सिंघाड़ा या पानीफल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही पोषण से भरपूर होता है। इसलिए सिंघाड़े का आटा भी बनता है, जिससे कई तरह के व्यंजन आप बना सकते हैं। बहुत लोग इसे कच्चे फल के रूप में भी खाते हैं तो कहीं-कहीं इसे उबालकर भी खाया जाता है। सिंघाड़े (Grow Chestnut) में पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम, जिंक, विटामिन बी और ई जैसे पोषक तत्व होते हैं और इसलिए डॉक्टर भी इन्हें खाने की सलाह देते हैं।
सिंघाड़े या पानीफल को तालाब या फिर कहीं भी पानी में उगाया जा सकता है। बड़े स्तर पर सिंघाड़े उगाने के लिए आपको बहुत सारे साधनों की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन अगर आप थोड़े-बहुत सिंघाड़े उगाना चाहते हैं तो अपनी छत पर खुली धूप में किसी टब में भी उगा सकते हैं।
उत्तर-प्रदेश के रायबरेली में रहने वाले अनुभव वर्मा ग्रैजुएशन करके बैंक की नौकरी की तैयारी कर रहे हैं और साथ ही, वह अपनी छत पर गार्डनिंग भी करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही पेड़-पौधों से काफी ज्यादा लगाव है। अलग-अलग चीजें बोना, उन्हें बड़ा करना और फिर हार्वेस्टिंग करना, यह सब उन्हें बहुत अच्छा लगता है।
खासतौर पर फलों को लेकर वह तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट करते हैं। उनकी कोशिश है कि वह उन फलों को भी उगाएं जो धीरे-धीरे शहरी परिवेश से गायब होते जा रहे हैं। अपने इसी पैशन के चलते उन्होंने अपनी छत पर पानीफल उगाने की शुरूआत की। आज वह हमें बता रहे हैं कि किस तरह घर पर हम पानीफल उगा सकते हैं।
क्या-क्या चाहिए:
कंटेनर, मिट्टी, बीज।
अनुभव कहते हैं कि आप जो भी कंटेनर लें, बस ध्यान रहे कि उसमें ड्रेनेज के लिए छेद न हों। साथ ही, कंटेनर जितना बड़ा होगा, उतना सही रहेगा क्योंकि सिंघाड़े के पौधे बहुत तेजी से फैलते हैं।
कंटेनर के बाद बारी आती है बीज की। अनुभव के मुताबिक आप ऑनलाइन पानीफल के बीज भी खरीद सकते हैं या फिर अपने आसपास किसी बीज भंडार में पता कर सकते हैं। बीज के अलावा अगर आपको कहीं किसी जलस्त्रोत में पानीफल के पौधे दिख जाएं तो आप उन्हें भी लाकर अपने यहाँ लगा सकते हैं।
अनुभव कहते हैं कि वह अपने शहर के पास में एक गाँव के तालाब से पौधे लेकर आये थे और फिर उन्होंने इन्हें अपनी छत पर लगाया।
क्या है प्रक्रिया:
- अगर आप बीज लेकर आए हैं तो इन्हें सबसे पहले किसी कंटेनर में पानी भरके उसमें डालकर रख दें। कुछ दिनों में ये अंकुरित होने लगेंगे और फिर इन्हें ट्रांसप्लांट करें।
- सबसे पहले एक बड़ा-सा कंटेनर लें और इसमें नीचे मिट्टी डालें। इस मिट्टी को गीला कर लें और इसमें अंकुरित हुए पौधों को बो दें।
- अब ऊपर से धीरे-धीरे कंटेनर में पानी भर दें।
- इस कंटेनर को ऐसी जगह रखें जहाँ दिन में काफी अच्छी धूप आती हो। पानीफल के पौधों को बढ़ने के लिए अच्छी धूप की ज़रूरत होती है इसलिए कंटेनर को ऐसी जगह रखने जहाँ कम से कम 5-6 घंटे की धूप इसे मिले।
- लगभग एक महीने में पानीफल के पौधे में पत्ते आयेंगे और फिर दो-ढाई महीने में यह फ़ैल जाएगा।
अनुभव बताते हैं कि बीज लगाने के बाद पौधे को मैच्योर होने में कम से कम दो-तीन महीने का समय लगता है। मैच्योर होने के बाद एक महीने के भीतर ही इसमें फल लगना शुरू हो जाते हैं। इस तरह से बीज से फल आने तक के लिए कम से कम 4-5 महीने का समय लग जाता है।
पौधे की देखभाल के बारे में अनुभव का कहना है कि ऊपर से पोषण देने की बजाय आप मिट्टी में पहले ही सभी ज़रूरी पोषक तत्व मिला लें। मिट्टी जितनी ज्यादा पोषण से भरपूर होगी उतना ही पौधे के लिए अच्छा रहेगा। आप अलग-अलग कंटेनर में पौधे लगाकर ढेर सारे पानीफल उगा सकते हैं।
इसके साथ सबसे ज़रूरी बात है कि आप कंटनेर में पानी के स्तर का ध्यान रखें। जैसे ही पानी कम होने लगे आपको हल्के से और पानी डालना होगा।
वह आगे बताते हैं कि अगर कोई ट्राई करना चाहता है तो पानीफल खरीदे और उनके थोड़ा पकने के बाद उन्हें पानी में रखें। इनसे पौधे तैयार किए जा सकते हैं। “फरवरी-मार्च में पानीफल के बीजों को अंकुरित करना चाहिए या फिर आप बारिश के मौसम में पानीफल के पौधे लाकर लगा सकते हैं,” अनुभव ने कहा।
- अगर आप बारिश के मौसम जैसे जून-जुलाई में पौधे लगाते हैं तो सितंबर और अक्टूबर तक आसानी से फल ले सकते हैं।
- पानीफल के पौधों से आप हार्वेस्टिंग सीजन में कई बार फल ले सकते हैं। फिर जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है तो इनकी हार्वेस्टंग कम हो जाती है।
अनुभव कहते हैं कि अगर आपको गार्डनिंग का शौक है तो एक बार ज़रूर ट्राई करें। साथ ही, कोशिश करें कि वह सामान्य साइज के टब की जगह और कोई चौड़ा और बड़ा कंटेनर लें क्योंकि यह जितना फैलता है उतने ही ज़्यादा फल देता है!
तो देर किस बात की, यदि आप भी करते हैं टैरेस गार्डनिंग तो छत पर उगाएं पानीफल और परिवार को दें पोषण से भरपूर आहार।
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संपादन – जी. एन झा