महाराष्ट्र के पुणे में ट्रैफिक की बढ़ती समस्या को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस विभाग ने दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है और जो भी बिना हेलमेट के वाहन पर होगा, उसे जुर्माना देना होगा। लेकिन पुणे के पास के शहर जैसे पिंपरी-चिंचवाड़ में परिस्थितियाँ एकदम विपरीत हैं।
दरअसल, पिंपरी या फिर पुणे के पास के ऐसे इलाके, जहाँ अभी भी यह हेलमेट कानून लागू नहीं हुआ है, वहाँ के निवासियों ने इस समस्या का एक अलग ही हल निकाला है। इन जगहों के निवासियों को अगर पुणे शहर किसी काम से दुपहिया वाहन पर जाना है, तो इनके लिए हेलमेट पहनना जरूरी हो जाता है।
लेकिन इन लोगों में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके पास हेलमेट खरीदने के पर्याप्त साधन नहीं होते। इन्हें पुणे भी कभी-कभी ही जाना होता है। अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूकता न होने के कारण, सिर्फ़ एक-दो बार के लिए हेलमेट खरीदना ये लोग ज़रूरी नहीं समझते। पर इस समस्या को हल करने की एक बेहतरीन तरकीब यहाँ पर लगाई गयी है।
पिंपरी से पुणे जाने वाले रास्ते में आपको कई दुकानें ऐसी दिखेंगी, जहाँ से आप एक दिन या फिर चंद घंटों के लिए हेलमेट किराये पर ले सकते हैं। दापोड़ी में राहुल राज टूर्स एंड ट्रेवल्स के मालिक राहुल अन्घोलकर ने ऐसी ही सुविधा शुरू की है। उन्होंने अलग-अलग तरीके के बहुत सारे हेलमेट खरीदकर, उन्हें अपनी दुकान के बाहर एक रैक में लगा दिया है। यहाँ से दुपहिया वाहन चालक अपनी सुविधानुसार हेलमेट किराये पर ले सकते हैं।
ग्राहक यहाँ पर 10 रूपये या फिर 20 रूपये के हिसाब से हेलमेट किराए पर लेते हैं और फिर लौटते समय इन्हें वापिस कर देते हैं। इन ग्राहकों को 200 रूपये या फिर 500 रूपये एडवांस में सिक्यूरिटी मनी के तौर पर जमा करना पड़ता है। लेकिन यह उनके लिए ठीक है, क्योंकि किराये के हेलमेट के चलते वे जुर्माना भरने से बच जाते हैं।
राहुल अन्घोलकर का कहना है कि लगभग 60 लोग हर रोज़ उनके यहाँ से हेलमेट किराये पर लेते हैं। उनके ज़्यादातर करते हैं, या फिर ऐसे लोग जो अपने रिश्तेदारों से मिलने या फिर किसी बीमारी के चलते अस्पताल जा रहे होते हैं।
हालांकि, यह सुविधा ग्राहकों के कोई खास पैसे नहीं बचा रही है लेकिन यह उन लोगों के लिए है जो सिर्फ़ एक-दो बार के लिए हेलमेट नहीं खरीद सकते हैं।
ऐसा ही एक स्टॉल खडकी में मनोहर शिंदे का है। शिंदे के यहाँ से लोग नए हेलमेट खरीदते हैं तो कुछ लोग किराये पर भी लेते हैं। दुकानदारों के अलावा ग्राहकों का भी इस विषय में अपना एक मत है। दपोड़ी के एक सुनार, श्याम बरमेडा कहते हैं कि हमारे इलाके में हेलमेट पर कोई कानून नहीं है तो हम इस पर खर्च क्यों करें। कभी-कभी की जरूरत के लिए किराये पर लिया जा सकता है।
वहीं दूसरी तरफ पिंपरी की एक छात्रा का कहना है कि पुणे में उसकी क्लास हफ्ते में सिर्फ़ दो दिन होती है। इसलिए हेलमेट खरीदने से बेहतर है कि उन दो दिनों के लिए हेलमेट किराये पर ले लिया।