राजस्थान की 48 वर्षीय वर्षा शर्मा अपने एक दोस्त को किडनी दान करना चाहती थी। पर उनका परिवार इसके सख्त खिलाफ था। उनका दोस्त भारतीय सेना में अफ़सर है, जिनका नाम कर्नल पंकज भार्गव है।
परिवार के विरोध के बाद जब सरकार ने भी वर्षा की मदद नहीं की तो उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
नियमों के अनुसार किसी भी अंगदान की प्रक्रिया में केवल कोई करीबी रिश्तेदार (जिनसे पीड़ित का खून का रिश्ता हो) ही अंग दान कर सकता है। लेकिन हाल ही में, कर्नाटक हाई कोर्ट ने वर्षा को ऐसा करने की इजाजत दे दी है।
दरअसल, वर्षा कर्नल भार्गव के भाई की सहपाठी रही थीं। इसलिए जब कर्नल भार्गव के बारे में उन्हें पता चला तो उन्होंने स्वयं उन्हें किड़नी दान करने की इच्छा जताई। इसके लिए वर्षा ने खुद को अक्टूबर, 2017 से तैयार करना शुरू किया और लगभग 21 किलो वजन भी घटाया।
उन्होंने इस केस में सबसे पहले अनिल श्रीवास्तव से संपर्क किया था, जो खुद एक किडनी डोनर हैं साथ ही ‘गिफ्ट ऑफ लाइफ एडवेंचर फाउंडेशन’ के फाउंडर हैं। वे शुरू से ही इस लड़ाई में वर्षा के साथ रहे।
हालांकि, कोर्ट ने लम्बे इंतज़ार के बाद वर्षा को मंजूरी दे दी और बीती 27 जुलाई को सर्जरी भी बिना किसी समस्या के कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल में हो गयी। कर्नल भार्गव और वर्षा, दोनों ही अभी अस्पताल में हैं। अस्पताल के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. एस सुधाकर ने कहा कि यह मामला बहुत ही अलग था। वर्षा ने अपने परिवार और अधिकारियों, दोनों से विरोध का सामना करने के बाद कोर्ट में पेटिशन फाइल किया। उन्होंने अपने अधिकार की लड़ाई लड़ी है।
अब यह तो नहीं पता कि इस केस के बाद बिना किसी संबंध के अंगदान करने के मामलों में क्या फैसला होगा। लेकिन यक़ीनन इस केस से इस तरह के मामलों को देखने का नजरिया अवश्य बदलेगा।
हम वर्षा के दृढ निश्चय और हौंसले की सराहना करते हैं। उम्मीद है कि वर्षा और कर्नल भार्गव जल्द ही स्वस्थ होकर घर लौटें।
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