Site icon The Better India – Hindi

शादी में दहेज़ न लेकर, पहलवान योगेश्वर दत्त ने कायम की युवाओं के लिए एक मिसाल!

ले ही भारत के पहलवान, योगेश्वर दत्त ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए हो पर अपनी शादी में दहेज़ न लेने का ऐलान कर के उन्होंने ये साबित कर दिया कि उनका दिल सोने का है।

बीते शनिवार को योगेश्वर की सोनीपथ के मुरथल में हरयाणा के कांग्रेस नेता जयभगवान शर्मा की बेटी शीतल से सगाई थी और 16 जनवरी को शादी। उनकी शादी वैसे अपने आप में चर्चा का विषय है लेकिन योगेश्वर की यह शादी दहेज को लेकर भी चर्चा मे रही।

 योगेश्वर ने फैसला किया था कि वह दहेज के रूप में दुल्हन के परिवार से केवल एक रुपया लेंगे।

Photo source: Facebook

योगेश्वर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने देखा है कि मेरे परिवार के लोगों ने अपनी लड़कियों के लिए कितनी मुश्किल से दहेज का पैसा जुटाया था। उनको कितनी परेशानी उठानी पड़ी मैं जानता हूं। 34 साल के योगेश्वर ने आगे कहा, ‘उसके बाद मैंने बड़े होते हुए सिर्फ दो ही चीजें सोची थीं। पहली बात तो यह है कि मैं कुश्ती में बड़ा मुकाम हासिल करूंगा और दूसरा कि दहेज नहीं लूंगा।”

उन्होंने कहा कि ‘मेरा पहला सपना पूरा हो गया है। अब दूसरे सपने और वादे को पूरा करने का वक्त है।’ योगेश्वर ने आगे कहा कि काश उनकी शादी को देखने के लिए उनके पिता रामेश्वर दत्त और मास्टर सतबीर सिंह जिंदा होते। योगेश्वर ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि उनका दूसरा सपना पूरा होते हुए देखने के लिए उनके पिता और कोच जिंदा होते। योगेश्वर की मां सुशीला देवी ने कहा कि योगेश्वर की शादी उनके लिए खास मौका है। उन्होंने यह भी कहा कि वह दुल्हन के परिवार से शगुन के तौर पर बस एक रुपए के अलावा कुछ और नहीं लेंगी।

हालांकि हमारे देश में अब दहेज़ की प्रथा को अवैध करार कर दिया गया है, फिर भी इस कुप्रथा का पूरी तरह विनाश नहीं हुआ है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2015 में लोक सभा को लिखे अपने पत्र में सूचित किया था कि भारत में महज़ 3 साल में करीब 24,771 दहेज़ के लिए हत्या के मामले सामने आये है।

ऐसे में युवा वर्ग के लिए मिसाल माने जाने वाले योगेश्वर दत्त के इस नेक कदम से देश भर के युवाओं को एक अच्छी सीख मिलेगी।

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें contact@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।

Exit mobile version