उत्तर-प्रदेश की संगमनगरी इलाहाबाद में 15 जनवरी 2019 से गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की मिलन स्थली संगम तट पर श्रद्धा व समर्पण का प्रतीक कुंभ मेले की शुरुआत होगी। इस मेले का समापन 4 मार्च, 2019 को होगा।
और पहली बार किन्नर अखाडा लगभग 2, 500 सन्यासी और संतों के साथ इस मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि इनकी पेशवाई भी निकलेगी।
दरअसल, कुंभ मेला क्षेत्र में अखाड़ों का प्रवेश धूम-धाम से होता है। इसे पेशवाई कहा जाता है। अब तक सिर्फ 13 अखाड़ों को ही अखाड़ा परिषद ने मान्यता दी है और इनकी ही पेशवाई निकलती रही है। इनमें किन्नर अखाड़ा शामिल नहीं है। लेकिन इस बार किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि किन्नर अखाड़ा इस बार कुम्भ मेले में पहुंच कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करेगा।
साथ ही, आम लोगों को किन्नर समाज के बारे में जागरूक किया जायेगा। “चूंकि देश के विभिन्न हिस्सों से ट्रांसजेंडर लोग कुंभ के दौरान आएंगे, हमारा उद्देश्य इस समुदाय को एकजुट करना है, उनके मुद्दों को हल करना, उनके बारे में गलत धारणाओं को खत्म करना, लोगों को उनके अधिकारों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले (धारा 377 को रद्द करना) के बारे में सूचित करना होगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे बताया कि वे केएमए के अधिकारीयों से बातचीत कर रहे हैं ताकि उन्हें कुम्भ के मेले में आखाड़े के लिए पर्याप्त जगह मिल सके और जल्द ही वे इस संबंध में इलाहाबाद डिवीजन के कमिश्नर से मिलेंगे। हालांकि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने किसी भी अन्य 14वें अखाड़े को परिषद में शामिल करने से मना कर दिया है।
कुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने कहा कि केएमए नवंबर-दिसंबर से शिविर स्थापित करने के लिए भूमि आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। यदि किन्नर अखाड़ा के सदस्य अधिकारियों से संपर्क करते हैं, तो उनके अनुरोध पर सकारत्मक रूप से विचार किया जायेगा।