काफी समय से महाराष्ट्र के अकोला ज़िले में लोग लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारीयों के काम और व्यवहार की लगातार शिकायतें कर रहे हैं।
ऐसे में ज़िले के कलेक्टर आस्तिक कुमार पांडे बिना किसी पूर्व सुचना के विभाग के दौरे पर जा पहुंचे। लेकिन वहां जाकर उन्होंने जो देखा उससे उन्हें समझ आ गया कि लोगों की शिकायतें बेबुनियाद नहीं हैं।
इस विभाग के कामकाज की जांच के लिए वे दौरे पर गए थे ताकि कोई समस्या है तो उसका पता लगाकर उसे हल करने की कोशिश करेंगें। हालांकि, जब उन्होंने इमारत में प्रवेश किया, तो वे स्तब्ध रह गए।
दरअसल, जब आस्तिक पीडब्ल्यूडी विभाग पहुंचे तो उन्होंने देखा कि बिल्डिंग में दीवारों पर पान के धब्बे हैं और मकड़ी के जाले लटके हुए हैं। वे समझ गए कि जो लोग अपना दफ्तर ही साफ़ नहीं रख सकते वे आम जन की समस्याएं कैसे सुलझाते होंगें।
इसलिए, आस्तिक ने निश्चय किया कि यदि इन अधिकारियों को यहां गंदगी नहीं दिखती तो वे उन्हें दिखाएंगे – बिल्कुल गाँधीगिरी के अंदाज में।
उन्होंने अपने अस्सिस्टेंट को एक बाल्टी में पानी और एक तौलिया लाने के लिए कहा।
जिसके बाद, इस आईएएस अफसर ने अपने घुटनों पर बैठकर सबके सामने खुद दीवार पर पान के धब्बों को साफ करना शुरू कर दिया।
इसे देखकर सभी पीडब्ल्यूडी के अधिकारीयों को शर्मिंदगी महसूस हुई क्योंकि दफ्तर को साफ़ रखना भी उनकी एक ज़िम्मेदारी है और सबसे पहले इस तरह बसे दफ्तर को गंदा किया ही नहीं जाना चाहिए।
एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब विभाग की महिला कर्मचारियों ने उनसे अनुरोध किया, केवल तब वे रुके। इसके बाद उन्होंने सभी अधिकरियों को समझाया और पूरे दफ्तर को दो दिनों के भीतर साफ करने का निर्देश दिया।
शायद इस आईएएस अधिकारी ने जो किया, उसके बारे में सबसे प्रेरणादायक बात यह थी कि उन्होंने कोई उपदेश नहीं दिया था बल्कि उनका एक कदम ही अधिकारियों के प्रति निराशा व्यक्त करने के लिए काफी था। वैसे तो अब विभाग को दो दिन में साफ़ हो जाना चाहिए, लेकिन फिर भी आस्तिक ने जो मूल पाठ इन लोगों को पढ़ाया वह इन्हें जीवन भर याद रहेगा।