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चार दोस्तों का कमाल, 5 लाख बेकार प्लास्टिक की बोतलों से अंडमान में बनाया रिसॉर्ट!

Plastic Waste

अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित साल 2012 से एक डाइविंग इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने पहले दिन से ही, देखा कि यहाँ प्लास्टिक कचरे का अंबार लगा है। 

इसी को देखते हुए, उन्होंने तय कि यदि वह कभी कोई बिजनेस शुरू करेंगे, तो यह सुनिश्चित करेंगे कि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो।

डाइविंग इंस्ट्रक्टर के रूप में काम करने के साथ-साथ, जोरावर पर्यटकों के लिए एक टूर गाइड के रूप में भी काम करने लगे और वह उन्हें यहाँ के अच्छे होटलों को खोजने में उनकी मदद करते थे।

इस कड़ी में, उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “ट्रेनिंग सेशन के दौरान, मेरे ग्राहक मुझसे हमेशा यहाँ के अच्छे रिसॉर्ट या खाने के बारे में पूछते थे। इसलिए, मैंने उनके रहने और खाने के लिए उत्तम व्यवस्था करने का विचार किया।” 

“आज द्वीप पर अधिकांश कंस्ट्रक्शन कार्यों के दौरान बड़े पैमाने पर जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। इस वजह से यहाँ प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है और इससे पर्यावरण को काफी क्षति हो रही है। ऐसे में, मैं कुछ अलग करना चाहता था,” 31 वर्षीय जोरावर ने आगे बताया।

वह बताते हैं कि अंडमान 580 द्वीपों से मिलकर बना है। लेकिन, यहाँ प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। इस तरह, उन्हें आउटबैक हैवलॉक रिसॉर्ट बनाने का विचार आया।

इसके बाद, जोरावर ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5,00,000 बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।

कैसे बनाया होटल

होटल बनाने के लिए सबसे पहले उन्होंने फ्रांसीसी आर्किटेक्चर के संदर्भ में गहन शोध अध्ययन किया, जहाँ प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल भवनों को बनाने के लिए किया जाता है। 

इस प्रक्रिया में, प्लास्टिक की बोतलों में रेत और धूल भरी जाती है, जो ईंट की तुलना में, 10 गुना अधिक मजबूत और जलरोधी होते हैं।

इसी को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने कई डंपयार्ड से बेकार प्लास्टिक की बोतलों को जमा किया और अपने होटल को बनाना शुरू किया।

जोरावर कहते हैं, “हमने 5 लाख बेकार बोतलों को जमा करने के अलावा, 500 किलो रबर वेस्ट को भी जमा किया। जहाँ बोतलों का इस्तेमाल लक्जरी कमरों को बनाने के लिए किया गया। वहीं, रबर से रिसॉर्ट में फुटपाथ बनाया गया।”

क्या थी चुनौतियाँ

जोरावर कहते हैं, “होटल को बनाने के दौरान हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। क्योंकि, हमें इसका कोई अनुभव नहीं था। हमारे लिए मजदूरों को प्लास्टिक की बोतलों से संरचना को बनाने के लिए सीखाना चुनौतीपूर्ण था। अन्य कंस्ट्रक्शन की तुलना में, इसमें अधिक समय लगा, लेकिन इसका नतीजा भी बेहतर आया।”

वह बताते हैं कि उनके रिसॉर्ट 8 जंगल व्यू लक्जरी कमरे और 60 सीटर कैफे भी हैं।

आज इस होटल में कुल 9 कर्मचारी हैं। लेकिन, लॉकडाउन के दौरान उनके बिजनेस को काफी नुकसान हुआ। 

इसे लेकर अखिल कहते हैं, “कोरोना वैश्विक महामारी ने हमारे बिजनेस को काफी बुरी तरह से प्रभावित किया है। इस महामारी से पहले, हमारे पास हर दिन 80 से अधिक मेहमान आते थे। हमें उम्मीद है कि हमारा बिजनेस जल्द ही ढर्रे पर आ जाएगा।”

वे हर दिन का 4,200 चार्ज करते हैं। जिसमें मेहमानों को वाईफाई से लेकर भोजन तक की सुविधा दी जाती है। इस होटल को बनाने के लिए उन्होंने 1 करोड़ रुपए का निवेश किया। फिलहाल, वह इससे सलाना 1.5 करोड़ रुपए का कारोबार करते हैं।

काफी सकारात्मक है असर

इस होटल को बनने के बाद, यहाँ के कई स्थानीय लोगों में भी इस तरीके से संरचना बनाने की जिज्ञासा जगी है।

इसे लेकर अखिल कहते हैं, “आज हमारे पास कई लोग इस तरह से होटल बनाने के तरीकों को समझने के लिए आते हैं। हम उन्हें इस व्यवहार को अपनाने के लिए काफी प्रोत्साहित भी करते हैं। क्योंकि, आज पर्यावरण से संबंधित चुनौतियों को देखते हुए, यह काफी जरूरी है। इसके अलावा, नियमित कंस्ट्रक्शन के मुकाबले इस शैली में व्यक्तिगत रूप से भी अधिक लाभ है।”

इस रिसॉर्ट में केले और नारियल के पेड़ व्यापक पैमाने पर लगाए गए हैं। इसके साथ ही, यहाँ एक ऑर्गेनिक किचन भी है। 

इसे लेकर अखिल कहते हैं, “हम ग्राहकों के लिए खाना, अपने बगीचे में लगे उत्पादों से बनाते हैं। इससे हमारा भोजन स्वादिष्ट और हाइजेनिक होता है। यहाँ हम ब्रेड और पिज्जा बेस भी तैयार करते हैं।”

कैसे करें यात्रा

अंडमान की यात्रा से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

आदित्य कहते हैं, “पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे से, नाव (ferry) से हैवलॉक आने में करीब 2 घंटे लगते हैं। आमतौर पर, मेहमान हमें अपनी फ्लाइट के समय के बारे में पहले ही बता देते हैं। हम उसी के अनुसार उनके लिए नाव की व्यवस्था करते हैं। उनके हैवलॉक आने के बाद हम, उन्हें रिसॉर्ट लाने के लिए पिक-अप कैब की सुविधा देते हैं।”

वह आगे कहते हैं, “नाव का टिकट कंफर्म हुए बिना अंडमान द्वीप समूह में यात्रा वर्जित है। यहाँ मेहमानों को निजी नौकायन के अलाव, सरकारी सुविधा भी मिलती है, जो थोड़ी सस्ती होती है। ये पुराने पोत होते हैं, इसका टिकट आपको सीधे एजेंटों से लेना होगा। जबकि, निजी नौकायन नए होते हैं और इसमें ऑनलाइन टिकट की सुविधा होती है।”

तीनों दोस्त फिलहाल, पोर्ट ब्लेयर में एक नई परियोजना पर काम कर रहे हैं। 

इसे लेकर आदित्य कहते हैं, “आउटबैक हैवलॉक के मुकाबले, हमारी नई परियोजना सिर्फ एक कैफे और रिसॉर्ट तक सीमित नहीं है। बल्कि, इसे हम एग्री बिजनेस मॉडल के आधार पर तैयार कर रहे हैं।”

“इस परियोजना को भी हम बेकार प्लास्टिक का इस्तेमाल कर अंजाम दे रहे हैं। हम इसे 2022 में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं,” वह अंत में कहते हैं।

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संपादन: जी. एन. झा

मूल लेख – SANJANA SANTHOSH

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