Site icon The Better India – Hindi

कोरोना हीरोज़: घर बैठे 4, 500 शिक्षकों को दी ऑनलाइन पढ़ाने की ट्रेनिंग!

देशभर में लॉकडाउन की वजह से स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं। ऐसे में, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। हालांकि, बहुत से स्कूलों ने इस दौरान तकनीक की मदद से बच्चों से जुड़ना शुरू किया है। लेकिन सरकारी स्कूलों और अन्य छोटे स्कूलों के लिए यह स्थिति किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि यहाँ पढ़ने आने वाले छात्र जिस तबके से आते हैं, वहां एक स्मार्ट फोन होना ही बहुत बड़ी बात है। इससे भी ज्यादा ज़रूरी है कि इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपने छात्रों को लेकर कितने ज़िम्मेदार हैं और वे खुद कितना ज्ञान के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना जानते हैं।

हमारे यहाँ शिक्षकों को भी नियमित तौर पर कोई तकनीकी ट्रेनिंग नहीं कराई जाती है। इसलिए अभी इन शिक्षकों के लिए भी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना बहुत मुश्किल हो रहा है। लेकिन महाराष्ट्र के सोलापुर का एक शिक्षक, अन्य शिक्षकों की इस समस्या को बहुत हद तक हल कर रहा है। इनका नाम है राजकिरण चव्हाण। वे श्रीसमर्थ विद्या मंदिर में पिछले 14 सालों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

द बेटर इंडिया को राजकिरण ने बताया, “मुझे हमेशा से ही यह शौक रहा कि हम तकनीक को बेहतर शिक्षा के लिए इस्तेमाल करें। इसलिए मैं हमेशा खुद ही कुछ न कुछ सीखता रहता। साथ ही, अपने छात्रों को भी मैंने तकनीक का इस्तेमाल करना सिखाया है। मेरा अपना एक ब्लॉग भी है जिस पर मैं मराठी भाषा में कंटेंट डालता हूँ।जब लॉकडाउन हुआ तो ऑनलाइन शिक्षा ही एक विकल्प है और मुझे बहुत से लोगों ने सम्पर्क किया कि वे कैसे बच्चों को पढ़ा सकते हैं।”

Rajkiran Chavan, Teacher

इसके बाद, राजकिरण ने अपने स्तर पर शिक्षकों को टेक-फ्रेंडली बनाने के लिए पहले 8 दिन का ट्रेनिंग शेड्यूल बनाया। जब उन्हें काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली तो उन्होंने इस ट्रेनिंग को 15 दिन का कर दिया। जिसमें उन्होंने अलग-अलग टॉपिक्स पर शिक्षकों को ट्रेनिंग दी। जिनमें, एनिमेटेड पीपीटी बनाना, हाइपरलिंक्स का इस्तेमाल करना, स्मार्टपीडीऍफ़, वोइस टाइपिंग, गूगल कीप एप, जिफ फाइल, मोबाइल से प्रभावी वीडियो कैसे बनाएं, गूगल फॉर्म्स, एक्सेल शीट, क्यूआर कोड कैसे बनाएं, गूगल ड्राइव में कैसे रिकॉर्ड मेन्टेन कर सकते हैं और कैसे बच्चों की ई-परीक्षा ली जा सकती है- जैसे विषय शामिल हैं।

राजकिरण कहते हैं कि तकनीक का इस्तेमाल तो कोई भी कर सकता है, लेकिन शिक्षकों को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि वो जो भी ऑनलाइन कंटेंट तैयार कर रहे हैं बच्चों के लिए, उन्हें वह पढ़ने में मजा आए।

राजकिरण अपने ब्लॉग, फेसबुक लाइव और यूट्यूब के माध्यम से शिक्षकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। अब तक 4, 500 शिक्षक उनके इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा बन चुके हैं। उनके प्रयासों और प्रभाव को देखकर उन्हें महाराष्ट्र की सर फाउंडेशन का सहयोग मिला है, जो और भी शिक्षकों को उनसे जोड़ रही है। फ़िलहाल, वह मराठी माध्यम में ट्रेनिंग दे रहे हैं लेकिन यदि कोई हिंदी में भी उनसे ट्रेनिंग लेना चाहता है तो उन्हें ख़ुशी ही होगी।

“मुझे ख़ुशी है कि मेरा ज्ञान इतने लोगों के काम आ रहा है। आज की ज़रूरत यही है कि हम जितने भी छात्रों तक पहुँच सकते हैं हमें पहुंचना चहिये। खासकर कि थोड़े पिछड़े तबकों के बच्चे। जिनके भी माता-पिता के फ़ोन नंबर आपके पास हैं और आपको पता है कि उनके घर में कम से कम स्मार्ट फोन है तो उनसे बात करें और उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करें,” उन्होंने बताया।

राजकिरण बताते हैं कि वह जिस स्कूल में पढ़ाते हैं उसमें ज़्यादातर छात्र निम्न-वर्गीय परिवारों से ही आते हैं। इन परिवारों में माता-पिता रोजगार की जद्दोजहद में बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। इसलिए स्कूल में बच्चे नियमित नहीं आते। लेकिन उन्होंने अपने स्तर पर बच्चों के अभिभावकों से जुड़ने की सोची और यह मुमकिन हो पाया फेसबुक के माध्यम से। वह कहते हैं कि फेसबुक पर आजकल हर तबके के लोग होते हैं और इसलिए उन्होंने फेसबुक लाइव के माध्यम से उनको प्रेरित किया।

“मुझे मेरे इस प्रोग्राम के लिए दो साल पहले आईआईएम अहमदाबाद से सम्मान भी मिला था। मेरी कोशिश यही है कि सिर्फ शिक्षक हर तरह की परिस्थितियों के लिए तैयार रहें। मुझसे बहुत से शिक्षक कहते थे कि इन सब चीजों के लिए वक़्त ही नहीं हो पाता है स्कूल में और भी बहुत से काम होते हैं। लेकिन मैं उनसे यही कहता कि जिस दिन तकनीक के ज़रिए काम करेंगे उस दिन काम जल्दी होगा और आपके पास कुछ नया सीखने के लिए वक़्त भी होगा,” उन्होंने कहा।

यह भी पढ़ें: कोरोना हीरोज़: लॉकडाउन में बेज़ुबानों का सहारा!

आप राजकिरण चव्हाण से उनके ब्लॉग और यूट्यूब के माध्यम से जुड़ सकते हैं। यदि आप हिंदी भाषी हैं और आप चाहते हैं कि वे आपको हिंदी में ट्रेनिंग दें तब भी आप उनसे 7774883388 पर संपर्क करके बात कर सकते हैं!


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Exit mobile version