्राहकों को पौधा बेचने से पहले, मैं इससे संबंधित सभी जरूरी जानकारियाँ उनके साथ साझा करती हूँ। मैं उन्हें सलाह देती हूँ कि यदि पौधों में फंगस लग रहे हैं, तो घबराएं नहीं। क्योंकि यह स्वाभाविक है।”

मंजू अंत में कहती हैं, “हर सुबह पौधे को खिलते हुए देखने से, न सिर्फ मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। बल्कि, इससे मन को एक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।”

इस एहसास को बढ़ावा देने के लिए, वह अन्य प्रकृति प्रेमियों को मॉस गुलाब खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

आप मंजू से 9562003503 पर संपर्क कर सकते हैं।

संपादन – जी.एन. झा

मूल लेख – SANJANA SANTHOSH

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