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रायपुर: प्रवासी श्रमिकों के लिए बना ‘आश्रय स्थल’; योग, खेल, शिक्षा और काउंसलिंग की भी है सुविधा

लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। इस कठिन घड़ी में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में ‘आश्रय स्थल’ बनाया गया है, जहां देश भर के मजदूर परिवार, श्रमिक जो लॉकडाउन की घोषणा के दौरान रायपुर के आस-पास थे, उन्हें यहां आश्रय दिया गया है। यहां लगभग 250 लोग रह रहे हैं। लाभांडी स्थित सरकारी क्वार्टरों में इन प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को रखा गया है।

क्या है आश्रय स्थल?

रायपुर जिला प्रशासन समर्थ और ‘वी द पीपल’ नाम के गैर सरकारी संगठन के सहयोग से आश्रय स्थल का संचालन कर रही है। यहां श्रमिकों और उनके परिजनों को न केवल दो वक़्त का भोजन, फल, दूध, चाय और रहने की जगह दी जा रही है बल्कि इस संकट के दौर में मानसिक रूप से उन्हें मजबूत रखने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। अपने परिवार से साथ रह रहे मजदूरों के बच्चों को ‘सीख केंद्र’ में प्रतिदिन सुबह पढ़ाया जा रहा है, इसके साथ ही बच्चे रचनात्मक काम भी करते हैं, जैसे ड्राइंग, पेंटिंग आदि। बच्चों को खेल सामग्रियां भी उपलब्ध हैं। आश्रय स्थल में सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है ताकि श्रमिकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जा सके और साथ ही 24 घण्टे स्वास्थ्य सुविधा भी उपलब्ध होती है।

ऐसी होती है दिनचर्या


दिन की शुरुआत योग और ध्यान से होती है जिसमें सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग और ध्यान करते हैं। शुरुआती दिनों में सारे काम प्रशासन और स्वयं सेवी संस्था के वॉलंटियर्स कर रहे थे, पर धीरे-धीरे अब ‘आश्रय स्थल’ को अपना घर मानकर ये लोग खुद से होकर काम में सहयोग दे रहे हैं और खाना बनाने, परोसने, खुली जगह को साफ रखने तक में वॉलंटियर्स की मदद कर रहे हैं।हर रोज़ शाम को ग्रुप डिस्कशन का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें सभी लोग भाग लेते हैं, ताकि किसी को अकेलापन न महसूस हो।

जिला पंचायत सीईओ गौरव सिंह का कहना है, “श्रमिक जिस स्थान पर रहते हैं वहां शत प्रतिशत सोशल डिस्टन्सिंग का पालन हो रहा है। प्रत्येक हॉल में 5 लोग रखे गए हैं, भोजन के वक़्त, योगा के वक़्त आदि में हम सोशल डिस्टन्सिंग को सुनिश्चित करते हैं। इस विपरीत समय में जिला प्रशसन का एक -एक अधिकारी श्रमिकों के साथ खड़ा है और हर संभव मदद कर रहा हैं।”

नशा मुक्ति पर हो रहा है काम


समर्थ संस्था की संचालक मंजीत कौर बल का कहना है, “इन श्रमिकों को मानसिक स्तर पर संबल देना बहुत जरुरी है। जब सभी को इस आश्रय स्थल में लाया गया था तो ये एक पल नहीं रहना चाहते थे, लेकिन इन सभी की व्यक्तिगत काउंसलिंग की गई, इन्हें कोरोना और लॉकडाउन का मतलब समझाया गया। आज स्थिति बहुत बेहतर है। हम नशा मुक्ति पर भी काम कर रहे हैं। ”

इस पहल पर जिला के कलेक्टर डॉ एस भारती दासन ने द बेटर इंडिया को बताया, “इस महामारी से बहुत लोग ऐसे है जो घर से बेघर हो गए हैं। यह आश्रय स्थल इन सभी प्रवासी श्रमिकों के जीवन में एक नया रंग भरने का प्रयास है। इस कठिन समय में इन्हें घर जैसा वातावरण देने का प्रयास किया जा रहा है।”

यह आश्रय स्थल रायपुर जिला प्रशासन की एक अभिनव पहल है। एक ओर जहां श्रमिकों की हज़ारों किलोमीटर पैदल चलने की दर्दनाक तस्वीरें झकझोरती हैं, तो वहीं दूसरी ओर रायपुर जिला प्रशसन द्वारा की जा रही यह पहल सराहनीय है। श्रमिक एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं। इस सब के बीच उन्हें बेहतर कल के लिए भी तैयार किया जा रहा है।

यह पहल प्रशासनिक कुशलता के साथ साथ मानवीय मूल्यों का भी एक बेहतरीन उदहारण है। जिला प्रशसन एवं एन.जी.ओ के सभी कोरोना हीरोज़ को हमारा सलाम।

(यह लेख छत्तीसगढ़ से हर्ष दुबे और जिनेन्द्र पारख ने लिखा है)


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