दुबई निवासी दो बहनें मेहर भाटिया और शनाया भाटिया पिछले एक साल से सूखे मेवे जैसे कि बादाम, काजू, पिस्ता आदि बेच रही हैं। इससे जितने भी पैसे इकट्ठा होते है, उसे वे मुंबई के टाटा मैमोरियल अस्पताल में कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज़ के लिए भेजती हैं।
उनके प्रयासों से इन बच्चों और उनके माता-पिता को 1500 से भी ज्यादा रातों के लिए आश्रय मिला है, नहीं तो वे फुटपाथ पर होते।
कैंसर रोगियों के साथ काम कर रहे मुंबई स्थित एनजीओ, ‘हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन’ के आवास प्रोजेक्ट के अंतर्गत, ये दोनों बहने संयुक्त अरब अमीरात में होने वाले विभिन्न आयोजनों में फंड इकट्ठा करने के लिए सूखे मेवे बेचती हैं। 16 वर्षीय मेहर कहती हैं, “हम कोई दान नहीं लेते, बल्कि हम मेवे बेचकर पैसे इकट्ठा करते हैं। 40 दिरहम (यूएआई मुद्रा) के एक पैकेट नट्स से अस्पताल के एक बच्चे के लिए एक रात का पैसा जुटाया जा सकता है।”
पिछले हफ्ते दोनों बहनों ने अपने माता-पिता के साथ मुंबई में इन बच्चों से मुलाकात की। यह पहली बार था जब मेहर और शनाया इन बच्चों से मिली हैं।
12 वर्षीय शनाया ने बताया, “इन बच्चों और उनके परिवारों से मिलकर पता चला कि अभी भी कितनी परेशानियां हैं और कितना कुछ करना बाकी है।”
अस्पताल में बच्चों से मिलने के बाद वे धर्मशाला गयीं, जहां पर इलाज़ के दौरान ये बच्चे और इनके माता-पिता रहते हैं। वहां उन्होंने एक 17 वर्षीय लड़की से बात की, जिसने उन्हें बताया कि उसका इलाज़ टाटा मैमोरियल अस्पताल में ही हुआ था, लेकिन फिर से उसे ल्युकेमिआ हो गया और उसके परिवार को फिर से गांव से मुंबई आना पड़ा। उस लड़की ने बताया कि कैसे उसकी ज़िन्दगी के 7 साल अस्पतालों के चक्कर काटते हुए बीते हैं।
उन्होंने पीड़ित बच्चों के माता-पिता से भी बात की। जिन्होंने दोनों बहनों को अपनी परेशानियों के बारे में बताया। अपने आगे की योजनाओं में मेहर और शनाया लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करेंगीं।
( संपादन – मानबी कटोच )