मुंबई ऑटो रिक्शा चालकों ने एक बन्दर की जान बचायी। इस बन्दर को इलेक्ट्रिक शॉक लगने के कारण बहुत गहरी चोट आई थी। इस बेज़ुबान जीव को इतने दुःख और दर्द में देख, ये रिक्शा चालक खुद को उसकी मदद करने से रोक नहीं पाए और तुरंत अपना दिन भर का काम छोड़ कर बन्दर को जानवरों के डॉक्टर के पास लेकर गये।
मानखुर्द के निवासी, 23 वर्षीय ऑटो-ड्राईवर दिलीप राय ने बताया कि उन्होंने इस बन्दर को सबसे पहले इस इलाके में नवम्बर, 2018 में देखा था। ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास एक साईं बाबा मंदिर है और वहीं एक पेड़ को उसने अपना ठिकाना बनाया हुआ था। बहुत बार ये लोग उसे फल भी खिलाते थे। तीन दिन पहले यह बन्दर कहीं गायब हो गया था। पर बीते मंगलवार की सुबह यह फिर से मंदिर के पास दिखा।
राय ने आगे बताया कि बन्दर को देखकर ही समझ आ गया कि वह बुरी तरह से जल गया है और वह चल भी नहीं पा रहा था। तब राय ने इसके बारे में अपने दोस्तों, शिराज़ खान, महेश गुप्ता और शभाजीत राय से बात की। इन चारों दोस्तों ने फ़ैसला किया कि वे इसे किसी जानवरों के डॉक्टर के पास ले जायेंगें।
इन्टरनेट पर तलाश करने पर उन्हें वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉ. रीना देव का नंबर और पता मिला और वे तुरंत इस बन्दर को लेकर डॉक्टर के यहाँ पहुँचे। बन्दर को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए ये लोग 14 किलोमीटर दूर बांद्रा गये और इसके लिए इन्होंने पूरे दिन के लिए अपने काम को छोड़ा। एक पूरा दिन काम न करना किसी भी ऑटो ड्राईवर के लिए बड़ी बात है; क्योंकि इससे उनकी कमाई पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है।
डॉ. देव इन चारों की इंसानियत देख काफ़ी प्रभावित हुईं। उन्होंने बताया कि चारों दोस्त अपना सारा काम छोड़ बन्दर को लेकर आये। वे उसे मेरे पास छोड़कर ही नहीं चले गये; जैसा कि ज़्यादातर मामलों में होता है। बल्कि, चारों ने उसका इलाज करने में मेरी काफ़ी मदद की।
अभी बन्दर की हालत में सुधार आ रहा है। राय और उसके दोस्त इस बन्दर को ठाणे के वन्यजीव वार्डन और मुलुंड में रेसकिंक एसोसिएशन फॉर वाइल्डलाइफ वेलफेयर (RAWW) के अध्यक्ष पवन शर्मा के पास भी लेकर गये। शर्मा ने कहा कि नागरिकों के इस तरह के कामों की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि यह जानवरों के लिए प्यार और करुणा भाव जागृत करने में मदद करता है।
संपादन – मानबी कटोच