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ऑटों को सुनसान सड़क पर जाते देख इन युवकों ने पीछा कर, बचाई एक युवती की इज्ज़त!

प्रतीकात्मक तस्वीर

श्चिम बंगाल के तीन युवक अजय नस्कर, जलाल अली मोल्लाह और शाबेद अली मोल्लाह ने जो हिम्मत का काम कर दिखाया है, वह आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है।

हाल ही में, ये तीनों दोस्त शाम को कोलकाता के न्यू टाउन में घूम रहे थे। लेकिन इसके साथ ही अगर वे थोड़े से भी सतर्क न होते तो शायद आज हम एक और निर्दोष लड़की के रेप की खबर पढ़ रहे होते।

दरअसल, इन तीनों ने एक 28 वर्षीय लड़की को एक ऑटो ड्राइवर के चुंगल से निकाल कर उसकी जान बचाई।

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक ख़बर के मुताबिक, नस्कर शाम को टहल रहा था, जब उसने एक ऑटो को एक ऐसी जगह की तरफ जाते हुए देखा जो कि बिल्कुल सुनसान थी। “मुझे थोड़ा संदेह हुआ और जब मैंने ऑटो से किसी औरत की दबी हुई रोने की आवाज़ सुनी तो मैं और भी सतर्क हो गया। मैं तुरंत चाय स्टॉल के पास आया और अपने दोस्तों को यह बात बताई,” नस्कर ने कहा।

हालांकि, एक दोस्त ने कहा कि शायद उसने किसी जानवर की आवाज़ सुनी हो, पर नस्कर ने ऑटो का पीछा कर, एक बार चेक करने पर ज़ोर दिया।

“अगर इन तीनों युवकों ने इस बात को नजरंदाज कर दिया होता और छानबीन न की होती तो शायद वह ऑटो-ड्राईवर उस लड़की की जान ही ले लेता।”

ये तीनों दोस्त ऑटो के पीछे गये और वहां जाकर ऑटो ड्राईवर को इस लड़की से छेड़खानी करते हुए पाया। उन्होंने ड्राईवर को तुरंत पकड़ लिया और उसे ऑटो से बाहर निकाला।

नस्कर ने कहा, “मैंने उसे पकड़े रखा और उसे धमकाया ताकि वह भाग न निकले।”

हालांकि, ऑटो ड्राईवर ने इस बात को दबाने की कोशिश की और कहा कि किराये को लेकर वह उस लड़की से बहस कर रहा था। लेकिन लड़की की हालत देखकर इन तीनों को समझ में आ गया कि ड्राईवर झूठ बोल रहा है।

वह लड़की बहुत बुरी हालत में थी और खांस रही थी क्योंकि ड्राईवर ने उसका गला दबाने की कोशिश की थी। उसने जैसे-तैसे अपनी कहानी बताई। ड्राईवर ने इनसे इस मामले को कुछ सौदा करके रफा-दफा करने के लिए भी कहा। पर इन तीनों ने उसकी बात को नकार कर तुरंत न्यू टाउन पुलिस को इस घटना की जानकारी दी।

शाबेद ने बताया, “मैंने उससे कहा कि हम बेशक गरीब हैं पर हम कानून की इज्ज़त करते हैं। मैंने न्यू टाउन पुलिस स्टेशन फ़ोन किया और एक एएसई के साथ एक सब-इंस्पेक्टर तुरंत पहुंचे। पुलिस ने हमसे गवाही देने के लिए पूछ तो हम ने तुरंत हाँ कर दी। आखिरकार, यह हमारी भी जिम्मेदारी है।”

मूल लेख: विद्या राजा

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