Site icon The Better India – Hindi

‘नानी तेरी मोरनी’ : नागालैंड की म्होंबेनी एज़ुंग की बहादुरी की सच्ची कहानी!

म्होंबेनी एज़ुंग

हाल ही में, गुवाहाटी में आयोजित हुए ब्रह्मपुत्र वैली फिल्म फेस्टिवल में डायरेक्टर अकशादित्या लामा की फिल्म ‘नानी तेरी मोरनी’ की स्क्रीनिंग हुई। इस फिल्म को नागमीज़ और हिंदी भाषा में बनाया गया है।

यह फ़िल्म, नागालैंड की म्होंबेनी एज़ुंग की सच्ची कहानी से प्रेरित है। एज़ुंग साल 2015 में सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार की प्राप्तकर्ता हैं। फ़िल्म में एज़ुंग का किरदार ज़ीनेन निलो कांत ने निभाया है। एज़ुंग की बहादुरी के साथ-साथ फ़िल्म को पारम्परिक दादी-नानी की कहानियों का भी इफ़ेक्ट देकर बहुत ही दिलचस्प रंग दिया गया है। 

दरअसल, म्होंबेनी एज़ुंग अपनी सर्दी की छुट्टियों में नागालैंड में अपने गाँव अपनी दादी के पास रहने के लिए गयीं थीं। उस समय उनकी दादी रेंथुन्ग्लो जुंगी की उम्र लगभग 78 वर्ष रही होगी। एज़ुंग एक दिन नदी पर अपनी दादी के साथ मछली पकड़ने गयी हुई थी।

वहां अचानक उनकी दादी दिल का दौरा पड़ने से बेहोश हो गयी। इन हालातों में 8 साल की एज़ुंग ने सूझ-बूझ से काम लिया और वह तुरंत अपने गाँव की तरफ़ भागी। एज़ुंग अकेले 5 किलोमीटर के घने जंगल को पार करते हुए अपने गाँव पहुंची और वहां से अपनी दादी के लिए मदद लेकर आई। उसकी वजह से ही उसकी दादी की जान बच पाई।

साल 2015 में एज़ुंग को प्रधानमंत्री ने बहादुरी पुरस्कार से नवाज़ा। एज़ुंग भारत की अब तक की सबसे छोटी उम्र की बहादुरी पुरस्कार प्राप्तकर्ता है।

पुरुस्कार लेते हुए म्होंबेनी एज़ुंग

इसी कहानी पर नागा-डायरेक्टर लामा ने बच्चों के लिए यह फ़िल्म बनाई है। यह फ़िल्म बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ एक प्रेरणा भी होगी।

मूल लेख: रिनचेन नोरबू वांगचुक

कवर फोटो


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे।
nani teri morni, nani teri morni, nani teri morni

Exit mobile version