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COVID-19: क्या मकान-मालिक आपको किराया देने या घर खाली करने के लिए मजबूर कर रहे हैं?

गुरुग्राम में रहने वाली संगीता ( बदला हुआ नाम ) ने 30 मार्च, 2020 को अपनी घरेलू सहायिका को फोन किया। संगीता ने उससे घर आकर अपना वेतन ले जाने के लिए कहा। संगीता की घरेलू सहायिका का घर उनकी बिल्डिंग के पास ही है। थोड़ा झिझकते हुए उसने संगीता को बताया कि वहां रहने वाले सभी लोगों को घर खाली करने के लिए कहा गया है और अब वे सभी इस उपाय में लगे हैं कि किस तरह पश्चिम बंगाल में अपने गांव तक पहुंचा जाए।

उसने संगीता को बताया कि मकान मालिक को डर है कि घरेलू कर्मचारी वायरस के वाहक बन सकते हैं और इसलिए उन्होंने सबको घर खाली करने के लिए कहा है।

हालांकि, गुरुग्राम के नगर निगम ने पहले ही एक ट्वीट के ज़रिए बताया था कि एक महीने तक मकान-मालिक किराए की मांग नहीं करेंगे। ट्वीट में कहा गया था, “प्रवासी श्रमिक, छात्रों, चिकित्सा सहायकों आदि से मकान मालिक एक महीने की अवधि के लिए किराए के भुगतान की मांग नहीं करेंगे। यदि कोई मकान मालिक किरायेदारों को घर खाली करने के लिए मजबूर कर रहा है, तो उन पर सख्त आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।”

संगीता ने अपने एक वकील दोस्त से संपर्क किया और उन्हें पता चला कि इस लॉकडाउन अवधि के दौरान किसी से भी घर खाली करने के लिए कहना अवैध है और इसे चुनौती दी जा सकती है।

दरअसल यह मामला केवल गुरुग्राम का ही नहीं है। पूरे देश भर से ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं और यदि आपको लगता है कि घर से निकाले जाने का डर केवल प्रवासी श्रमिकों और घरेलू कर्मचारियों को सता रहा है, तो यह आपकी गलतफहमी है।

एक एयरलाइन के साथ काम करने वाली युवती से उसके मकान-मालिक ने 28 मार्च 2020 को घर खाली करने के लिए कहा। बेंगलुरु के कोठानुर में रहने वाली इस युवती का रेंट एग्रिमेंट हाल ही में समाप्त हुआ था। उससे मकान खाली करने के लिए तब कहा गया जब सभी उड़ान संचालन को निलंबित कर दिया गया है।

उसके अकाउंट में वेतन भी नहीं आया था और वह अपनी बचत से किसी तरह काम चला रही थी। इनके जैसे कई लोगों को लॉकडाउन के कारण नया ठिकाना ढ़ूंढ़ने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पूरे देश भर से ऐसी कितनी ही घटनाएं सामने आ रही हैं जहां कोविड-19 से फैले दहशत के कारण डॉक्टरों, चिकित्सा सहायकों और सफाई कर्मचारियों को अपने ही पड़ोसियों द्वारा दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।

इन घटनाओं को देखते हुए, गृह मंत्रालय ने 29 मार्च 2020 के एक आदेश में ये बातें कही हैं:

1. प्रवासियों सहित सभी श्रमिक जहां कहीं भी किराए के घर में रह रहे हैं, वहां मकान-मालिक एक महीने की अवधि के लिए किराए के भुगतान की मांग नहीं करेंगे।

2. यदि कोई मकान मालिक मजदूरों और छात्रों को अपना घर खाली करने के लिए मजबूर कर रहा है, तो उन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाते हुए तेलंगाना के महबूबनगर की जिला पुलिस प्रमुख, आईपीएस अधिकारी रेमा राजेश्वरी, कहती हैं, “यह हम सभी के लिए एक साथ खड़े होने और महामारी से लड़ने का समय है। ऐसे संकट के समय असहाय नागरिकों को परेशान करने का वक्त नहीं है। इस तरह की घटनाओं की सूचना मिलने पर पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है।”

बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने भी एक ट्वीट के ज़रिए निवासियों से कहा है कि अगर किसी को भी मकान-मालिक परेशान कर रहा है तो वे उनसे और उनके कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि पीजी मालिकों और मकान-मालिकों को सोशल मीडिया और लिखित संचार के माध्यम से सख्त निर्देश जारी किए गए हैं और किरायेदारों को परेशान न करने के लिए कहा गया है।

कैसे करें शिकायत दर्ज?

1. पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत देनी होगी।

2. शिकायत में निम्नलिखित विवरण होना चाहिए – शिकायतकर्ता का नाम, पता, मकान मालिक का विवरण, शिकायत का सारांश और आवश्यक मदद।

3. अगर पीड़ित व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायत पोस्ट कर रहा है, तो उसमें में पूरा विवरण बताया जाना चाहिए।

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अगर आप कर्नाटक में रह रहे हैं, तो आप इनमें से किसी भी टोल-फ्री नंबर पर कॉल कर सकते हैं – 104/080-46848600, 080 66692000, 9745697456.

मूल लेख – विद्या राजा 


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