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#DIY Soap: घर पर बनाइए अपना ऑर्गनिक साबुन, आपकी स्किन और पर्यावरण दोनों के लिए सुरक्षित

हैदराबाद में रहने वाले सिद्धार्थ मिश्रा डेंटल सर्जन हैं और इसके साथ ही, उन्होंने पब्लिक हेल्थ में MBA किया है। फ़िलहाल, वह एक अच्छी फार्मा कंपनी में बतौर मैनेजर काम कर रहे हैं। सिद्धार्थ बताते हैं कि साल 2014 में वह बेंगलुरु में थे और वहां बेलान्दुर झील के पास ही सोसाइटी में रहते थे। अक्सर वह झील को झाग से भरा हुआ पाते और कई बार उसमें से धुंआ भी उठते देखते थे। इस बारे में जब उन्होंने रिसर्च किया तो उन्हें समझ में आया कि यह सब झील में जाने वाले प्रदूषित पानी के कारण है।

खास तौर पर, लोगों के बाथरूम से जाने वाले साबुन और शैम्पू का पानी। यह हम सब जानते हैं कि केमिकल से भरे साबुन, शैम्पू, डिटर्जेंट और क्लीनर्स हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। और अगर किसी को इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखना है तो बेंगलुरु की इस झील को देखे। यहाँ से सिद्धार्थ की एक सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली लाइफस्टाइल की शुरुआत हुई। उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजों के पर्यावरण पर गलत प्रभावों को समझा और फिर धीरे-धीरे अपनी ज़िंदगी में परिवर्तन करना शुरू किया।

उन्होंने घर के गीले कचरे से कंपोस्टिंग शुरू की और क्लीनर्स की जगह बायो एंजाइम बनाना शुरू किया। लोकल स्टोर्स से जूट के बैग्स में शॉपिंग करके, उन्होंने पॉलिथीन पर भी अपनी निर्भरता को बहुत हद तक कम किया है। इस सबके साथ-साथ सिद्धार्थ अपने घर पर ही ऑर्गनिक और प्राकृतिक साबुन भी बना रहे हैं।

Home Made Soaps

वह कहते हैं कि अगर कोई सही प्रक्रिया से पूरी देख-रेख के साथ साबुन बनाए तो यह काफी अच्छी प्रैक्टिस होगी। उन्होंने अप्रैल 2019 से खुद घर पर साबुन बनाना शुरू किया और उन्हें इसके काफी अच्छे नतीजे मिले हैं। “मुझे स्किन पर रैशेस और दाग-धब्बे होने लगे थे। स्पेशलिस्ट को दिखाया तो उन्होंने कहा कि यह गर्मी की वजह से है। लेकिन जब से मैंने घर पर बनाए अपने खुद के साबुन स्किन के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया है, तब से यह समस्या बिल्कुल खत्म हो गई है,” उन्होंने बताया।

अपने डेढ़ वर्ष के अनुभव के आधार पर सिद्धार्थ सलाह देते हैं कि हर किसी को कम से कम एक बार तो साबुन बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आपको थोड़ी सतर्कता की ज़रूरत है लेकिन डरने की बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि दो-तीन ट्रायल्स के बाद आपको खुद अपना साबुन बनाने का आत्म-विश्वास आ जाएगा।

आज द बेटर इंडिया के साथ सिद्धार्थ साझा कर रहे हैं घर पर ही ऑर्गनिक और प्राकृतिक साबुन बनाने की प्रक्रिया!

क्या-क्या चाहिए:

1. फैट: इसके लिए आप नारियल का तेल, ऑलिव आयल, शिया बटर, कोका बटर या फिर वनस्पति घी भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
2. लाइ/Lye या सोडियम हाइड्रोऑक्साइड: यह एक अल्कली (NaOH) है, जो साबुन बनाने की प्रक्रिया को शुरू करता है। आप किसी हार्डवेयर स्टोर से यह खरीद सकते हैं या फिर ऑनलाइन पोर्टल जैसे अमेज़न/फ्लिप्कार्ट से भी खरीद सकते हैं।
3. पानी: अच्छा होगा अगर आप डिस्टिल्ड पानी इस्तेमाल करेंगे।
4. खुशबू के लिए एसेंशियल ऑयल्स: कोशिश करें कि आप प्राकृतिक ऑयल्स ही लें।
5. रंग के लिए आप प्राकृतिक चीजें जैसे हल्दी, पुदीना, नीम, गुलाब, कॉफ़ी, मुल्तानी मिट्टी या चंदन आदि इस्तेमाल कर सकते हैं।
6. कुछ अन्य चीजें जैसे मापने के लिए कप, स्केल, काँच की कटोरी लाइ और पानी को मिलाने के लिए, मिलाने के लिए कलछी (सिलिकॉन वाली अच्छी रहेगी) और अगर आपके पास ब्लेंडर हो तो वो भी लाइ और अन्य चीजों को मिक्स करने के लिए अच्छा विकल्प है।

इस सबके अलावा आपको साबुन बनाते समय दस्ताने पहनने चाहिएं और चशमे भी लगाने चाहिएं।

कैसे बनाएं:

सिद्धार्थ कहते हैं कि मोल्ड्स के लिए आप चाहें तो दूध आदि के टेट्रा पैक को काटकर या फिर आइस-क्रीम कप आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन याद रहे कि ऐसा कुछ न लें जो रिएक्शन कर सकता है। अगर आपका मोल्ड प्लास्टिक या स्टील का है तो इसमें पहले वेसिलीन लगा लें चारों तरफ और फिर सॉप सोल्यूशन डाले। बाकी आप बाज़ार में मिलने वाले मोल्ड भी ले सकते हैं।

“साबुन को मोल्ड से निकालें और इस पर हल्का-सा पानी डालकर इसे रब करें। अब साबुन पर एक पीएच स्ट्रिप लगाएं। अगर पीएच रीडिंग 6 से 10 के बीच है तो मतलब साबुन बिल्कुल सही है और आप इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर यह रीडिंग इससे ऊपर है तो आप दो हफ्ते के लिए साबुन को रख दें और फिर दो हफ्ते बाद चेक करें। दो हफ्ते में यह रीडिंग कम हो जानी चाहिए। लेकिन अगर रीडिंग फिर भी कम नहीं होती है तो आप इस साबुन को इस्तेमाल नहीं कर सकते। क्योंकि इसका मतलब है कि आपसे शुरुआत में सभी चीजों की मात्रा में कोई गड़बड़ी हुई है,” सिद्धार्थ ने कहा।

इन बातों का रखें ख्याल:

इसके साथ-साथ वह यह भी कहते हैं कि साबुन बनाना बहुत बड़ा काम नहीं है। आप जितनी बार कोशिश करते हैं, उतना ही अच्छा होते चले जाते हैं। धीरे-धीरे आपको सभी चीजों का सही मात्रा भी पता चल जाती है। इसलिए डरने की ज़रूरत नहीं है बस थोड़ा ध्यान रखने की ज़रूरत है।

“बाकी कुछ लोग कहते हैं कि लाइ साबुन में होता ही है तो यह प्राकृतिक कैसे हुआ। लेकिन लाइ साबुन बनाने की प्रक्रिया में बिल्कुल खत्म हो जाता है और आपके फाइनल प्रोडक्ट में 0% लाइ बचता है। इसलिए घर पर सही तरीके से बनाया गया साबुन प्राकृतिक ही होता है,” उन्होंने आगे कहा।

अगर स्टोर करने की बात करें तो उनके मुताबिक, ऑयल्स से बने साबुन को आप एक-डेढ़ साल तक स्टोर कर सकते हैं। वहीं मिल्क से बने साबुन को आप 8 से 10 महीने तक स्टोर कर सकते हैं। साबुन को आप किसी डार्क और कम तापमान वाली जगह में स्टोर कर सकते हैं। इसके साथ-साथ, वह कहते हैं कि अगर कोई साबुन बनाने के बारे में अच्छे से जानना चाहता है तो Anne L Watson की Smart Soapmaking: The Simple Guide to Making Soap Quickly, Safely, and Reliably किताब भी पढ़ सकता है।

अंत में वह बस इतना कहते हैं कि जब तक आप कोशिश नहीं करेंगे आपको पता नहीं चलेगा कि साबुन बनाना काफी आसान है। अक्सर लोग डराते हैं कि लाइ इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है इसलिए आपको वर्कशॉप करनी चाहिएं। लेकिन कोई भी ट्रेनिंग वर्कशॉप करने से पहले खुद भी इस प्रक्रिया को समझने की कोशिश करें। आप थोड़ा- सा ध्यान देंगे तो घर पर आसानी से बना पाएंगे। इसके बाद अगर आपको लगता है कि आपको कुछ एडवांस लेवल करना है तो आप ट्रेनिंग कर सकते हैं।

यदि इस बारे में आप अधिक जानना चाहते हैं तो सिद्धार्थ को mishra.siddharth.03@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं!

एक बेसिक आइडिया के लिए आप यह वीडियो देख सकते हैं:

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