आधुनिक घरों में इस्तेमाल होने वाले नॉन-स्टिक या फिर एल्मुनियम के बर्तन भले ही आपकी किचन की खूबसूरती बढ़ाएं लेकिन इनमें खाना पकाना आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। सबसे पहले तो नॉन-स्टिक परत के लिए इस्तेमाल हुआ पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलीन बहुत ही हानिकारक है। दूसरी तरफ, एल्मुनियम भी स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आप सुरक्षित रूप से खाना पकाएं जिससे आपका खाना सभी तरह के सिंथेटिक से बचा रहे।
इन बर्तनों के विकल्प आपको आज भी बहुत-से घरों में मिल जाएंगे जैसे स्टील, लोहे और मिट्टी के बर्तन। आजकल स्टील और लोहे के बर्तन तो फिर भी बाज़ारों में मिल जाते हैं लेकिन मिट्टी के बर्तन हर जगह नहीं मिलते। इसकी वजह भी हम लोगों से ही जुड़ी हुई है। आधुनिकता के चक्कर में लोगों ने मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करना बंद कर दिया और इस वजह से इन्हें बनाने वाले कारीगर, जिन्हें कुम्हार कहते हैं, वह भी इस काम से दूर हो गए। क्योंकि अब उन्हें अपना घर तो चलाना ही है, इसलिए वो दूसरे व्यवसायों से जुड़ने लगे।
लेकिन वक़्त के साथ अब लोगों को समझ आ रहा है कि आधुनिकता के चक्कर में हम अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। जो सही नहीं है। इसलिए एक बार फिर लोग अपने परंपरागत तरीकों की तरफ लौटने लगे हैं और मिट्टी के बर्तन खरीद रहे हैं। छोटे शहरों और गांवों में तो फिर भी आसपास मिट्टी के बर्तन मिलना आसान है लेकिन बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
आज द बेटर इंडिया आपको बता रहा है कि आप ऑनलाइन कहाँ से ये बर्तन खरीद सकते हैं। सबसे अच्छी बात है कि मिट्टी के बर्तन खरीदकर आप खुद तो एक बेहतर कदम बढ़ाते ही हैं, साथ ही आपकी एक खरीद से कारीगरों को भी सपोर्ट मिलता है।
सेहत से भरपूर हैं मिट्टी के बर्तन:
*मिट्टी के बर्तन पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और बायोडिग्रेडेबल भी। इनसे प्रकृति को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है।
*मिट्टी के बर्तनों की प्रकृति एल्कलाइन है, जिस वजह से ये खाने के पीएच लेवल को बैलेंस करते हैं।
*साथ ही, नॉन-स्टिक बर्तनों की तुलना में ये सस्ते भी होते हैं।
कहाँ से खरीद सकते हैं मिट्टी के बर्तन:
1. मिट्टीकूल:
मिट्टीकूल की शुरुआत गुजरात के मनसुखभाई प्रजापति ने की और वह मिट्टी के बर्तनों से लेकर बिना बिजली चलने वाला मिट्टी का फ्रिज तक भी बना रहे हैं। कुम्हार परिवार में जन्मे मनसुख का परिवार कभी नहीं चाहता था कि वह मिट्टी का काम करें क्योंकि इसमें कुछ नहीं बचता था। पर मनसुख भाई ने नए-नए आइडियाज लगाकर उन्नत किस्म के बर्तन और दूसरी चीजें बनाईं। उनकी राह मुश्किल थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
आज न सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनका नाम है। मिट्टीकूल के ज़रिये उन्होंने बहुत से कुम्हारों को रोज़गार भी दिया हुआ है।
मिट्टीकूल से आप सभी तरह के बर्तन जैसे तवा, गिलास, प्लेट, हांडी, वॉटर जग, बोतल आदि खरीद सकते हैं। साथ ही, उनका फ्रिज भी काफी मशहूर है। मिट्टीकूल के बर्तन खरीदने के लिए यहां क्लिक करें: https://mitticool.com/
2. राजेंद्र क्ले हेंडीक्राफ्ट:
राजेंद्र प्रसाद प्रजापति साल 1990 से मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं। उन्होंने अपना व्यवसाय तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की मदद से शुरू किया था। हरियाणा के भोंडसी में स्थित भारत यात्रा केंद्र में उनकी दुकान है। उनके यहाँ से आप अपनी रसोई के लिए हर तरह के बर्तन ले सकते हैं, कढ़ाई, हांडी से लेकर फ्राई पैन तक।
राजेंद्र सभी बर्तन खुद बनाते हैं और इसमें उनका परिवार उनका पूरा सहयोग करता है। वक़्त की मांग को समझते हुए राजेंद्र ने बहुत-से नए-नए आइटम बनाना भी शुरू किया है जैसे केतली, जग, बोतल आदि। उनकी वेबसाइट पर आप विस्तार से उनके बर्तनों को देख सकते हैं। राजेंद्र ने अपना एक यूट्यूब चैनल भी बनाया हुआ है, जिस पर वह अपने बर्तनों के बारे में बताते हैं और साथ ही, यह भी बताते हैं कि इन्हें इस्तेमाल कैसे करना है?
राजेंद्र के यहाँ से आप ऑनलाइन बर्तन खरीद सकते हैं और अगर आप गुरुग्राम के पास किसी शहर में रहते हैं तो उनकी दुकान पर भी जा सकते हैं! यहाँ क्लिक करें!
3. ज़िस्ता कुकवेयर:
बेंगलूरू में स्थित ज़िस्ता कुकवेयर की शुरुआत तीन लोगों ने मिलकर की- आर्चिश माधवन, मीरा रामाकृष्णन और वरिश्ता संपत ने। इसके पीछे उनका उद्देश्य दिन-प्रतिदिन खत्म हो रही भारत के पारंपरिक ज्ञान और चीजों को सहेजना है।
ज़िस्ता के ज़रिए उन्होंने देश भर में 80 से ज्यादा कारीगरों को काम दिया है। साथ ही, ये लोगों तक पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल बर्तन पहुंचा रहे हैं। ज़िस्ता कुकवेयर से आप लोहे और सोपस्टोन से बने बर्तनों के अलावा मिट्टी से बने बर्तन भी खरीद सकते हैं।
यहाँ से आप कढ़ाई, हांडी और जग के साथ-साथ चावल पकाने के लिए खासतौर पर तैयार पॉट भी खरीद सकते हैं। यह पॉट एक ख़ास तरह के ढक्कन के साथ आता है, जिसमें छेद करके इसे स्ट्रेनर का रूप दिया गया है।
आज ही ये बर्तन खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें!
4. माटीसुंग:
दिल्ली में स्थित मिट्टीसुंग एंटरप्राइज की स्थापना नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित कारीगर दुलीचंद प्रजापति के बेटे राज प्रजापति ने की। दुलीचंद 40 से भी ज्यादा सालों से मिट्टी का काम कर रहे हैं।
दुलीचंद ने 9 फीट की वाइन बोतल, 4 फीट का वाइन गिलास, 21 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ एक पॉट आदि भी बनाया है। उनके काम और उनकी सोच को देखकर राज ने सोचा कि क्यों न उनकी विरासत को देश-दुनिया तक पहुँचाया जाए और उन्होंने माटीसुंग की शुरुआत की।
बोतल, कटोरी, गिलास, हांडी-कढ़ाई आदि बनाने के साथ-साथ माटीसुंग से आप मिट्टी का कुकर भी खरीद सकते हैं। उन्होंने चपाती रखने वाला डिब्बा और इडली मेकर भी बनाया है। उनके यहाँ से आप बल्क में भी ऑर्डर कर सकते हैं।
आज ही मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें!
5. क्ले हॉट पॉट:
मिट्टी के बर्तन खरीदने के लिए आप क्ले हॉट पॉट भी देख सकते हैं। यहाँ से आप प्लेट-कटोरी, गिलास आदि के साथ-साथ बिरयानी हांडी, टिफ़िन आदि भी खरीद सकते हैं। अगर आप अपने घर के लिए मिट्टी का चूल्हा खरीदना चाहते हैं तो वह भी खरीद सकते हैं। यहाँ पर क्लिक करें!
कैसे करें इस्तेमाल:
- मिट्टी के बर्तन खरीदने के बाद सबसे पहले आप उन्हें कम से कम एक दिन तक पानी में भिगोकर रखें।
- इसके बाद इन्हें सुखाकर इस्तेमाल करें।
- हर रोज़ खाना पकाने से पहले लगभग 15-20 मिनट के लिए भी आप बर्तनों को पानी में भिगोकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कभी भी बहुत तेज आंच पर न पकाएं। हमेशा आंच कम या फिर मध्यम स्तर की रखें
- खाना पकने के बाद बर्तन को सीधा स्लैब पर न रखें बल्कि इसे रखने से ठंडा होने दें या फिर आप किसी कपड़े के ऊपर इसे रख सकते हैं।
- मिट्टी के बर्तनों को धोने के लिए आप साबुन या फिर डिशवॉश लिक्विड का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसके लिए आपको राख, मिट्टी या फिर बेकिंग पाउडर का इस्तेमाल करना होगा।
- स्टील आदि के बर्तनों के लिए इस्तेमाल होने वाले स्क्रब की बजाय आप नारियल के छिलकों से बने स्क्रब इस्तेमाल कर सकते हैं। यह भी आपको ऑनलाइन मिल जाएगा।
- बर्तन को धोने के बाद अच्छे से सूखने दें, इसके बाद ही स्टोर में रखें।
वीडियो देखें:
मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव करना पड़ेगा, लेकिन यकीन मानिए यह बदलाव आपको एक बेहतर कल की तरफ ही ले जाएगा!