मुंबई में टैक्सी चलाने वाले (Mumbai Taxi Driver) मोहम्मद फारुख शेख दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुके थे! पर अपने बेटे को देख उनमें भी ग्रेजुएशन करने की इच्छा जागी!
कॉलेज में उनके सहपाठी व शिक्षक सब उन्हें ‘अंकल’ कहते थे। लेकिन फिर भी अपने बेटे की उम्र के शिक्षकों से पढ़ने में उन्हें (Mumbai Taxi driver) कोई हिचकिचाहट नहीं हुई।
मोहम्मद फारुख शेख ने ये सब टैक्सी चलाने के साथ साथ किया। दसवीं तक की पढ़ाई भी जहाँ एक संघर्ष से कम नहीं था, वहीं ग्रेजुएशन करने का उनका फैसला सबको काफी मुश्किल लगा। लेकिन उनके बेटे ने उनका हौसला बढ़ाया और अपने बेटे के दिए हौसले की बदौलत मोहम्मद फारुख शेख ने ग्रेजुएशन भी अपने बेटे के साथ करने का फैसला किया। शुरू में कई मुसीबतें आयीं, दिक्कतें हुईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। टैक्सी चलाकर, पैसे कमाकर, अपने घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ उठाकर भी उन्होंने यह कर दिखाया।
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