रिटायरमेंट के बाद लोगों के बहुत से प्लान होते हैं। कई लोग घूमना चाहते हैं तो कुछ अपने परिवार के साथ अच्छा वक़्त बिताना चाहते हैं। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो इस वक़्त को अपने शौक को पूरा करने में लगाते हैं जैसे बुनाई-कढ़ाई या फिर गार्डनिंग आदि। आज हम आपको केरल के एक ऐसे ही रिटायर्ड शिक्षक से मिलवा रहे हैं जो अपनी रिटायरमेंट के बाद कुछ अलग और अनोखा करने में जुटे हैं।
केरल के कन्नूर जिला के केवी शशिधरण गार्डनिंग करते हैं। उनकी गार्डनिंग की सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह बीजों को अंकुरित कर उनकी पौध तैयार करने के लिए किसी प्लास्टिक ट्रे का नहीं बल्कि पत्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जी हाँ, यह सुनने में बिल्कुल नया है कि आप पत्तों को प्लांटर्स की तरह इस्तेमाल करें लेकिन शशिधरण ऐसा पिछले काफी समय से कर रहे हैं। वह पत्तों से बने छोटे-छोटे प्लांटर्स में ही सब्ज़ियों के बीज लगाकर पौधे तैयार करते हैं।
शशिधरण ने द बेटर इंडिया को बताया, “नर्सरी और घरों में भी अक्सर बीजों को तैयार करने के लिए प्लास्टिक की ट्रे इस्तेमाल होती हैं। लेकिन पौधे तैयार होने बाद जब उन्हें ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है तो इन प्लास्टिक ट्रे को फेंक दिया जाता है। मैं सड़कों पर और दूसरी जगहों पर इन ट्रे को कचरे में देखकर अक्सर परेशान हो जाता था और तब मैंने घर पर ही इको-फ्रेंडली ट्रे बनाने की ठानी।”
पिछले दो महीने में उन्होंने केले के पत्तों से 100 से भी ज्यादा प्लांट ट्रे बनाए हैं। वह कहते हैं कि ताड़ के पत्तों से भी ये ट्रे बनाई जा सकती हैं। 61 वर्षीय शशिधरण आगे कहते हैं, “ये प्लांट ट्रे आपका वक़्त, पैसा और मेहनत, सबकुछ बचाता है। मैंने इन्हीं ट्रे में अलग-अलग सब्जियां जैसे भिंडी, खीरा, बैंगन, मिर्च, कद्दू, टमाटर और तोरई के बीज अंकुरित करके पौधे तैयार किए हैं। मात्र पाँच दिनों में ये बीज अंकुरित होने लगते हैं और फिर इन्हें ट्रे सहित ही गमले में बोया जा सकता है। प्लास्टिक का एक अच्छा विकल्प नारियल की छाल भी हो सकता है।”
वह आगे बताते हैं कि ताड़ के पत्तों की ट्रे में तो आप काजू और रबर के पौधे भी तैयार कर सकते हैं। लेकिन ताड़ के पेड़ कम होने से वह केले के पत्तों से ज्यादा ट्रे बनाते हैं।
अपने घर पर लगे खूबसूरत जैविक गार्डन के बारे में वह बताते हैं कि उन्हें गार्डन से टमाटर, मिर्च, बैंगन, और भी कई तरह की सब्जियां मिलती हैं। वह ज्यादा सब्जियों को वेस्ट नहीं करते हैं बल्कि पास की सब्ज़ी मार्किट में बेच देते हैं और हज़ार रुपये से भी ज्यादा उन्हें मिल जाते हैं।
“बहुत से लोग मुझे फोन करते हैं कि क्या मैं इन जैविक ट्रे को बेचता हूँ। लेकिन मैंने अब तक इन्हें बेचने के लिए नहीं बनाया है,” उन्होंने कहा।
स्कूल में शशिधरण सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान पढ़ाते थे। वह कहते हैं कि अगर शिक्षा को क्रिएटिव बनाया जाए तो आसानी से किसी के भी समझ में आ जाता है। इसलिए उन्होंने अपने विषयों को हमेशा क्रिएटिव बनाया। उन्हें नेशनल और स्टेट अवॉर्ड मिल चुका है।
आज वह हम सबको सिखा रहे हैं कि आप घर पर कैसे इको-फ्रेंडली प्लांट ट्रे बना सकते हैं!
क्या-क्या चाहिए:
केले/ताड़ या फिर कोई अन्य तरह के पत्ते, कैंची, स्टेपलर, कोकोपीट या फिर मिट्टी।
कैसे बनाएं DIY Grow Tray:
- सबसे पहले आप पत्तों को कैंची से काट लें, यह लम्बाई में 2 इंच और चौड़ाई में 1 इंच होना चाहिए।
- इसके बाद इन पत्तों को सिलिंडरिकल आकार में रोल करें।
- इसके बाद पत्तों को स्टेपलर से पिन कर दें।
- अब इसमें मिट्टी/कोकोपीट भरें और बीज बो दें।
- ऊपर से पानी स्प्रिंकलर से दें।
इसके बाद जब बीज अंकुरित हो जाएं तो आप इन्हें प्लांटर सहित गमलों में बो सकते हैं।
शशिधरण, रिटायरमेंट के बाद लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक कर रहे हैं। इसके साथ ही वह बच्चो की ड्रग्स पर जागरूकता की भी स्पेशल क्लास लेते हैं। उन्हें इन क्लास के लिए लगभग 1500 रुपये मिलते हैं और इस कमाई को वह कैंसर और किडनी संबंधित बिमारियों से जूझ रहे मरीज़ों के लिए डोनेट करते हैं!
समाज सेवा के साथ प्रकृति की सेवा करने वाले शशिधरण के जज्बे को द बेटर इंडिया सलाम करता है। हमें उम्मीद है कि इस कहानी से आप सभी को प्रेरणा मिली होगी।
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संपादन: जी. एन. झा
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DIY Grow Tray, DIY Grow Tray for Seeds