जानी-मानी समाज सेविका और पद्मश्री से सम्मानित सुलागिट्टी नरसम्मा ने 25 दिसंबर 2018 को बंगलुरु में अपनी आखिरी सांस ली। कर्नाटक के एक छोटे-से गांव कृष्णपुरा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने करीब 15 हजार बच्चों का सुरक्षित प्रसव करवाया था।
मृत्यु के समय उनकी उम्र 98 साल थी। साल 2017 में नरसम्मा को समाज सेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवॉर्ड से भी नवाजा था।
#PresidentKovind presents Padma Shri to Dr Sulagitti Narasamma in the field of social work. A nonagenarian farm labourer, Dr Narasamma provides midwifery services in deprived regions of Karnataka free of charge. She has performed over 15,000 deliveries over 70 years pic.twitter.com/f8rzNAySLW
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 20, 2018
जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक के तुमकुर जिले में जन्मीं नरसम्मा इस इलाके में ‘जननी अम्मा’ के नाम से मशहूर थी। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में करीब 15 हजार गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया है। दाई का काम उन्होंने अपनी दादी से सीखा था। नरसम्मा ने कभी भी किसी डिलीवरी के लिए कोई पैसे नहीं लिए।
वे पारम्परिक तरीकों से गर्भवती महिला की डिलीवरी करवाती थीं। नरसम्मा वैसे तो अनपढ़ थीं लेकिन वे अपने काम में इतनी माहिर थी कि साल 2014 में उन्हें तुमकुर विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
पिछले कई महीनों से नरसम्मा की तबीयत काफी ख़राब थी। उन्हें फेफड़ों की घातक बीमारी के चलते अस्पताल में भारती करवाया गया था। यहाँ उन्हें 3-4 दिन वेंटीलेटर पर रखा गया। लेकिन नरसम्मा की तबीयत नहीं सुधरी और फिर 25 दिसंबर को उन्होंने इस दुनिया से विदा ली।
हजारों बच्चों को जीवनदान देने वाली इस ‘जननी अम्मा’ को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि!